देहरादून।
देहरादून विधानसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के ऐतिहासिक संबोधन के दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने उत्तराखंड की विशिष्टता और चुनौतियों को बेबाकी से प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रदेश की भौगोलिक खुशहाली, विविधता और जैव-विविधता को उजागर करते हुए कहा कि उत्तराखंड सीमा नेपाल और तिब्बत से मिलती है, हिमालय को अडिग प्रहरी के रूप में देखा जाता है। यहां की सदा नीरा नदियाँ, ताल-झीलें, राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य से “ऑक्सीजन टावर” का दर्जा प्रदेश को मिलता है।
यशपाल आर्य ने राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत, चारधाम, हेमकुंड साहिब, पीरान कलियर दरगाह जैसी स्थलों, गंगा-जमुनी संस्कृति व समावेशी समाज का जिक्र किया। उन्होंने राष्ट्रपति को “प्रकृति की बेटी” बताते हुए उत्तराखंड की महिलाओं की पर्यावरणीय जागरूकता, जल, जंगल व जमीन के संघर्ष, चिपको आंदोलन का स्मरण किया।
साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक विडंबनाओं, आपदाओं और वन्य जीव-मानव संघर्ष से भी जूझ रहा है। बसुकेदार, धराली, थराली, देहरादून में हाल की आपदाओं से हुई जनहानि, किसानों की फसल पर वन्य जीवों का अतिक्रमण, वनाधिकार कानून (2006) की जमीनी लाभ न मिलने का मुद्दा भी उठाया।
उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों की गरीबी, पलायन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, कृषि योग्य भूमि की न्यूनता, कठिन जीवन और महिलाओं पर कृषि एवं गृहस्थी के बढ़ते बोझ को राज्य की बड़ी समस्या बताया। तकनीकी कौशल, औद्योगीकरण, वैज्ञानिक कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भी चिंता जताई।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, कृषि, उद्यमिता, पर्यटन, ऊर्जा, जलापूर्ति क्षेत्रों में नवाचार और सतत प्रयासों पर फोकस करना चाहिए। विश्वास व्यक्त किया कि महामहिम राष्ट्रपति के प्रेरक मार्गदर्शन में उत्तराखंड सरकार प्रदेशहित में ठोस सुधार व विकास की दिशा में आगे बढ़ेगी।
2025 – उत्तराखंड विधानसभा संबोधन की खास बातें और चुनौतियाँ
| विषय/आकर्षण | प्रमुख खूबियाँ / मुद्दे | चुनौतियाँ / समस्याएँ | सुझाव / समाधान |
|---|---|---|---|
| भौगोलिक विविधता | हिमालय, ऑक्सीजन टावर, नदियाँ | आपदाएं, किसान-वन्य जीव संघर्ष | सतत कोशिश, नीति सुधार |
| सांस्कृतिक विरासत | चारधाम, गंगा-जमुनी संस्कृति | पलायन, गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा | योजनाओं का क्रियान्वयन |
| महिला सशक्तीकरण | चिपको आंदोलन, पर्यावरण जागरूकता | कृषि, गृहस्थी में बोझ | आर्थिक-सामाजिक सहयोग |
| वनाधिकार कानून | लागू (2006) | लाभ से वंचित, फसल नुकसान | जमीनी कार्य, किसानों को सुरक्षा |
उत्तराखंड विधानसभा में राष्ट्रपति का स्वागत और नेता प्रतिपक्ष का विश्लेषण प्रदेश की क्षमता, उपलब्धियों और मौजूदा चुनौतियों को रेखांकित करता है। राज्य को नई दिशा देने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, पर्यटन, महिला सशक्तीकरण व कृषि क्षेत्रों में ठोस नीति और नवाचार जरूरी है। आशा है राष्ट्रपति के मार्गदर्शन में राज्य निरंतर विकास के लक्ष्य की ओर बढ़ेगा।



