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uttarakhand shiksha vikas : 25 साल में सकल नामांकन, बोर्ड रिजल्ट और उच्च शिक्षा में ऐतिहासिक सुधार—राष्ट्रीय औसत से बेहतर!

उत्तराखंड ने राज्य गठन के 25 वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। वर्ष 2000 में सीमित संसाधनों, दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों और ड्राप-आउट की समस्याओं के बावजूद, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त-प्रयासों से शिक्षा व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन आया। दुर्गम इलाकों में स्कूल शिक्षा पहुँचाने के लिए नए स्कूल खोले गए, बेहतर शिक्षक प्रशिक्षण हुआ और संसाधनों में निरंतर वृद्धि की गई। आज उत्तराखंड शिक्षा में राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है और ‘मॉडल राज्य’ के रूप में उभर कर आया है।

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राज्य में अब 97% बस्तियों में प्राथमिक विद्यालय, 98% बस्तियों में तीन किमी की परिधि में उच्च प्राथमिक, 92% में पाँच किमी के दायरे में हाईस्कूल और 94% में सात किमी में इंटर कॉलेज की सुविधा है। राज्य गठन के समय प्राथमिक नामांकन अनुपात 80% था, जो अब 104% हो गया है। हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा में पास प्रतिशत 32.6% से बढ़कर 90.8% हुआ। गुणवत्ता और उपलब्धता के इन सुधारों का असर है कि उत्तराखंड के विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर भी उल्लेखनीय प्रदर्शन करने लगे हैं।

इन 25 सालों में सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, साक्षर भारत, पीएमश्री योजना, पीएम जनमन, जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान, PM-UCH योजना जैसी रणनीतियों ने शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता को बढ़ाया। उच्च शिक्षा में 45 विश्वविद्यालय और 3.63 लाख छात्र, जिसमें 27 देशों के विद्यार्थी शामिल हैं, AI, साइबर सिक्योरिटी, मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे अत्याधुनिक पाठ्यक्रमों में पढ़ाई कर रहे हैं। 377 महाविद्यालयों में तकनीकी और पारंपरिक शिक्षा का मिलाजुला स्वरूप है।

गुणवत्ता सुधार के लिए सरकार ने शिक्षकों की रिक्त पद समय पर भरने, स्कूल काया-कल्प अभियान, यू-डायस पोर्टल व आंकड़ों का सत्यापन, प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक प्रशिक्षण, लिपिकीय संवर्ग का ऑफिस/वित्तीय प्रशिक्षण, एससीईआरटी के सहयोग से मलिन बस्तियों में समर कैंप, और सरकारी स्कूलों में संसाधनों का 100% लक्ष्य रखा है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के अनुसार “सरकारी विद्यालयों में शत प्रतिशत संसाधन उपलब्ध कराने के अंतिम चरण में है सरकार। लक्ष्य है सरकारी स्कूलों पर जनता का विश्वास फिर कायम हो।”

राज्य सरकार का फोकस लगातार गुणवत्ता शिक्षा, सरकारी शिक्षा पर विश्वास, शिक्षकों के रिक्त पदों की पूर्ति, निजी स्कूल-कॉलेजों की मनमानी पर रोक, पर्वतीय जनपदों की हाईटेक शिक्षा प्रणाली और शिक्षा व्यवसायीकरण पर नियंत्रण के बड़े विषयों पर है।

2025 – उत्तराखंड शिक्षा विकास के प्रमुख आंकड़े

शिक्षा स्तर/संस्थाननामांकन/रिजल्टमुख्य सुधार / उपलब्धितकनीकी/उच्च शिक्षासरकारी रणनीति
प्राथमिक स्कूल104%पहुँच/संसाधनस्कूल खोलना/ट्रेनिंग
हाईस्कूल बोर्ड रिजल्ट90.8%रिजल्ट में ऐतिहासिक वृद्धिपरीक्षा/जन-जागरूकता
विश्वविद्यालय/महाविद्यालय45/3773.63 लाख विद्यार्थी, 27 देशAI, ML, Cloudपाठ्यक्रम इंटरनेशनल
मलिन बस्तियों की शिक्षासमर कैंपप्रशिक्षण/विशेष सुविधाएससीईआरटी सहयोग

पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड ने शिक्षा में जो छलांग लगाई है, वह राष्ट्रीय औसत से बेहतर आंकड़ों, आधुनिक पाठ्यक्रम, गुणवत्ता उपार्जन और सरकारी स्कूलों में संसाधन-संस्थापन के रूप में सामने आई है। चुनौतियाँ जरूर हैं—बेसिक संसाधन, शिक्षकों की कमी, पलायन और निजी शिक्षा की मनमानी—पर सरकार का रोडमैप इन्हें दूर करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। 25 साल का यह सफर शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच के लिहाज से ऐतिहासिक माना जा सकता है।

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