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श्रीनगर गढ़वाल: सहकारिता मेले के दूसरे दिन उत्साह का दौर, महिला समूहों के उत्पादों को मिली सराहना

श्रीनगर गढ़वाल:

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अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के थीम “सहकार से समृद्धि” के तहत श्रीनगर के आवास विकास मैदान में आयोजित जनपद स्तरीय सहकारिता मेले के दूसरे दिन सांस्कृतिक रंगों और सहभागिता का अनोखा संगम देखने को मिला। युवा सहकार परिचय कार्यक्रम, गोष्ठी और लोक प्रस्तुतियों ने मेले को जीवंत बना दिया, जहां सैकड़ों महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) ने अपने हस्तशिल्प, जैविक उत्पादों और पारंपरिक व्यंजनों के स्टॉल लगाकर ग्रामीण आत्मनिर्भरता का संदेश दिया। यह मेला न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक है, बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारिता की भावना को मजबूत करने का माध्यम भी साबित हो रहा है।

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सहकारिता: आर्थिक और सामाजिक एकता का आधार

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखंड गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र अण्थवाल ने कहा कि सहकारिता केवल आर्थिक सशक्तिकरण का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और ग्रामीण आत्मनिर्भरता की जीवंत मिसाल है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार सहकारिता क्षेत्र को मजबूत बनाकर गांव-गांव में रोजगार और उत्पादन की नई संभावनाएं विकसित कर रही है।

अण्थवाल ने महिला समूहों और युवाओं से अपील की कि वे सहकारिता आंदोलन से जुड़कर अपने उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाएं। “महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों ने उत्तराखंड की 56 प्रतिशत श्रम शक्ति का प्रतिनिधित्व किया है, जो देश में सबसे अधिक है,” उन्होंने जोर देकर कहा, जो कोविड-19 के बाद आर्थिक पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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विशिष्ट अतिथि प्रादेशिक सहकारी संघ के उपाध्यक्ष शैलेंद्र बिष्ट ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारिता ही वह माध्यम है जो बिखरी हुई संसाधनों को संगठित कर आर्थिक मजबूती प्रदान कर सकती है। उन्होंने उदाहरण दिया कि उत्तराखंड के स्थानीय उत्पाद जैसे ऑर्गेनिक घी, शहद, हर्बल टी, चांगोर के लड्डू और पारंपरिक अचार अब सहकारिता मेलों के माध्यम से देशभर में पहचान बना रहे हैं। “यह मेला ग्रामीण उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने का पुल है,” बिष्ट ने कहा। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 की थीम “सहकार से बेहतर दुनिया का निर्माण” के अनुरूप, उत्तराखंड सरकार ने राज्य स्तर पर चार सहकारिता मेलों का आयोजन करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 400 नई बहुउद्देशीय समितियां मार्च 2025 तक स्थापित की जाएंगी।

महिला समूहों की सफलता की कहानियां

मेले में सैकड़ों महिला सहायता समूहों, मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटियों और कृषक उत्पादक संगठनों ने स्टॉल लगाए। हिमालय ऑर्गेनिक मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी, देहरादून के स्टॉल पर ऑर्गेनिक घी, शहद और हर्बल टी को लोगों ने खूब पसंद किया। संस्थान के प्रतिनिधि तरुण जोशी ने बताया कि उत्तराखंड के इन उत्पादों की देश के विभिन्न राज्यों में भारी मांग है, और सहकारिता विभाग की योजनाओं से 2024-25 में 2,500 से अधिक एसएचजी को प्रशिक्षण व वित्तीय सहायता मिली, जिससे 15,000 महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुआ।

कोटद्वार कृषक उत्पादक संगठन की नीतू डंगवाल ने कहा कि उनके समूह द्वारा बनाए चांगोर के लड्डू, बर्फी और मल्टीग्रेन बिस्किट को विशेष सराहना मिली। 250 से अधिक महिलाओं वाले इस समूह ने स्थानीय अनाजों से पूरी तरह जैविक उत्पाद तैयार किए हैं। “सहकारिता विभाग और मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की पहल ने हमें बाजार का मंच दिया, जिससे आय में वृद्धि हुई,” डंगवाल ने बताया। इसी तरह, विकासखंड खिर्सू महिला सहायता समूह मोल्यार की बीना देवी ने साझा किया कि विभाग से शून्य प्रतिशत ब्याज पर 10 लाख रुपये का ऋण मिला, जिससे उनकी मासिक आय एक लाख रुपये तक पहुंच गई। “ऐसे मेले ग्रामीण उत्पादों को स्थायी बाजार देंगे,” उन्होंने कहा। राज्य में 2024-25 में 8.78 लाख एसएचजी को ऋण वितरित किए गए, जिनमें महिलाओं की भागीदारी 88 प्रतिशत है।

ऋण वितरण से कृषकों में उत्साह

मुख्य अतिथियों ने पौड़ी और काल्जीखाल विकासखंड के 124 कृषकों को एक करोड़ 54 लाख रुपये का शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण वितरित किया। यह वितरण किसान कल्याण दीनदयाल ऋण योजना के तहत हुआ, जो सहकारिता विभाग की प्रमुख पहल है। इससे ग्रामीणों में आत्मविश्वास बढ़ा।

सांस्कृतिक और स्वास्थ्य जागरूकता का मेल

मेले में महिला मंगल दल कोट, भिताई और बग्वाड़ी की महिलाओं ने पारंपरिक मंगल गीत और लोक नृत्य से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। स्थानीय कलाकारों का “दैणां होयां, खोली का गणेसा” गीत कार्यक्रम को नई ऊंचाई दे गया। विद्यालयों के छात्र-छात्राओं के नृत्य-गीतों ने सांस्कृतिक माहौल को और समृद्ध किया।

आवास विकास मैदान में स्वास्थ्य जागरूकता के लिए आयुर्वेदिक एवं यूनानी विभाग ने योग सत्र आयोजित किया, जिसमें प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और सूर्य नमस्कार का अभ्यास कराया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का आधार है। उत्तराखंड आयुष विभाग ने 2025 में 625 मंदिरों के पास एसएचजी को दुकानें उपलब्ध कराईं, और योग जागरूकता अभियान में 10,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया।

सहकारिता वर्ष 2025 में उत्तराखंड ने 100,000 महिलाओं को लाखपति दीदी योजना से जोड़ा, और 42 पहाड़ी ब्लॉकों में 100% जैविक खेती को बढ़ावा दिया। यह मेला 7 से 15 अक्टूबर तक चलेगा।

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