pithoragarh ring road-samayhastakshar

pithoragarh ring road yojana : 20 किमी रिंग रोड का सपना 19 साल बाद भी अधूरा, भूमि विवादों में फंसा मिनी कश्मीर

पिथौरागढ़।

पिथौरागढ़, जिसे मिनी कश्मीर के नाम से प्रसिद्ध सोर घाटी के रूप में पहचाना जाता है, राज्य गठन के बाद आबादी और बाहरी पर्यटकों का दबाव लगातार बढ़ा है। हिमनगरी मुनस्यारी, आदि कैलास, ओम पर्वत और प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा का रास्ता भी इसी शहर से गुजरता है। सामरिक दृष्टि से नेपाल और चीन सीमा से सटे इस क्षेत्र की सड़क और यातायात व्यवस्था बेहद महत्वपूर्ण है। वर्ष 2006 में मुख्य शहर को ‘जाम मुक्त’ करने और बाहरी पर्यटन यातायात का दबाव कम करने के उद्देश्य से 20 किमी लंबी रिंग रोड परियोजना का सपना देखा गया था।

skynet public school, agency mohalla, srinagar garhwal

रिंग रोड परियोजना के लिए धनराशि स्वीकृत हुई, भूमि अधिग्रहण व मुआवजा भी बंटा, लेकिन जनप्रतिनिधियों की कमजोर इच्छाशक्ति और भूमि विवादों के चलते पूरा प्रोजेक्ट अधर में लटक गया। ऐंचोली, टकाड़ी, बड़ौली, पौण, पपदेव, चंडाक, मोस्टामानू होते हुए सड़क की योजना बनाई गई थी, जिसे टनकपुर-पिथौरागढ़ लिपुलेख हाईवे से जोड़ना था। इस रिंग रोड के बन जाने से शहर की परिक्रमा सुगम होती, मुनस्यारी, धारचूला, चंपावत से आने-जाने वाले वाहनों का आवागमन और आसान हो जाता तथा शहर के विकास को नई गति मिलती।

अफसोस की बात यह है कि 2006 के बाद कुछ क्षेत्रों में अधिग्रहित भूमि पर सड़क तो बनी, लेकिन ऐंचोली से टकाड़ी और चंडाक में भूमि उपलब्ध न होने से निर्माण कार्य रुक गया। भूमि विवादों के बेसब्री से बढ़ते जाने के कारण यह महत्वाकांक्षी परियोजना अब कागजों में सिमट गई है। आज भी पिथौरागढ़ का नगर विकास, पर्यटन और तीर्थाटन की प्रगति के लिए इस रोड का अधूरापन एक बड़ी बाधा बनकर खड़ा है। ऐसी सड़कों की आवश्यकता सिर्फ यातायात के लिए ही नहीं, बल्कि क्षेत्र की आर्थिक, सामरिक और पर्यावरणीय स्थिति के लिए भी बेहद ज़रूरी है।

2025 – पिथौरागढ़ रिंग रोड परियोजना – स्थिति और प्रभाव

योजना/विवरणलंबाई/बजटमुख्य मार्ग/पॉइंट्सस्थिति/बाधाअसर
रिंग रोड20 किमी, ₹4 करोड़ऐंचोली-टकाड़ी-चंडाक-घुनसेरा-उर्गभूमि विवाद, निर्माण ठपशहर जाममुक्त, पर्यटन, कनेक्टिविटी
टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे कनेक्टसंपर्क मार्गकिरीगांव, निराड़ा, बड्डाएक छोर से दूसरे तक सुविधाअधूरा विकास

पिथौरागढ़ की रिंग रोड योजना यदि पूरी होती तो न केवल शहर को जाम की समस्या से मुक्ति मिलती, बल्कि पूरे क्षेत्र का पर्यटन, तीर्थाटन, और सामरिक महत्त्व बढ़ता। लेकिन भूमि विवादों और निर्णय में कमी ने इस सपने को अभी तक अधूरा ही रखा है। अब देखा जाना यह है कि क्या सरकार एवं जनप्रतिनिधि परियोजना को फिर से शुरू कर पाएंगे, ताकि मिनी कश्मीर के नाम से पहचाने जाने वाला पिथौरागढ़ पूरी तरह विकसित हो सके।

More From Author

rekha arya mahila sashaktikaran yojna uttarakhand samayhastakshar

mahila sashaktikaran yojana uttarakhand : दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों की वृद्ध महिलाओं के लिए जल्द आएगी आर्थिक-सामाजिक संबल योजना

rudrapur pantnagar laapata shatrughna-samayhastakshar

rudrapur pantnagar laapata shatrughna : तीन माह से लापता पिता की तलाश में मासूम बच्चियों की गुहार, शहरभर में बांटे पोस्टर