ऊखीमठ।
हिमालय की शीतल वादियों में भैयादूज के दिन माहौल पूरी तरह आध्यात्मिकता, आस्था और उत्साह से सराबोर रहा। बर्फ से ढकी चोटियों के बीच “हर-हर महादेव” और “जय मां यमुना” के गूंजते स्वर वातावरण को भक्तिमय बना रहे थे। इसी पावन मौके पर गुरुवार को केदारनाथ, यमुनोत्री और मां गौरा माई के कपाट विधि-विधान और वेदपाठियों के मंत्रोच्चारण के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। भक्तों की भारी भीड़ सुबह से ही धामों में उमड़ी, जहां भक्ति और भावनाओं का समागम देखने को मिला।
सुबह पांच बजे केदारनाथ मंदिर में कपाट बंद करने की प्रक्रिया आरंभ हुई। मुख्य पुजारी, आचार्यगण और वेदपाठी द्वारा शिवलिंग को भक्तिभाव से श्रृंगारमुक्त कर, पुष्प, बेलपत्र, भस्म आदि से समाधिस्थ किया गया। अनुराधा नक्षत्र में 8:30 बजे पंचमुखी डोली को मंदिर से बाहर लाया गया, सेना के बैंड की धुनों के साथ मंदिर की परिक्रमा कर कपाट बंद किए गए।
डोली रात्रि प्रवास के लिए रामपुर रवाना हुई, और 25 अक्टूबर को ऊखीमठ में शीतकालीन गद्दीस्थल पर बाबा केदार के दर्शन छह माह तक होंगे। यमुनोत्री धाम में भी इसी क्रम में कपाट बंदी की सुसज्जित प्रक्रिया संपन्न हुई, मां यमुना की पूजा-अर्चना के बाद डोली खरसाली गांव ले जाई गई, जहां ग्रामीणों ने उत्सवपूर्वक स्वागत किया। इस बार चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड 50 लाख श्रद्धालु पहुंचे, जिनमें बाबा केदार के 17 लाख 68 हजार 795 दर्शनार्थी रहे।
मां गौरा माई के कपाट भी गुरुवार को विशेष पूजा-अर्चना के पश्चात बंद किए गए। 300 से अधिक भक्तों ने दर्शन किए, भोगमूर्ति की डोली गांव के चंडिका मंदिर में स्थापित की गई। छह नवंबर को पंचकेदार में तृतीय तुंगनाथ धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे—इसके बाद बाबा तुंगनाथ के दर्शन छह माह तक मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में होंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कपाट बंदी के मौके पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं और भविष्य में शीतकालीन यात्रा को प्रोत्साहित करने की बात कही। मंदिर समिति के अध्यक्ष और अधिकारीगण ने सफल संचालन का श्रेय विभागीय टीम और सरकार को दिया।
2025 – कपाट बंदी के प्रमुख आंकड़े
| धाम | कपाट बंदी की तिथि | शीतकालीन गद्दीस्थल | दर्शनार्थियों की संख्या |
|---|---|---|---|
| केदारनाथ | 23 अक्टूबर 2025 | ऊखीमठ | 17,68,795 |
| यमुनोत्री | 23 अक्टूबर 2025 | खरसाली | आंकड़ा स्थानीय स्तर पर |
| गौरा माई | 23 अक्टूबर 2025 | चंडिका मंदिर, गौरी गांव | 300+ |
| तुंगनाथ | 6 नवंबर 2025 | मार्कंडेय मंदिर, मक्कूमठ | अपडेट छह नवंबर को |
इस प्रकार हिमालय की पावन वादियों में शीतकाल के लिए कपाट बंदी के साथ भक्तों और प्रशासन दोनों की सक्रियता और भक्ति देखी गई। अब अगले छह महीने तक शीतकालीन गद्दीस्थलों पर भगवान के दर्शन होंगे, और प्रदेश सरकार शीतकालीन यात्रा को भी बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं बना रही है। धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव, श्रद्धालुओं की भागीदारी, और प्रशासन की तत्परता पहचान बन गई है।



