उत्तरकाशी ।
उत्तरकाशी के महिडांडा स्थित 35वीं वाहिनी में भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) के 64वें स्थापना दिवस का आयोजन पूरे हर्ष व उल्लास के साथ मनाया गया। समारोह का उद्घाटन वाहिनी के कमांडेंट भानू प्रताप सिंह और उप कमांडेंट प्रकाश सिंह भंडारी ने राष्ट्रध्वज के सम्मान के साथ किया, जिसके बाद आइटीबीपी जवानों द्वारा भव्य परेड और परंपरागत सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर बल के अधिकारी एवं जवानों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए विशेष सम्मानित किया गया, जिससे बल के समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा की भावना और सशक्त हुई।
मंच से संबोधित करते हुए कमांडेंट भानू प्रताप सिंह ने बताया कि भारत-चीन युद्ध के परिप्रेक्ष्य में 24 अक्टूबर 1962 को सीमा सुरक्षा के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल की स्थापना की गई थी। आज बल सिर्फ सीमा की सुरक्षा नहीं, बल्कि समाज सेवा, सद्भावना और राष्ट्रप्रेम की भावना को भी लगातार सशक्त बना रहा है। उप कमांडेंट प्रकाश सिंह भंडारी ने सभी अधिकारी और जवानों को बल की गौरवशाली परम्पराओं को कायम रखते हुए राष्ट्र सेवा के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित किया।
आइटीबीपी उत्तरकाशी द्वारा सामाजिक जिम्मेदारी का अनूठा उदाहरण भी पेश किया गया। गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर आइटीबीपी ने कोपांग चौकी पर भव्य भंडारे का आयोजन किया, जिसमें एक हजार से अधिक लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने धर्म, सेवा और सद्भावना के तहत इस आयोजन को सराहते हुए जवानों की सामाजिक, मानवतावादी भूमिका पर विशेष प्रशंसा की।
उत्तरकाशी – आइटीबीपी स्थापना दिवस व सामाजिक सेवा सारांश
| कार्यक्रम | स्थान | प्रमुख आयोजन | सम्मानित अधिकारी/जवान | सामाजिक पहल | मुख्य अतिथि |
|---|---|---|---|---|---|
| 64वां स्थापना दिवस | महिडांडा, उत्तरकाशी | परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम | उत्कृष्ट प्रदर्शन कर्मी | कोपांग चौकी भंडारा, 1000+ प्रसाद | भानू प्रताप सिंह, सुरेश चौहान |
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल केवल सीमाओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी, राष्ट्रप्रेम और मानवता की मिसाल बन चुका है। उत्तरकाशी का स्थापना दिवस समारोह बल के इतिहास, गौरवशाली परंपराओं और सामाजिक उत्थान के प्रयासों को उजागर करता है। क्षेत्र के नागरिकों एवं तीर्थयात्रियों के लिए सामूहिक भंडारे के साथ मानवता और सेवा की गहरी छाप भी देखने को मिली।



