देहरादून।
लगातार हो रही प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती का सामना कर रहे उत्तराखंड में अब आपदा प्रबंधन का अर्थ केवल भौतिक पुनर्वास तक सीमित नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के नेतृत्व में राज्य प्रशासन ने “disaster mental health training uttarakhand” के लिए ऐतिहासिक पहल आरंभ की है।
राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, भारत सरकार व नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहांस) के सहयोग से पूरे प्रदेश में स्वास्थ्यकर्मियों को आपदाओं के दौरान और बाद में मानसिक एवं मनोसामाजिक सहायता के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस कार्यक्रम की शुरुआत देहरादून के चंदर नगर स्थित प्रशिक्षण केंद्र में सफलतापूर्वक की गई।
तीन-स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत प्रथम बैच में जनपद देहरादून, द्वितीय बैच में पौड़ी गढ़वाल और तृतीय बैच में नैनीताल के स्वास्थ्यकर्मियों का चयन किया गया। आगामी दो महीनों के भीतर राज्यभर के लगभग 100 स्वास्थ्यकर्मियों – जिनमें मनोचिकित्सक, चिकित्सा अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, काउंसलर और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं – को प्रशिक्षित किया जाएगा। ये प्रशिक्षित टीमें जिले व ब्लॉक स्तर पर जाकर, आपदा से प्रभावित परिवारों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता उपलब्ध कराएँगी, जिससे अवसाद, भय, चिंता जैसी समस्याओं का समय रहते समाधान किया जा सके।
उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थतियों के चलते यहाँ वर्षा, भूस्खलन, बादल फटना, सड़क क्षति जैसी आपदाएँ आम हैं। इस वर्ष धराली क्षेत्र में आई भीषण आपदा ने एक बार फिर राज्य को मनोवैज्ञानिक पुनर्वास की आवश्यकता का अहसास कराया है। स्वास्थ्य विभाग ने आपदा पीड़ित समुदायों को चिकित्सा के साथ-साथ मानसिक संवेदनशीलता व सहायता देने का जिम्मा उठाया है – जिससे न सिर्फ पीड़ितों का मनोबल बढ़े, बल्कि सामाजिक पुनर्संधान भी मजबूत हो।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के अनुसार, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के मार्गदर्शन में राज्य प्रशासन आपदाओं में प्रभावित परिवारों के मनोबल, मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सुरक्षा पर पूरा ध्यान दे रहा है। उनका कहना है कि आपदाओं के घाव सिर्फ शारीरिक नहीं होते – मानसिक एवं भावनात्मक चोटें भी गहरी होती हैं।
राज्य की ट्रेनिंग पहल में निमहांस बेंगलुरू के विशेषज्ञों का सहयोग महत्वपूर्ण है, जिससे जिला स्तर पर स्वास्थ्यकर्मी आपदा के समय पीड़ितों की मनःस्थिति को समझने और चिकित्सा के साथ परामर्श सेवा देने में सक्षम बनेंगे। यह नेटवर्क उत्तराखंड को देश के अग्रणी मानसिक स्वास्थ्य आपदा प्रबंधन मॉडल की श्रेणी में पहुंचाएगा।
विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों को यह सिखाया जा रहा है कि संकट के बाद पीड़ितों के साथ संवाद कैसे स्थापित करें, तनाव, डर, अवसाद जैसी मनोवैज्ञानिक स्थितियों की सही पहचान और सामुदायिक समर्थन तंत्र कैसे विकसित करें। प्रशिक्षण उपरांत सभी प्रतिभागियों को राज्यस्तरीय मानसिक स्वास्थ्य आपदा प्रतिक्रिया नेटवर्क का हिस्सा बनाया जाएगा, ताकि आपात स्थितियों में तत्काल मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँच सकें।
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग सहित विभिन्न संबद्ध अधिकारी, डॉक्टर्स और निमहांस टीम की भागीदारी रही। इसका उद्घाटन चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा ने किया, जिन्होंने कहा कि उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन का भविष्य अब अधिक मानवीय और समावेशी होगा।
स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य इस नवाचार को प्रदेश के सभी जिलों में ले जाना है। जल्दी ही हर जिले में मानसिक स्वास्थ्य आपदा प्रतिक्रिया टीम बनेगी, जो मनोसामाजिक सपोर्ट और मानसिक पुनर्वास का जिम्मा उठाएगी। राज्य सरकार और निमहांस के दीर्घकालिक सहयोग के कारण उत्तराखंड, मनोसामाजिक आपदा प्रबंधन में जल्द ही राष्ट्रीय मॉडल के रूप में पहचाना जाएगा।



