देहरादून।
उत्तराखंड की धामी सरकार ने बच्चों की सुरक्षा और जन स्वास्थ्य को लेकर जो ठोस कदम उठाए हैं, वह न केवल राज्य स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरपों से जुड़ी दुखद घटनाओं के बाद, जहां 17 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है, उत्तराखंड ने भी सतर्कता बरतते हुए प्रदेशव्यापी अभियान की शुरुआत कर दी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि “बच्चों के स्वास्थ्य से किसी प्रकार का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और हमारी सरकार हर उस तत्व के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी जो बच्चों की जान को खतरे में डालने की कोशिश करेगा।” अभियान में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की टीमें सभी जिलों में दिन-रात सक्रिय हैं।
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार तथा अपर आयुक्त व ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी की निगरानी में दवा विक्रेताओं, थोक आपूर्तिकर्ताओं, मेडिकल स्टोरों और अस्पतालों पर लगातार औचक निरीक्षण हो रहे हैं। इस अभियान का उद्देश्य केवल प्रतिबंधित दवाओं को बाजार से हटाना ही नहीं, बल्कि दवा गुणवत्ता की पूरी चेन को मजबूत बनाना भी है, ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना न घटे।यह कार्रवाई केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की 5 अक्टूबर 2025 की सलाह पर आधारित है, जिसमें 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ और सर्दी की दवाएं देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अधिकांश बच्चों में खांसी वायरल होती है, जो बिना दवा के ठीक हो जाती है, और अनावश्यक दवाओं से जोखिम बढ़ता है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने भी 6 राज्यों—हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र—में 19 दवा इकाइयों का निरीक्षण शुरू किया है, जहां 19 नमूनों की जांच हो रही है।
इनमें कफ सिरप, बुखार की दवाएं और एंटीबायोटिक्स शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी वैश्विक चेतावनी जारी की है, क्योंकि 2022 में गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में भारतीय कफ सिरपों से 70 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी।
भारत में 1972 से अब तक 5 बड़े मामले दर्ज हैं, जिनमें 1972 में चेन्नई (15 मौतें), 1986 में मुंबई (14), 1988 में बिहार (11), 1998 में गुड़गांव (33) और 2019 में जम्मू (12) में किडनी फेलियर से मौतें हुईं। ये घटनाएं डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) प्रदूषण से जुड़ी हैं, जो सिरप के सॉल्वेंट प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल को इंडस्ट्रियल ग्रेड से बदलकर होता है।
देहरादून में सघन निरीक्षण और कार्रवाई:
देहरादून में एफडीए की टीम ने मंगलवार को बड़े स्तर पर छापेमारी की, जिसमें औषधि निरीक्षक मानेंद्र सिंह राणा के नेतृत्व में चकराता रोड, किशननगर चौक, बल्लूपुर चौक, कांवली रोड, बल्लीपुर चौक और प्रेमनगर क्षेत्रों के मेडिकल स्टोरों का दौरा किया गया। निरीक्षण के दौरान बच्चों के लिए बनाई जाने वाली खांसी और सर्दी-जुकाम की दवाओं के क्रय-विक्रय पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई, और जहां भी ये दवाएं भंडारित पाई गईं, उन्हें मौके पर ही सील कर दिया गया।
विक्रेताओं को सख्त हिदायत दी गई कि इन औषधियों का विक्रय अगली आधिकारिक सूचना तक न किया जाए। दिलचस्प बात यह रही कि कई विक्रेताओं ने पहले से ही संज्ञान लेते हुए इन दवाओं को दुकानों से हटा लिया था। टीम ने मौके पर 11 सिरप के नमूने एकत्रित कर जांच के लिए भेजे, लेकिन Coldrif, Respifresh-TR और Relife जैसे संदिग्ध सिरप किसी भी स्टोर में उपलब्ध नहीं मिले। इसी क्रम में देहरादून में सात मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस तत्काल निरस्त कर दिए गए, जो लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण थे।
उधम सिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल में भी सतर्कता:
उधम सिंह नगर में वरिष्ठ औषधि निरीक्षक नीरज कुमार और निरीक्षक निधि शर्मा की टीम ने जिले के विभिन्न क्षेत्रों से 10 पेडियाट्रिक कफ सिरप के नमूने लिए, जिनमें Dextromethorphan Hydrobromide, Chlorpheniramine Maleate और Phenylephrine Hydrochloride जैसे तत्व मौजूद थे।
अब तक जिले से कुल 40 नमूने फॉर्म-17 के तहत विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला भेजे जा चुके हैं। हरिद्वार में अपर आयुक्त के निर्देश पर रुड़की के एयरन हॉस्पिटल, विनय विशाल हॉस्पिटल और हरिद्वार के मेट्रो हॉस्पिटल से 15 कफ सिरप के नमूने संकलित किए गए, जिसकी अगुवाई औषधि निरीक्षक अनीता भारती ने की। जिले से कुल 39 नमूने जांचाधीन हैं। नैनीताल के हल्द्वानी में सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल की ड्रग स्टोर से तीन कफ सिरप के नमूने लिए गए, जो गुणवत्ता परीक्षण के लिए देहरादून भेजे गए हैं।
पहाड़ी जिलों में भी अभियान तेज:
पौड़ी जिले के कोटद्वार में एफडीए टीम ने सोमवार रात से शुरू की गई छापेमारी मंगलवार को भी जारी रखी, जिसमें Respifresh-TR कफ सिरप का स्टॉक कई स्टोरों से जब्त किया गया। आज तीन नए नमूने एकत्रित हुए। अल्मोड़ा के चौखुटिया और चांदीखेत में छह मेडिकल स्टोरों पर छापे पड़े, जहां Respifresh-TR (बैच नंबर R01GL2523) की 12 बोतलें जब्त की गईं, जो पहले ही गैर-मानक गुणवत्ता (एनएसक्यू) घोषित हो चुकी हैं।
रुद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में रिटेल और थोक प्रतिष्ठानों से चार नमूने संकलित किए गए, जबकि उत्तरकाशी में औषधि निरीक्षक मोहम्मद ताजिम की टीम ने चार प्रकार के कफ सिरपों के नमूने लिए। उन्होंने स्टोर संचालकों को चेतावनी दी कि Dextromethorphan Hydrobromide Syrup (KL-25/148), Coldrif (SR-13), Respifresh-TR (R01GL2523) और Relife (LSL25160) न रखें-न बेचें। साथ ही, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न देने और वयस्कों को डॉक्टर की सलाह पर ही दवा देने के निर्देश दिए।
प्रदेशभर के आंकड़े और आगे की रणनीति:
इस अभियान के तहत अब तक 148 नमूने जांच के लिए भेजे जा चुके हैं, और मंगलवार को 35 नए नमूने (देहरादून में 11, कोटद्वार में 3, हल्द्वानी में 3, अल्मोड़ा में 4, रुद्रप्रयाग में 4, उत्तरकाशी में 4) एकत्रित हुए। दर्जनों प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए गए हैं, और कई जगहों पर संदिग्ध स्टॉक जब्त कर सीलिंग की गई है। कुल मिलाकर, 170 नमूनों की जांच से साफ होगा कि कौन सी दवाएं असुरक्षित हैं। स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कानूनी कार्रवाई होगी, और सभी जिलों में संदिग्ध बैच नंबर वाली दवाएं तुरंत हटाई जाएंगी। अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि पिछले चार दिनों में 27 नमूने लिए गए हैं, और टीमें दिन-रात फील्ड में हैं। उनका लक्ष्य असुरक्षित दवाओं को बाजार से पूरी तरह उखाड़ फेंकना है।
राष्ट्रीय और वैश्विक संदर्भ:
यह अभियान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की 5 अक्टूबर की सलाह से प्रेरित है, जिसमें 2 वर्ष से कम बच्चों को कफ दवाएं न देने पर जोर दिया गया। मध्य प्रदेश में 14 बच्चों की मौत (48.6% डीईजी प्रदूषण से) और राजस्थान में 3 के बाद सीडीएससीओ ने तमिलनाडु की एसरेसन फार्मा पर कार्रवाई की। वैश्विक स्तर पर, 2022 में गाम्बिया (70 मौतें) और उज्बेकिस्तान (18) में भारतीय सिरपों से हादसे हुए।
भारत में 1972 से 5 बड़े मामले हैं, जिनमें 85+ मौतें, डीईजी किडनी फेलियर का कारण बनता है।
स्वास्थ्य मंत्री की अपील: डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि एफडीए का अभियान बच्चों की सेहत को प्राथमिकता देता है। जनता से बिना डॉक्टर सलाह के दवा न देने की अपील की। एफडीए ने कहा, संदिग्ध सिरप मिलने पर सूचित करें; रिपोर्ट पर लाइसेंस रद्दीकरण और जुर्माना होगा।