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डेमोग्राफिक परिवर्तन पर रोक के लिए सीएम धामी का कड़ा रुख, सत्यापन हेतु डिजिटल समाधान की तैयारी

देहरादून।

उत्तराखंड में डेमोग्राफिक परिवर्तन की बढ़ती समस्या को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गृह विभाग को बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल तकनीक अपनाने का आदेश दिया है। इस प्रक्रिया को सरल और तेज करने के लिए एक विशेष ऐप विकसित करने की योजना है, क्योंकि मौजूदा मैनुअल रजिस्टर सिस्टम अपर्याप्त साबित हो रहा है।

गृह सचिव शैलेश बगोली को फर्जी दस्तावेजों के जरिए आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस और आईटी विभाग मिलकर एक व्यापक डेटाबेस तैयार कर रहे हैं।

सांस्कृतिक और सुरक्षा चुनौतियां:

उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान और सुरक्षा पर बाहरी लोगों की बढ़ती आबादी का प्रभाव पड़ रहा है। देहरादून और हरिद्वार जैसे मैदानी जिलों में पुलिस की अन्य जिम्मेदारियों के कारण सत्यापन अभियान अक्सर सीमित रहते हैं। हाल के अभियानों में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों का पता चला। ‘ऑपरेशन कलानेमी’ के तहत देहरादून और हरिद्वार में धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग करने वाले फर्जी साधुओं को पकड़ा गया। सीएम धामी ने कहा, “देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए सत्यापन जरूरी है। डिजिटल तकनीक इस प्रक्रिया को मजबूत करेगी।”

आधार कार्ड में विसंगति:

2024 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तराखंड की अनुमानित जनसंख्या 1.17 करोड़ है, जबकि 1.25 करोड़ आधार कार्ड जारी हुए हैं, जो 106.09% सैचुरेशन दर्शाता है। 18+ आयु वर्ग में यह आंकड़ा 109.92% है। 2011 की जनगणना के बाद कोई नई गणना न होने से यह आंकड़ा संदिग्ध है और फर्जी दस्तावेजों या अवैध प्रवास का संकेत देता है।

डिजिटल सत्यापन की दिशा:

प्रस्तावित ऐप से पुलिस थानों और चौकियों का डेटा केंद्रीकृत होगा, जिससे रीयल-टाइम निगरानी संभव होगी। 2011 की जनगणना (1.01 करोड़) के बाद डेमोग्राफिक परिवर्तन की आशंकाएं सामने आई हैं। सरकार ‘लैंड जिहाद’ और ‘लव जिहाद’ जैसे मुद्दों पर भी सजग है। यह पहल उत्तराखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण होगी।

उत्तराखंड में डेमोग्राफिक परिवर्तन पर 2021-2023 में चर्चा हुई, जब सरकार ने इस मुद्दे पर एक समिति गठित की थी। 2023-24 में सत्यापन अभियानों में हजारों लोगों की जांच हुई, जिसमें कई संदिग्ध पकड़े गए। ऑपरेशन कलानेमी में देहरादून और हरिद्वार में 2025 में कुछ बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा गया। यह डिजिटल पहल स्थानीय संसाधनों पर दबाव कम करने और सुरक्षा बढ़ाने में सहायक होगी।

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