श्रीनगर गढ़वाल।
श्रीनगर गढ़वाल के उप जिला चिकित्सालय में शुक्रवार को “वंदेमातरम” गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने के ऐतिहासिक अवसर पर एक विशेष समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएमएस डॉ. विमल सिंह गुसाईं ने की। समारोह में डॉ. बुटोई ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को ईमानदारी, निष्ठा और देशभक्ति के साथ अपने कर्तव्यों के निर्वहन की शपथ दिलाई। सभी कर्मचारियों ने राष्ट्रगीत की पंक्तियों के साथ अपने कर्तव्य और राष्ट्रीय भावना का संकल्प लिया।
डॉ. गुसाईं ने अपने संबोधन में कहा कि “वंदेमातरम” केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत माता के प्रति प्रेम, गौरव और राष्ट्रभक्ति का शाश्वत मंत्र है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह गीत भारतीयों के लिए एकजुटता, साहस और त्याग का प्रतीक बन गया था। आज, जब हम इस गीत के 150 वर्ष मना रहे हैं, यह पीढ़ी दर पीढ़ी मातृभूमि के लिए जिम्मेदारी और समर्पण का स्मरण है।
डॉ. बुटोई ने भी सभी को प्रेरित करते हुए कहा कि चिकित्सा सेवा केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि मानवता की सच्ची सेवा है। अस्पताल के हर कर्मचारी को राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए, और वंदेमातरम का राष्ट्रीय गीत हर दिन हमें कर्तव्य-धर्म की प्रेरणा देता रहेगा।
यह गीत 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी प्रसिद्ध कृति ‘आनंदमठ’ में लिखा। स्वतंत्रता संग्राम में यह गीत प्रमुख प्रेरणा-स्रोत बना। 1937 में कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकारा गया, और 1950 में संविधान सभा ने इसे औपचारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया।
समारोह में डॉ. हेमापाल बुटोला, भीम सिंह राणा, विनोद चमोली, मनोज कुमार, रिषभ पंवार, अरविन्द बिष्ट, कंचन नैथानी, चन्द्र प्रकाश भट्ट, एस सती, दीपक जुगरान सहित अनेक अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे, जिन्होंने देश के प्रति कर्तव्य और सेवा की भावना के साथ ‘वंदेमातरम’ के महत्व को पुनर्स्मरण किया।


