ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण से सटे कुमाऊं के चौखुटिया क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को लेकर लगातार आंदोलन तेज हो रहा है। आंदोलनकारियों ने शुक्रवार को अपनी पदयात्रा मेहलचौरी पहुंची, जिसमें मुख्य आंदोलनकारी पूर्व सैनिक भुवन कठैत ने स्पष्ट किया कि वे जनता और सरकार के बीच की खाई को पाटने के लिए 300 किलोमीटर की यात्रा सिर्फ 10 दिन में पूरी कर दिखाएंगे।
बीते 22 दिनों से चौखुटिया अस्पताल के उच्चीकरण और चिकित्सा व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर महिलाएं भूख हड़ताल पर बैठ रही हैं। जनता ने सरकार के आश्वासन को झूठा करार दिया जबकि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री द्वारा की गई घोषणाएं अब तक कागज पर ही हैं, जिससे पूरी घाटी में अविश्वास की स्थिति बनी हुई है।
आंदोलन की अगली कड़ी में चेतावनी दी गई कि स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार तत्पर निर्णय नहीं लेती है तो दिल्ली के जंतर-मंतर पर तीव्र आंदोलन होगा। इस प्रयास को मेहलचौरी के व्यापार संघ और विभिन्न जन प्रतिनिधियों का सहयोग मिल रहा है। व्यापार संघ अध्यक्ष मोहन सिंह नेगी ने पर्वतीय क्षेत्र की स्वास्थ्य स्थिति को बेहद गंभीर बताया और जनता के प्रयास को समर्थन देने का वचन दिया। उक्रांद नेता आशीष नेगी ने आरोप लगाए कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पहाड़वासियों को छलने का काम करती आई हैं, जबकि द्वाराहाट के पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि सरकारें सिर्फ वोट बैंक देखकर अपना रवैया तय करती हैं, आम जनता की भावनाओं की परवाह नहीं की जाती।
गोपेश्वर में भी उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) ने जिले की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के खिलाफ जिला चिकित्सालय में जोरदार प्रदर्शन किया। पार्टी के महामंत्री बृजमोहन सिंह सजवाण और कार्यकर्ताओं ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के बाहर विरोध जताया। उन्होंने कार दुर्घटना के बाद जिले के एंबुलेंस और चिकित्सा सेवाओं की चिंताजनक स्थिति को उजागर किया, चिकित्सकों की कमी और विशेषज्ञों के अभाव को जनता की जान के लिए खतरा बताया। प्रदर्शन में प्रशासन के अधिकारी भी उपस्थित रहे। उक्रांद ने चेतावनी दी है कि अगर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं शीघ्र नहीं सुधरीं तो आंदोलन तेज होगा।
चौखुटिया स्वास्थ्य आंदोलन—2025 का आँकड़ा
| आंदोलन का चरण | मुख्य मांग | प्रमुख गतिविधि | शामिल लोग/समूह | सरकार की प्रतिक्रिया |
|---|---|---|---|---|
| 22 दिन भूख हड़ताल | अस्पताल उच्चीकरण एवं सुधार | भूख हड़ताल, पदयात्रा | महिलाएं, भुवन कठैत | आश्वासन, अमल नहीं |
| 300 किमी पदयात्रा | स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार | पैदल यात्रा | आंदोलनकारी, व्यापारी | मैदान बनाम पहाड़ नीति |
| जिला प्रदर्शन | चिकित्सा सेवाओं की मजबूती | अस्पताल विरोध | उक्रांद, नागरिक | चेतावनी, सुधार न हुआ तो आंदोलन |
चौखुटिया स्वास्थ्य आंदोलन ने कुमाऊं की घाटी और पूरे पर्वतीय क्षेत्र में सरकार की नीति, प्राथमिकता एवं जवाबदेही पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। जनता के सहयोग, महिला नेतृत्व, पूर्व सैनिकों के संघर्ष और स्थानीय संगठनों की सहभागिता से यह आंदोलन एक जनआंदोलन में तब्दील हो गया है। प्रशासन की सुस्ती और नेताओं के आश्वासन को चुनौती देते हुए अब आवाज दिल्ली तक ले जाने की तैयारी है। यह साफ हो चुका है कि पर्वतीय क्षेत्रों की जनता अपने अधिकारों के लिए न्यूनतम स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग को लेकर सड़क पर उतर आई है—यह जनभागीदारी ही बदलाव की असली ताकत है।



