दिवाली की रंगीन रात में देहरादून एक अजीब भयभीत माहौल का गवाह बना, जब केवल साढ़े छह घंटे के भीतर पूरे शहर में 12 अलग-अलग जगह आग की घटनाएं दर्ज की गईं। शहर के मेहूंवाला इलाके के प्लास्टिक गोदाम में भीषण आग भड़की, जिसकी प्लास्टिक की ज्वलनशीलता के कारण जहरीला धुआं दूर-दूर तक फैल गया था। दमकल विभाग को आग पर पूरी तरह काबू पाने में डेढ़ घंटे से अधिक का समय लगा, वहीं फायर फाइटर्स को सांस लेने में भी कठिनाई आई।
विभाग ने विशेष एग्जॉस्ट सिस्टम के जरिए क्षेत्र को सुरक्षित किया, जिससे किसी भी नागरिक के हताहत होने की खबर नहीं आई। इसी प्रकार निरंजनपुर मंडी की छत पर भी स्काई शॉट पटाखों से आग लग गई थी, जहां भवन के अंदर फलों के बक्से, लकड़ी और प्लास्टिक के तिरपाल भरे हुए थे। दुर्घटना के समय सभी लोग सुरक्षित बाहर निकल आए, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।
शहर के धर्मावाला, जीएमएस रोड, राजीव नगर, नेहरू ग्राम, सरस्वती बिहार और ओल्ड राजपुर रोड जैसे कई इलाकों से दमकल विभाग को आग लगने की कॉल मिली। विभाग ने बिना समय गंवाए घटनास्थल पर पहुंचकर तुरंत सभी जगहों पर आग बुझाने का काम किया। इस बार पिछली दिवाली के मुकाबले घटनाओं में स्पष्ट कमी रही। फायर विभाग अधिकारी किशोर उपाध्याय ने बताया कि पिछले वर्ष दिवाली पर 39 कॉल आई थीं, जबकि इस बार केवल 12 कॉल दर्ज की गईं, जो कि नगरवासियों की बढ़ती जागरूकता और समय पर प्रतिक्रिया का परिणाम है।
इन घटनाओं के पीछे मुख्य कारण—पटाखों का बेधड़क इस्तेमाल, खासकर स्काई शॉट और रॉकेट—ही बताए गए हैं। फिर भी, इस बार लोगों की सावधानी और दमकल विभाग की मुस्तैदी के चलते एक बड़ी आफत शहर पर नहीं आई।
वर्तमान वर्ष और पिछले वर्ष के दिवाली पर आग की घटनाओं का आंकड़ा
| वर्ष | आग की घटनाएं | प्रमुख कारण |
|---|---|---|
| 2024 | 39 | पटाखे व लापरवाही |
| 2025 | 12 | स्काई शॉट, रॉकेट, जागरूकता |
दमकल विभाग की तत्परता, लोगों की जागरूकता और समय पर प्रतिक्रिया ने इस बार देहरादून को बड़ी भीषणता से बचा लिया। ऐसे मौके पर शहरवासियों ने दिखा दिया कि सामूहिक जागरूकता और सुरक्षा ही असली त्योहार है, जिससे भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सकता है। आगे भी फायर सेफ्टी जागरूकता को और मजबूत बनाना जरूरी है, ताकि आने वाले त्योहारों में कोई जनहानि न हो।



