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रुद्रनाथ पैदल मार्ग पर प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण प्रभावित, शोधार्थी सैर सलीका योजना के तहत बढ़ा रहे हैं जागरूकता।

श्रीनगर गढ़वाल।

नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर हिमालयी क्षेत्र विशेषकर उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों को जाने वाले पैदल मार्ग पर अब कूड़ा-कचरा, विशेषकर प्लास्टिक कचरे की अधिकता देखी जा रही है, जो हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है।

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गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग के शोधार्थियों के एक दल ने जब करीब 11800 फीट ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर की ओर गोपेश्वर से लगभग पांच किलोमीटर दूर सगर गांव के पैदल मार्ग पर यात्रा आरंभ की, तो मिले करीब 20 किलोमीटर के मार्ग पर भारी मात्रा में प्लास्टिक थैलियों सहित अनेक प्रकार का कचरा देखा, जो पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है।

गढ़वाल केंद्रीय विवि के पर्यटन विभाग के प्रोजेक्ट ऑफिसर और जिम्मेदार पर्यटक योजना संचालक डॉ. सर्वेश उनियाल ने बताया कि हिमालयी क्षेत्र में केवल सैर-सपाटा के नजरिए से आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं, जिससे यह समस्या उत्पन्न होती है। रुद्रनाथ के इस करीब 20 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग पर कचरे की बड़ी मात्रा पर्यटन गतिविधि का नकारात्मक परिणाम है। हिमालय के अन्य प्रमुख स्थलों पर भी पर्यटक जिम्मेदारी न निभाने की वजह से इसी प्रकार की पर्यावरणीय समस्याओं की सूचना मिल रही है।

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग के वरिष्ठ शोधार्थी निशांत के नेतृत्व में 18 सदस्यीय शोध छात्र दल ने इस वर्ष लगभग 11800 फीट ऊंचाई पर स्थित इस विशिष्ट मंदिर की अध्ययन यात्रा की। गोपेश्वर से मंडल रोड पर लगभग पांच किलोमीटर दूर सगर गांव से शुरू होकर 20 किलोमीटर के पैदल मार्ग से होता हुआ यह दल रुद्रनाथ मंदिर तक पहुँचा।

दल के सदस्य निशांत, दिव्या, कविता और आयुष्मान ने बताया कि सैर-सपाटा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि इसमें बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी भी होती है। पर्यटक और धार्मिक यात्राओं में सलीका बनाए रखना आवश्यक होता है। इसी उद्देश्य से गढ़वाल केंद्रीय विवि का पर्यटन विभाग “सैर सलीका” नामक योजना संचालित कर पर्यटकों और यात्रियों को जिम्मेदारी की भावना से जागरूक कर रहा है।

रुद्रनाथ पैदल मार्ग पर विवि के शोधार्थियों ने जो देखा, उससे साफ है कि पर्यटक और यात्रियों के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार की वजह से काफी अधिक मात्रा में प्लास्टिक एवं अन्य कूड़ा पड़ा मिलता है। अनेक जगहों पर कचरे के ढेर देखे गए, जो इस संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण के लिए अत्यंत चिंताजनक स्थिति पैदा कर रहा है।

इसलिए, हिमालयी पर्यावरण की रक्षा हेतु हर आगंतुक की जिम्मेदारी और जागरूकता जरूरी है। इसी दृष्टिकोण से दीपक, दिव्या, दृष्टि समेत अन्य छात्रों ने इस अध्ययन दल में हिस्सा लिया और “सैर सलीका” अभियान को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है।

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