ऋषिकेश।
राज्य की परिवहन व्यवस्था को लेकर सरकार और प्रशासन पर दबाव बढ़ाते हुए उत्तराखंड परिवहन महासंघ और उससे जुड़ी विभिन्न यूनियनों ने शुक्रवार को तीखी चेतावनी दी। ऋषिकेश बस अड्डे के समीप स्थित टीजीएमओ कार्यालय में आयोजित बैठक में ट्रांसपोर्ट यूनियनों के प्रतिनिधियों ने ऐलान किया कि अगर उनकी मांगों का समाधान नहीं हुआ, तो 25 अक्टूबर को पूरे गढ़वाल मंडल में चक्का जाम किया जाएगा।

बैठक की अध्यक्षता परिवहन महासंघ के पूर्व अध्यक्ष संजय शास्त्री ने की। उन्होंने कहा कि परिवहन आयुक्त द्वारा 18 अक्टूबर को बुलाई गई संवाद बैठक अचानक टाल दी गई, जिससे राज्यभर के कारोबारियों और वाहन स्वामियों में तीव्र नाराज़गी है। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि एआरटीओ ऋषिकेश परिसर के भीतर नवनिर्मित आटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) का संचालन विभाग द्वारा अनावश्यक रूप से रोका हुआ है। इसके चलते वाहन स्वामियों को 30 किमी दूर लालतप्पड़ स्थित एटीएस तक जाना पड़ रहा है, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी हो रही है।
पूर्व महासंघ अध्यक्ष ने मांग की कि एआरटीओ परिसर में एटीएस का संचालन तुरंत शुरू किया जाए। साथ ही उन्होंने आपदा व यात्रा न चलने की वजह से गत एक वर्ष में प्रभावित हुए वाहन मालिकों का टैक्स माफ करने और ड्राइवर-कंडक्टर को आर्थिक मदद देने का प्रस्ताव भी रखा। वक्ताओं ने एसटीए की पिछले बैठकों में बिना किराया बढ़ाए 5% टैक्स लागू किए जाने का विरोध किया और कहा कि जब तक किरायों में वृद्धि न हो, नया टैक्स तर्कसंगत नहीं।
बैठक में प्रमुख वक्ताओं ने सरकार और विभाग के रवैये पर नाराज़गी जताई। मालवाहन धारकों ने मांग की कि पर्वतीय क्षेत्रों के वाहनों का मौजूदा टैक्स 18,200 से बढ़ाकर 18,500 रुपए किया जाए और टैक्स बकाया के बोझ को समाप्त किया जाए। साथ ही भद्रकाली व तपोवन क्षेत्रों में मुख्य मार्ग पर धर्मकांटा (वजन तोलने का स्टेशन) लगाने की भी मांग उठी, जिससे ट्रक मालिकों को ट्रांसपोर्टिंग में पारदर्शिता मिल सके।
टीजीएमओ अध्यक्ष जितेंद्र सिंह नेगी ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सिर्फ समझौतों के भरोसे समस्याएं लटकाई जाती रहीं, तो 25 अक्टूबर को गढ़वाल मंडल के सभी जनपदों में बेमियादी चक्का जाम सुनिश्चित किया जाएगा। उनके अनुसार, 24 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण संयुक्त बैठक में आंदोलन की अंतिम रूपरेखा तैयार की जाएगी, ताकि विभाग और शासन को वाहन स्वामियों की वास्तविक परेशानियों की गंभीरता समझाई जा सके।
यातायात यूनियन के निवर्तमान अध्यक्ष मनोज ध्यानी ने बताया कि निजी बस/मैक्सी टैक्सी यूनियन से लेकर मालवाहन संगठन सहित सभी परिवहन संगठन इस एकजुट विरोध में शामिल रहेंगे। उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट यूनियन के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह नेगी ने भी राज्य के चालकों, परिचालकों और ट्रांसपोर्ट कर्मियों की कई पुरानी मांगों को दोहराते हुए कहा कि यह आंदोलन वाहन चालकों की आजीविका, टैक्स राहत, तथा बुनियादी संरचना की समस्याओं को लेकर है।
महासंघ की बैठक में उपस्थित अन्य सदस्यों में दिनेश बहुगुणा, नवीन रमोला, भोपाल सिंह नेगी, योगेश उनियाल, महाबीर सिंह रावत, सुधीर राय, भजन सिंह नेगी सहित कई अनुभवी पदाधिकारी और कार्यकर्ता थे। सभी ने सरकार व विभाग से अल्टीमेटम जारी करते हुए आग्रह किया कि उनकी मांगों पर ठोस और त्वरित कार्रवाई हो, अन्यथा परिवहन सेवाओं को ठप करने के लिए यूनियनें विवश होंगी।
इस प्रकार वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, उत्तराखंड राज्य के परिवहन क्षेत्र में समाधान की जरूरत जितनी प्रशासन को है, उतनी ही यूनियन की तरफ से एकजुटता, दबाव और जनहित को लेकर गंभीरता भी बढ़ गई है। आगामी 25 अक्टूबर को बड़ा चक्का जाम राज्यभर की जनता, कारोबारियों व सरकार के लिए एक बड़ी चेतावनी बन सकता है, जिससे यातायात एवं ट्रांसपोर्ट सेवा पूरी तरह प्रभावित हो सकती है। अगर सरकार उम्मीद के मुताबिक समाधान नहीं लाती, तो इसे भविष्य में भी प्रायः होने वाले परिवहन आंदोलनों की झलक माना जा सकता है।



