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Tehri Disaster Relief: डीएम ने आपदा गांवों की समस्याएं सुनी, राहत कार्यों को दी प्राथमिकता।

नई टिहरी।

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जिले में हाल की भीषण बारिश द्वारा उत्पन्न आपदा के बाद प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास कार्य को तीव्र गति से पूरा करने के लिए प्रशासन ने एक व्यापक रणनीति बनाई है। जिलाधिकारी नितिका खंडेलवाल के नेतृत्व में शुक्रवार को तहसील धनोल्टी क्षेत्र के विभिन्न गांवों—रगड़गांव, सौंदणा, घुड़सालगांव, चिफल्डी, तौलिया काटल आदि का दौरा किया गया, जहां ग्रामीणों की समस्याएं सुनी गईं और समाधान के लिए तत्काल निर्देश दिए गए।

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आपदा के बाद गाँवों की स्थिति

16-17 सितंबर को हुई मूसलधार बारिश से रगड़गांव, सौंदणा और आसपास के कई गांवों में भारी नुक़सान हुआ है। सड़कों का संपर्क टूट गया, पुल बह गए, सुरक्षात्मक दीवारें क्षतिग्रस्त हो गईं और बाढ़ ने पेयजल लाइनों को भी नुकसान पहुचाया। ग्रामीणों के अनुसार, आपदा के बाद अनेक परिवार घर से बेघर हो गए हैं और कई लोगों की आजीविका पर असर पड़ा है।

त्वरित राहत एवं पुनर्वास उपाय

जिलाधिकारी नितिका खंडेलवाल ने दूरस्थ गांवों में पहुँचकर हालात का जायजा लिया और वहां उपस्थित ग्रामीणों से सीधा संवाद किया। डीएम ने सभी विभागों को निर्देशित किया कि मुख्य समस्याओं, जैसे टुटी सड़कें, क्षतिग्रस्त संपर्क मार्ग, पुल निर्माण, बाढ़-सुरक्षा, जलापूर्ति, सभी पर प्राथमिकता के साथ कार्य किया जाए। विशेष रूप से सौंदणा गांव के 14 परिवारों के पुनर्वास की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। प्रशासन का दावा है कि विस्थापित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर बसाने के लिए किराए का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

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चिफल्डी गधेरे पर प्रस्तावित ब्रिज की स्वीकृति मिल गई है और निर्माण कार्य जल्द आरंभ होने वाला है। Additionally, तौलिया काटल, घुड़सालगांव तथा अन्य इलाकों के लोग प्रशासन से सड़क, पुल, दीवार, बाढ़-सुरक्षा जैसी अपनी स्थानीय मांगें रख रहे हैं।

शिक्षा और स्वास्थ्य में राहत

रगड़गांव के राजकीय इंटर कॉलेज (राइंका) की आपदा से क्षतिग्रस्त कंप्यूटर लैब के पुनर्निर्माण के लिए प्री-फैब स्ट्रक्चर, जनरेटर और फर्नीचर का प्रस्ताव तैयार करने का आदेश दिया गया। स्कूल के विद्यार्थियों के लिए समुचित सुविधा सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग को समयबद्ध ढंग से कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाकर प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों की चिकित्सा जांच की गई, ताकि संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचे रहें। ग्रामीणों ने मिनी स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना और चिकित्सा स्टाफ की नियुक्ति की मांग भी प्रशासन के समक्ष रखी।

सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण योजनाएँ

विस्थापित परिवारों की समस्याओं के समाधान के लिए जिलाधिकारी ने तहसीलदार और बीडीओ को सौंदणा गांव के विस्थापितों के पुनर्वास तक हर प्रकार की किराए और सुरक्षा दीवार सम्बन्धी प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने के निर्देश दिए। रगड़गांव के दिव्यांग सुशील की पेंशन प्रक्रिया में तेजी लाने का आश्वासन भी दिया गया।

सौंग बांध परियोजना से प्रभावित 27 आंशिक विस्थापित परिवारों ने प्रशासन से बांध के पास ही मकान और भूमि दिए जाने की मांग उठाई है। साथ ही, इलाके को आपदा प्रभावित घोषित करके विशेष पैकेज दिये जाने, क्षेत्र को पर्यटन सर्किट से जोड़ने, सड़क निर्माण तथा मिनी स्वास्थ्य केंद्र खोलने की मांगें भी ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखीं।

सरकार की पहल और कम्युनिटी भागीदारी

डीएम नितिका खंडेलवाल ने कहा कि राज्य सरकार की ‘सरकार जनता द्वार’ योजना ग्रामीणों की समस्याओं को मौके पर हल करने की दिशा में एक असरदार पहल है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को हर मांग और समस्या पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया और भरोसा दिलाया कि प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता दी जाएगी।

दर्जाधारी राज्यमंत्री संजय नेगी, ब्लॉक प्रमुख सीता पंवार, जिपं सदस्य भूत्सी सीता मनवाल, क्षेपंस सीता देवी और डीडीओ मोहम्मद असलम जैसे जन प्रतिनिधि और अधिकारी राहत अभियान में सक्रिय रूप से मौजूद रहे। इन्होंने भी सरकार द्वारा आपदा प्रभावित इलाकों के हित में संवेदनशीलता और जागरूकता की बात दोहराई।

आगे की राह और स्थानीय जन अपेक्षाएँ

प्रभावित ग्रामीणों ने राजस्व, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, और रोजगार से जुड़ी अपनी अपेक्षाओं को स्पष्ट रूप से अधिकारियों के समक्ष रखा। डीएम ने यह भरोसा दिलाया कि हर कार्य में पारदर्शिता और प्राथमिकता के साथ निष्पादन सुनिश्चित किया जाएगा। राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया सामूहिक मॉडल के तहत, सरकार और समुदाय की भागीदारी से तेजी से आगे बढ़ाई जा रही है।

इस प्रकार, नई टिहरी जिले के आपदा प्रभावित गांवों में प्रशासनिक सक्रियता और समग्र राहत नीति से आमजन में भरोसा बढ़ा है। अपने अधिकार और सुविधा के लिए आवाज उठाना और स्थानीय प्रशासन की उपस्थिति—यह दोनों ही तत्व संवेदनशील शासन-प्रशासन के संकेत हैं। आपदा के बाद पुनर्निर्माण की राह में सभी की जिम्मेदारी और जागरूकता जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से सामूहिक रूप से निपटा जा सके।

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