श्रीनगर गढ़वाल।
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कॉलेज के हेमवती नंदन बहुगुणा बेस अस्पताल ने चिकित्सा क्षेत्र में घुटनों के ऑपरेशन “ghutna pratyaropan success” का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। ऑर्थोपेडिक विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने पहली बार एक ही सर्जरी में 76 वर्षीय महिला मरीज के दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण करके जिला एवं राज्य स्तर पर एक प्रेरणास्पद उदाहरण पेश किया है।

अब तक उत्तराखंड सहित देश के ज्यादातर अस्पतालों में आमतौर पर सर्जन एक बार में सिर्फ एक घुटने की सर्जरी करते हैं क्योंकि यह जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया होती है। लेकिन श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की अनुभवी टीम ने अपने कौशल का परिचय देते हुए मरीज रामेश्वरी देवी को दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण एक साथ करके न केवल उसका जीवन आसान बनाया, बल्कि चिकित्सा विज्ञान को भी नई दिशा दी।
रामेश्वरी देवी, कुंजविहार श्रीनगर निवासी, वर्षों से घुटनों के ज़बर्दस्त दर्द से परेशान थीं। उनके दोनों घुटने घिस चुके थे और मुड़ने की वजह से बैठना, चलना या किसी भी दैनिक क्रिया को करना मुश्किल हो गया था। लगातार इलाज और सलाह के बावजूद उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही थी और उनकी परेशानियां बढ़ती जा रही थीं।
इसी अवस्था में उन्होंने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक विभाग प्रमुख, वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. दया कृष्णा से सम्पर्क साधा और अपनी पूरी समस्या साझा की। डॉ. दया कृष्णा ने परीक्षण के बाद दोनों घुटनों के प्रत्यारोपण की सलाह दी, जिससे उनके जीवन में उम्मीद की नई किरण जागी।
9 अक्टूबर 2025 को श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के ऑपरेशन थिएटर में ऑर्थोपेडिक विभाग और एनेस्थीसिया टीम ने मिलकर यह ऐतिहासिक सर्जरी की। डॉ. दया कृष्णा टम्टा के मार्गदर्शन में पी.जी. रेजिडेंट डॉ. सुखजीत, एनेस्थीसिया के सीनियर प्रोफेसर डॉ. अजय विक्रम सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वंदना गेहरवाल, और अन्य सहयोगी डॉक्टरों ने पूरी प्रक्रिया सफलतापूर्वक निभाई।
ऑपरेशन के बाद केवल तीन दिन में मरीज को वॉकर की सहायता से चलाया गया, और अब वह बिना दर्द के सामान्य जीवन जी पा रही हैं। श्रीनगर के मेडिकल कॉलेज ने इस उपलब्धि के साथ सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम व टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान है।
गौरतलब है कि घुटनों का यह दोहरा प्रत्यारोपण आयुष्मान भारत योजना के तहत निशुल्क किया गया, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद मरीजों को भी उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवाएं प्राप्त हुईं। इस योजना के जरिए राज्य में सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है, जिससे इलाज से वंचित जनता को लाभ मिल सके।
इस उपलब्धि पर चिकित्सा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी मेडिकल कॉलेज को बधाई दी और कहा कि
प्रदेश सरकार द्वारा आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के प्रयासों की वजह से अब श्रीनगर जैसे पहाड़ी इलाके में भी जटिल ऑपरेशन सफलता पूर्वक हो रहे हैं।
मंत्री ने इस कार्य को प्रदेश के लिए गौरव की बात बताया और कहा कि सरकार का प्रयास है कि हर मरीज को सर्वोत्तम इलाज और देखभाल मिले।
राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने भी ऑर्थोपेडिक विभाग की पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि एक ही ऑपरेशन में दोनों घुटनों का सफल प्रत्यारोपण हमारे डॉक्टरों की उच्च दक्षता और टीमवर्क का उदाहरण है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे ऐतिहासिक ऑपरेशन न केवल मेडिकल कॉलेज के लिए, बल्कि पूरे राज्य के पर्वतीय क्षेत्र और आम जनता के लिए प्रेरणादायक हैं। अब बड़े शहरों जैसी अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ श्रीनगर के नागरिकों को भी मिल रही हैं, जिससे चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था का स्तर तेजी से बढ़ रहा है।
इस सफल सर्जरी की वजह से मरीज रामेश्वरी देवी ने भी डॉक्टरों और प्रशासन का आभार प्रकट किया। मरीज कम समय में चलने-फिरने लायक हो गई और उनकी जीवन-शैली पहले से बेहतर हो गई है। अब वह बिना दर्द के उठने-बैठने, चलने तथा अपनी दिनचर्या को सुचारु रूप से पूरा कर पा रही हैं।
बहुत कम समय में इस तरह का दोहरा प्रत्यारोपण करना स्वास्थ्य क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि है, जिससे न केवल मरीज, बल्कि उनके परिवारीजन भी बेहद खुश हैं। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल प्रबंधन ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि से पूरे राज्य में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की नई साख कायम कर दी है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह सिद्ध होता है कि अनुभव, तकनीक और समर्पण की वजह से अब राज्य के दूरदराज के हिस्सों में भी बेहतर इलाज संभव है। आयुष्मान भारत योजना, अनुभवी डॉक्टरों की टीम, अत्याधुनिक उपकरण और सरकार की सक्रियता – ये सभी मिलकर स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं।
यह मामला सिर्फ एक जटिल ऑपरेशन का नहीं, बल्कि सरकारी अस्पतालों की बढ़ती गुणवत्ता, मरीजों का भरोसा और चिकित्सकों की कड़ी मेहनत का परिचायक है। आने वाले समय में और ऐसे सफल ऑपरेशन होंगे, जिससे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति और तेजी से होगी।



