पुरोला।
भारतीय नौसेना के 13 जवानों ने उत्तराखंड की बंदरपूंछ पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी कालानाग (6,287 मीटर) पर इस वर्ष का पहला सफल आरोहण किया। गोविंद पशु वन्य जीव विहार के तहत आने वाली इस चोटी पर जवानों ने 5 अक्टूबर को जीत हासिल की और सकुशल सांकरी लौट आए। स्थानीय ट्रेकिंग एजेंसी हाइक 2 हेवन के सहयोग से नौसेना की इकाई आईएनएस सतवाहना और अन्य यूनिटों के जवानों ने यह अभियान 24 सितंबर को शुरू किया था।
कठिन परिस्थितियों में उपलब्धि
भीषण बर्फबारी, तेज हवाओं और शून्य से नीचे तापमान का सामना करते हुए यह दल 4 अक्टूबर को समिट बेस कैंप पहुंचा और अगले दिन कालानाग चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की। हाइक 2 हेवन के सह-संस्थापक दीपक कुमार के नेतृत्व में दल में गाइड गोविंद शेर्पा, भूपेंद्र शाही, अजीत रावत, दीपक रावत, कुलदीप रावत, ज्योति, इस्मिता और विक्की शामिल थे। अभियान सांकरी, तालुका, ओसला, रूइनसारा ताल, क्यारकोटी बेस कैंप, एडवांस बेस कैंप और समिट कैंप से होकर पूरा हुआ।
अन्य दलों की असफलता
दीपक कुमार ने बताया कि इस सीजन में दो अन्य दलों ने भी कालानाग पर चढ़ाई का प्रयास किया, लेकिन केवल नौसेना और हाइक 2 हेवन की टीम को ही सफलता मिली। यह उपलब्धि उत्तराखंड के साहसिक पर्यटन और पर्वतारोहण के लिए मील का पत्थर है।
पर्यटन को नया आयाम कालानाग चोटी, जो 1955 में पहली बार चढ़ी गई थी, साहसिक पर्वतारोहण के लिए प्रसिद्ध है। हर्षिल में केनोइंग जैसे जलक्रीड़ा अभियान भी पर्यटन को नई दिशा दे रहे हैं। यह दोनों गतिविधियां उत्तराखंड की साहसिक छवि को मजबूत करेंगी।