World Disabled Day 2024: विश्व दिव्यांग दिवस 2024 के अवसर पर देहरादून में समाज कल्याण विभाग की ओर से राज्य स्तरीय दक्षता पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य के दक्ष दिव्यांगजन और उत्कृष्ट स्पोर्ट्समैन के साथ ही स्वयं सहायता समूह के जरिए स्वरोजगार व दिव्यांगजनों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा करते हुए कहा कि सभी दिव्यांग छात्र-छात्राओं को निशुल्क आईएएस ऑनलाइन कोचिंग की व्यवस्था सभी जिलों में की जाएगी।
उत्तराखंड के 2,700 लोग होंगे सम्मानित:
विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर प्रदेश भर के 2,700 लोगों को सम्मानित किए जाने के लिए चयन किया गया है। जिसमें से 65 लोगों को सम्मानित किया गया। दरअसल, हर साल विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर समाज कल्याण विभाग की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में सीएम पुष्कर धामी ने प्रदेश के सभी 13 जिलों से आए 65 लोगों को 8 हजार रुपए का चेक और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
वहीं, सम्मान के लिए चयनित अन्य सभी लोगों को जिला स्तर पर ही सम्मानित किया जाएगा। सीएम धामी ने कहा कि दिव्यांग लोगों ने शारीरिक स्थिति को एक चुनौती के रूप में लेकर न सिर्फ अपने सपनों को साकार किया है। बल्कि, समाज को भी प्रेरित करने का काम किया है। साथ ही ये सिद्ध करके दिखाया है कि ऐसा कोई काम नहीं है, जिसको दिव्यांग भाई-बहन नहीं कर सकते हैं।
आज कोई सा भी क्षेत्र हो, हर क्षेत्र में दिव्यांगजनों ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर अपना लोहा मनवाने का काम किया है। साथ ही अन्य लोगों को प्रेरित करने का काम भी किया है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 को लागू किया गया है। जिसमें दिव्यांगों के प्रकारों को 7 से बढ़ाकर 21 किया गया है। जिससे दिव्यांगजनों के दैनिक जीवन में तमाम सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
उत्तराखंड में राज्य सरकार भी दिव्यांगजनों के लिए हर स्तर पर तमाम सुविधाओं को बढ़ाने पर काम कर रही है। आज कोई भी निर्माण कार्य किया जा रहा है तो उसमें दिव्यांगजनों का ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य कराया जाता है। ताकि, दिव्यांगजनों को आने-जाने में कोई दिक्कत न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगजनों को अलग-अलग कैटेगरी में विभिन्न प्रकार की पांच पेंशने दी जा रही है, जिनके माध्यम से प्रदेश के करीब एक लाख दिव्यांगजन लाभांवित हो रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश में दिव्यांगजनों को प्रतिमाह 1500 रूपये पेंशन तथा जन्म से दिव्यांग बच्चों के माता-पिता को 18 वर्ष तक प्रतिमाह 700 रुपए का भरण-पोषण अनुदान दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य करने के दौरान दुर्घटनावश दिव्यांग हो जाने पर 1200 रूपए प्रतिमाह की पेंशन दी जा रही है। 21 वर्ष की आयु होने के बावजूद 4 फीट से कम लंबाई वाले व्यक्तियों को भी 1200 रूपए प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। दिव्यांगजनों को विशिष्ट पहचान पत्र जारी कर सरकारी कल्याणकारी योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में दिव्यांगजन से विवाह करने पर 25 हजार रूपए की धनराशि दिव्यांग दम्पत्ति को प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान की जा रही है। यही नहीं कक्षा एक से कक्षा आठ तक के दिव्यांग बच्चों अथवा दिव्यांग अभिभावको के बच्चों को भी छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग या उपकरण खरीदने के लिए 7 हजार रूपए की धनराशि भी एकमुश्त प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार दिव्यांगजनों को आर्थिक लाभ देने के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में भी प्राथमिकता के साथ कार्य कर रही है। दिव्यांगजनों के स्वरोजगार हेतु जनपद टिहरी, नैनीताल व पिथौरागढ़ में प्रशिक्षण केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जिसमें दिव्यांगजनों को निःशुल्क प्रिंटिंग प्रेस, सिलाई कटाई आदि का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिव्यागों को बहुआयामी सेवायें प्रदान किये जाने हेतु प्रत्येक जनपद में जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों की भी स्थापना की गयी है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत राज्य में ‘‘दिव्यांग सलाहकार बोर्ड’’ का गठन भी किया गया है। दिव्यांगजनों के अधिकारों के संरक्षण और संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु राज्य में न्यायालय आयुक्त की स्थापना की गयी है, साथ ही प्राप्त शिकायतों के निस्तारण हेतु ऑनलाईन सुनवाई की सुविधा भी प्रारम्भ की गयी है। राज्य में मानसिक रूप से दिव्यांग महिलाओं हेतु देहरादून में एक विशेष ‘‘नारी निकेतन’’ संचालित किया जा रहा है। इसी प्रकार हरबर्टपुर क्षेत्र में मानसिक रूप से दिव्यांग महिलाओं को सबल बनाये जाने हेतु ‘‘हाफ वे होम’’ संचालित किया जा रहा है। जहां एक ओर स्वास्थ्य विभाग द्वारा देहरादून में ‘मानसिक स्वास्थ्य संस्थान’ संचालित किया जा रहा है वहीं ऊधमसिंहनगर में ‘विशेष मानसिक पुनर्वास गृह’ का निर्माण भी किया जा रहा है।