उत्तराखंड

उत्तराखंड में साइबर अपराध (Cyber Crime) पर STF की बड़ी कार्रवाई: हिमाचल से डिजिटल अरेस्ट स्कैम का मुख्य आरोपी गिरफ्तार

उत्तराखंड में साइबर अपराध (Cyber Crime) पर STF की बड़ी कार्रवाई: हिमाचल से डिजिटल अरेस्ट स्कैम का मुख्य आरोपी गिरफ्तार

The Uttarakhand Special Task Force (STF) has apprehended a key accused in a digital arrest scam originating from Himachal Pradesh, following a significant cybercrime operation.

रुद्रपुर

उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने साइबर अपराध (Cyber Crime) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश के सोलन से एक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया है। यह आरोपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त कुलपति बीना साह को 1.47 करोड़ रुपये की ठगी (Cyber Fraud) करने में शामिल था। अपराधियों ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए पीड़िता को 12 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) में रखा था।

डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) का नया तरीका

साइबर अपराधियों ने पीड़िता को महाराष्ट्र पुलिस के साइबर क्राइम विभाग (Maharashtra Cyber Police) के अधिकारी बनकर व्हाट्सएप कॉल पर डिजिटल अरेस्ट किया। उन्होंने दावा किया कि पीड़िता के नाम पर खोले गए बैंक खाते में 60 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) की गई है। डराने-धमकाने और कानूनी कार्रवाई का भय दिखाकर अपराधियों ने पीड़िता से 12 दिनों में विभिन्न बैंक खातों में 1.47 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवाए।

STF की जांच और गिरफ्तारी (Cyber Investigation)

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) नवनीत सिंह ने बताया कि अगस्त 2025 में नैनीताल की पीड़िता ने साइबर थाना कुमाऊं परिक्षेत्र में शिकायत दर्ज की थी। शिकायत में बताया गया कि अज्ञात व्यक्तियों ने महाराष्ट्र साइबर क्राइम विभाग के अधिकारी बनकर पीड़िता को फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी। व्हाट्सएप कॉल के जरिए पीड़िता को डिजिटल अरेस्ट में रखकर 1.47 करोड़ रुपये की ठगी की गई।

मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी नवनीत सिंह के निर्देश पर अपर पुलिस अधीक्षक स्वप्न किशोर और पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा की निगरानी में साइबर क्राइम पुलिस (Cyber Police) ने जांच शुरू की। जांच के दौरान बैंक खातों, मोबाइल नंबरों, और व्हाट्सएप डेटा को बैंकों, सर्विस प्रोवाइडरों, और मेटा कंपनी से प्राप्त किया गया। डेटा विश्लेषण से पता चला कि अपराधियों ने पीड़िता को डिजिटल अरेस्ट कर कई खातों में पैसे ट्रांसफर करवाए।

आरोपी की पहचान और बरामद सामग्री (Arrest Details)

पुलिस ने तकनीकी और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर मुख्य आरोपी राजेंद्र कुमार को हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले से गिरफ्तार किया। आरोपी का स्थायी पता हरियाणा के यमुनानगर जिले का लक्खीबंस गांव है। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने निम्नलिखित सामग्री बरामद की:

बरामद सामग्रीविवरण
मोबाइल फोन03
सिम कार्ड03
चेक बुक02 (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, एक्सिस बैंक)
हस्ताक्षरित चेक03
ब्लैंक चेक02 (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया), 02 (एक्सिस बैंक), 03 (इंडियन ओवरसीज बैंक)
फर्म की मोहरें04
वाई-फाई राउटर01
डेबिट कार्ड03
अन्य दस्तावेजजीएसटी रजिस्ट्रेशन, उद्यम रजिस्ट्रेशन, बिल बुक

अपराध का तरीका (Modus Operandi)

आरोपी ने पीड़िता को महाराष्ट्र साइबर क्राइम विभाग का अधिकारी बताकर डराया। उसने दावा किया कि पीड़िता के नाम पर खोले गए केनरा बैंक खाते में 60 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। व्हाट्सएप कॉल के जरिए पीड़िता को लगातार संपर्क में रहने और किसी से बात न करने की हिदायत दी गई। बैंक खातों के कथित सत्यापन के लिए डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 1.47 करोड़ रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवाए गए।

आरोपी राजेंद्र कुमार ने कॉसमॉस इंटरप्राइजेज नामक फर्म के खाते में 50 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए। इस खाते को अन्य व्यक्तियों के नाम पर खोला गया था, जिसे आरोपी नेटबैंकिंग के जरिए संचालित करता था। बरामद सामग्री में इस खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर, डिवाइस, वाई-फाई राउटर, और चेक शामिल हैं।

अन्य अपराधों में संलिप्तता (Multiple Cyber Frauds)

प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि जून से अगस्त 2025 तक आरोपी ने इस बैंक खाते के जरिए लाखों रुपये के लेन-देन किए। आरोपी ने अलग-अलग व्यक्तियों के खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी (Online Fraud) के लिए किया। पुलिस अब अन्य संदिग्ध खातों और अपराधियों की जांच कर रही है।

पुलिस टीम की भूमिका (Police Team)

इस कार्रवाई में निरीक्षक अरुण कुमार, अपर उपनिरीक्षक सत्येंद्र गंगोला, हेड कांस्टेबल सोनू पांडे, और मनोज कुमार की टीम शामिल थी। एसटीएफ ने बैंकों और मेटा कंपनी के सहयोग से तकनीकी साक्ष्य जुटाए और आरोपी को पकड़ने में सफलता हासिल की।

साइबर अपराध से बचाव (Fraud Prevention)

एसएसपी नवनीत सिंह ने लोगों से अपील की कि वे अनजान कॉल्स और व्हाट्सएप संदेशों पर भरोसा न करें। डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया भारत में नहीं है। संदिग्ध कॉल मिलने पर तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम पोर्टल www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।

उत्तराखंड एसटीएफ की यह कार्रवाई साइबर अपराध (Cyber Crime) के खिलाफ एक बड़ी सफलता है। पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत सूचना देने की अपील की है।

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