उत्तराखंड

ग्लेशियर झीलों में वृद्धि: एक चिंताजनक शोध Increase in Glacier Lakes: A Concerning Study

ग्लेशियर झीलों में वृद्धि: एक चिंताजनक शोध Increase in Glacier Lakes: A Concerning Study

मानसून के दौरान लगातार हो रही घटनाओं के बीच, वाडिया इंस्टीट्यूट और दून विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुत किया है, जो उत्तराखंड में ग्लेशियरों और झीलों की स्थिति पर प्रकाश डालता है।

मानसून में लगातार हो रही घटनाओं के बीच वाडिया इंस्टीट्यूट और दून विवि के वैज्ञानिकों ने चेताया है। उनके ताजा शोध में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उत्तराखंड ग्लेशियर, झीलों और आपदाओं के मुहाने पर है। पिछले 10 साल में दो प्रतिशत झीलें बढ़ गईं तो उनका क्षेत्रफल आठ प्रतिशत बढ़ गया है।

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के रिसर्च फैलो शर्मिष्ठा हलदर, सौम्या सत्यप्राज्ञान, दून विवि के असिस्टेंट प्रोफेसर उज्ज्वल कुमार, रिसर्च स्कॉलर दीप्ति एस, वैज्ञानिक राकेश भांबरी का यह शोधपत्र इसी साल मई में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने रिसॉर्ससैट-2 एलआईएसएस-4 जैसे हाई-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट की मदद से अध्ययन किया है।

झीलों की संख्या और क्षेत्रफल में वृद्धि (Increase in Number and Area of Lakes)

वर्ष 2013 में जहां प्रदेश में 1266 ग्लेशियर झीलें थीं, उनकी संख्या 2023 में बढ़कर 1290 पर पहुंच गई। चिंताजनक बात ये भी है कि वर्ष 2013 में इन झीलों का क्षेत्रफल 75.9 लाख वर्ग मीटर था जो कि 2023 में बढ़कर 82.1 लाख वर्ग मीटर हो गया है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि मोरेन-डैम (बर्फ से आई मिट्टी, पत्थर से बनी) झीलें प्रदेश के लिए ज्यादा खतरा हैं। इनकी संख्या 10 साल में 19.2 प्रतिशत बढ़ी हैं जबकि क्षेत्रफल 20.4 प्रतिशत बढ़ गया है। जो साफ संकेत करता है कि बर्फ और ग्लेशियर पहले से कहीं ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं।

उत्तराखंड की कुल झीलों का 58 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं मोरेन-डैम झीलों का है। इनमें बड़ी संख्या में झीलें ग्लेशियर पीछे हटने के कारण बनी हैं। दूसरी ओर, सुप्राग्लेशियल झीलों (ग्लेशियर की सतह पर बनी) की संख्या 10 साल में 809 से घटकर 685 रह गई लेकिन कई छोटी झीलें आपस में मिलकर बड़ी झील बन रही हैं। 2023 में इन झीलों में से 62 प्रतिशत ऐसी थीं, जिनका क्षेत्रफल 800 वर्ग मीटर से अधिक है। ये झीलें अधिकतर 4500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर हैं।

वर्षकुल ग्लेशियर झीलेंकुल क्षेत्रफल (लाख वर्ग मीटर)मोरेन-डैम झीलें (क्षेत्रफल वृद्धि)
2013126675.9
2023129082.120.4%

खतरे वाले जिले और तुलना (Hazardous Districts and Comparison)

अध्ययन में ये भी सामने आया है कि सबसे ज्यादा झीलें चमोली और उत्तरकाशी जिलों में हैं। इनके फटने का खतरा भी यहीं सबसे ज्यादा है। इस कारण स्थानीय निवासियों, सड़कों, पुलों व जल विद्युत परियोजनाओं पर खतरा मंडरा रहा है।

हिमाचल में भले ही ज्यादा ग्लेशियर हों लेकिन वहां सिर्फ 228 सुप्राग्लेशियल झीलें हैं। उत्तराखंड में 685 सुप्राग्लेशियल झीलें पाई गईं। स्पष्ट है कि उत्तराखंड में तेज मानसूनी बारिश, कम अक्षांश और नीचे ग्लेशियर होने के कारण पिघलने की रफ्तार ज्यादा है।

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