देहरादून:
उत्तराखण्ड के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। राज्य में फिलहाल बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने उत्तराखण्ड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें यूपीसीएल ने 674.77 करोड़ रुपये की “कैरिंग कॉस्ट” (Carrying Cost) की मांग की थी। आयोग ने इस मांग को आधारहीन मानते हुए ठुकरा दिया है।
यूपीसीएल की याचिका और आयोग का फैसला
यूपीसीएल ने यह याचिका 11 अप्रैल को जारी टैरिफ आदेश के खिलाफ दायर की थी। याचिका में कंपनी ने अपने खर्चों की भरपाई के लिए अतिरिक्त राशि की मांग की थी। यूपीसीएल का तर्क था कि 129.09 करोड़ रुपये के डिले पेमेंट सरचार्ज (DPS) को टैरिफ में शामिल न किया जाए, क्योंकि वर्ष 2012 में राज्य सरकार ने निगम से लेनदेन में DPS न लेने का निर्णय लिया था। हालांकि, आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार हो या उपभोक्ता – नियम सबके लिए एक जैसे हैं। आयोग ने यह भी कहा कि DPS को टैरिफ में शामिल करना उचित है, और इससे दरों में कमी आती है।
लाइन लॉस (Line Loss) के लक्ष्य में भी चुनौती
यूपीसीएल के लिए आगामी तीन वर्षों का बिजनेस प्लान (Business Plan) भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। कंपनी ने 2025-26 के लिए 13.50% लाइन लॉस का दावा किया था, जिसे आयोग ने घटाकर 12.75% कर दिया। इसी तरह 2026-27 के लिए 13.21% के बदले 12.25% और 2027-28 के लिए 12.95% के बदले 11.75% लाइन लॉस का लक्ष्य तय किया गया है। इसका अर्थ है कि यूपीसीएल को अगले तीन साल में अपने लाइन लॉस (Line Loss) को 11.75% तक लाना होगा।
यूपीसीएल लाइन लॉस में लक्ष्यों से पिछड़ रहा
आयोग ने यह भी कहा कि पिछले तीन वर्षों में यूपीसीएल निर्धारित लक्ष्यों (Targets) के मुकाबले काफी पीछे रहा है।
वित्तीय वर्ष (Financial Year) | निर्धारित लक्ष्य (Targeted Line Loss) | वास्तविक लाइन लॉस (Actual Line Loss) |
---|---|---|
2021-22 | 13.75% | 14.70% |
2022-23 | 13.50% | 16.39% |
2023-24 | 13.25% | 15.63% |
आयोग ने कहा कि यूपीसीएल की पुनर्विचार याचिका में कोई नया तथ्य, स्पष्ट त्रुटि या वैध आधार नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है। गौरतलब है कि 5 अगस्त को आयोग ने इस याचिका पर सार्वजनिक जनसुनवाई (Public Hearing) भी की थी, जिसमें कई हितधारकों (Stakeholders) ने विरोध जताया था। आयोग ने सभी पक्षों की बात सुनने के बाद यह फैसला सुनाया।
मुख्य बिंदु (Key Takeaways):
- बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं: उपभोक्ताओं को तत्काल राहत।
- यूपीसीएल की पुनर्विचार याचिका खारिज: कैरिंग कॉस्ट और DPS की मांग ठुकराई गई।
- लाइन लॉस (Line Loss) के लक्ष्य कड़े: अगले तीन वर्षों में 11.75% तक लाना होगा।
- यूपीसीएल पिछले तीन वर्षों में लक्ष्यों से पीछे: वास्तविक नुकसान निर्धारित से अधिक।
- नियम सबके लिए समान: आयोग ने सरकार और उपभोक्ता के लिए एक ही नियम लागू किया।