देहरादून।
उत्तराखंड में आयुष सेवाओं ने नई ऊंचाइयां छू ली हैं। नेशनल आयुष मिशन के तहत राज्य में पिछले 22 महीनों में 67 लाख से अधिक लोगों ने आयुर्वेद, योग और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का लाभ उठाया है। हर महीने करीब तीन लाख लोग इन सेवाओं से जुड़ रहे हैं, जो राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांति ला रही है।
विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 में उत्तराखंड की इस उपलब्धि की खूब चर्चा हुई। केंद्रीय आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड जैसी पहाड़ी राज्य में आयुष सेवाओं का इतना व्यापक रूप से फैलना वाकई काबिले तारीफ है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सरकार का लक्ष्य है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं हर घर तक पहुंचें और उत्तराखंड में इस दिशा में जो काम हो रहा है, वह बेहद सराहनीय है।
राज्य में आयुष हॉस्पिटलों का जाल भी तेजी से बिछ रहा है। 50 बेड के पांच और दस बेड के दो आयुष हॉस्पिटल पहले से ही संचालित हैं। इसके अलावा छह नए आयुष हॉस्पिटलों का निर्माण कार्य भी जोरों पर है। इसके साथ ही, राज्य के 300 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में से 150 को एनएबीएच मानक के अनुरूप प्रमाणित किया जा चुका है। बाकी मंदिरों को भी जल्द ही इस मानक के अनुरूप किया जाएगा।
आयुष सेवाएं न केवल बीमारियों का इलाज करती हैं बल्कि लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित भी करती हैं। योग, प्राणायाम और आयुर्वेदिक दवाएं लोगों को कई तरह की बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं। उत्तराखंड की पहाड़ी परिस्थितियों में रहने वाले लोगों के लिए आयुष सेवाएं और भी ज्यादा उपयोगी हैं।
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नेशनल हेल्थ मिशन के तहत आम जन तक आयुष सेवाओं का लाभ पहुंचाने के लिए पूरी ताकत से काम किया जा रहा है। इस संबंध में केंद्र सरकार का भी पूरा सहयोग राज्य को मिल रहा है। मुझे विश्वास है कि नेशनल आयुष मिशन के तहत हम प्रदेश में अधिक से अधिक लोगों को स्थानीय स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में सफल रहेंगे। – पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री