उत्तराखंड

उत्तराखंड में अभी भी आरक्षण को लेकर है कन्फ्यूजन, निकाय चुनाव में हो रही है देरी

उत्तराखंड में निकाय चुनाव के लिए आरक्षण की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है और इसको लेकर राजनीतिक दलों में अभी भी कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। उच्च न्यायालय ने नवंबर में चुनाव के आदेश दिए थे लेकिन आरक्षण की स्थिति को लेकर अभी तक दावेदारों की स्थिति साफ नहीं हुई है।

हालांकि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा और कांग्रेस के संभावित महापौर पद के प्रत्याशी जनसंपर्क अभियान में अभी से जुड़ गए हैं। लेकिन आरक्षण के विषय पर निर्णय न होने की वजह से प्रत्याशियों का चयन नहीं हो पा रहा है।भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने कहा कि उनकी पार्टी हर चुनावी प्रक्रिया के लिए हमेशा तैयार रहती है।

उन्होंने माना कि आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने से थोड़ी बाधा आई है, लेकिन संगठन स्तर पर तैयारियां तेज हैं। उन्होंने बताया कि जैसे ही आरक्षण की स्थिति साफ हो जाएगी। महापौर नगर पालिका अध्यक्ष और अन्य पदों के लिए प्रत्याशियों की सूची तैयार कर दी जाएगी।वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने सरकार पर आरक्षण को लेकर न्यायालय में झूठे हलफनामे देने का आरोप भी लगाया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने पर्यवेक्षकों की घोषणा कर दी है और संभावित प्रत्याशियों के नाम भी तैयार कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की नीतियों से जनता नाराज है और इस बार निकाय चुनाव में भाजपा को हार मिलेगी।

दोनों दलों ने संगठन पर अपनी तैयारियां तेज कर दी है। लेकिन आरक्षण का मुद्दा नहीं सुलझा है जिसकी वजह से चुनावी प्रक्रियाओं में देरी हो रही है। अब देखना है कि आरक्षण को लेकर सरकार कब इस कंफ्यूजन को दूर करती है और चुनावी प्रक्रिया कब गति पकड़ती है।

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