देहरादून।
श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952, देहरादून (Shri Ramakrishna Leela Samiti Tehri 1952) ने गढ़वाल की ऐतिहासिक राजधानी पुरानी टिहरी की 1952 से चली आ रही प्राचीन रामलीला को टिहरी के जलमग्न होने के बाद देहरादून में पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया है।
इस वर्ष श्री गुरुनानक मैदान, रेसकोर्स (Shri Guru Nanak Maidan, Racecourse) में भव्य रामलीला महोत्सव 2025 (Grand Ramlila Festival 2025) का मंचन शारदीय नवरात्रों में 22 सितंबर से 3 अक्टूबर 2025 तक होगा। इस ऐतिहासिक धरोहर को समेटती स्मारिका पुस्तिका का विमोचन समिति के संरक्षक मंडल के सदस्य, 1961 से रामलीला के वरिष्ठतम कलाकार और 50 वर्षों बाद 2023 में किरदार निभाने वाले बछेंद्र कुमार पांडेय (Bachendra Kumar Pandey) ने किया।
पुरानी टिहरी रामलीला का पुनरुद्धार | Revival of Old Tehri Ramlila
समिति के अध्यक्ष अभिनव थापर (Abhinav Thapar) ने कहा कि गढ़वाल की ऐतिहासिक राजधानी पुरानी टिहरी की 1952 से होने वाली प्राचीन रामलीला को टिहरी के जलमग्न होने के बाद देहरादून में भव्य रूप से पुनर्जीवित किया गया है। 2024 में आयोजित रामलीला को विभिन्न माध्यमों से 55 लाख से अधिक दर्शकों ने देखा।
इस वर्ष उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार लाइव टेलीकास्ट (live telecast) होगा, जिससे गढ़वाल के इतिहास को पुनर्जीवित करने का अवसर मिलेगा। आने वाली पीढ़ियां मनोरंजन के साथ सनातन धर्म की परंपराओं से जुड़ सकेंगी। रामलीला मंचन के साथ उत्तराखंड सांस्कृतिक धरोहर (Uttarakhand cultural heritage) का समागम होगा, जहां प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से कलाकार अपनी कला प्रदर्शित करेंगे।
विशेष आकर्षण और कार्यक्रम | Special Attractions and Events
- लाइव प्रसारण: पहली बार डिजिटल लाइव टेलीकास्ट, 75 लाख से अधिक दर्शकों तक पहुंच।
- भजन संध्या: उत्तराखंड के पारंपरिक संस्कृतिक कार्यक्रम।
- मेले का आयोजन: 19 सितंबर से भव्य मेला।
- कलश यात्रा: 20 सितंबर को घंटाघर से मैदान तक।
- पुतला दहन: 2 अक्टूबर को रावण, कुम्भकर्ण, मेघनाथ और लंका का पारंपरिक दहन।
- कलाकार: गढ़वाली फिल्मों की प्रसिद्ध गायिकाएं बबली सकलानी (Babli Saklani) (“रेशमी रुमाला”), कंचन भंडारी (Kanchan Bhandari) (“बिचला गाउं की दिचला”), पूनम सकलानी (Poonam Saklani) (“कान्हा रे कान्हा”) सहित देहरादून, टिहरी, भटवाड़ी, उत्तरकाशी, ऋषिकेश की रामलीलाओं के अनुभवी कलाकार।
- मंचन शैली: चौपाई, कथा, संवाद सब 1952 की प्राचीन रामलीला के अनुरूप।
कार्यक्रम विवरण | तिथि | विशेषता |
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भव्य मेला | 19 सितंबर | स्थानीय उत्पाद प्रदर्शनी |
कलश यात्रा | 20 सितंबर | घंटाघर से मैदान तक |
रामलीला मंचन | 22 सितंबर – 3 अक्टूबर | लाइव टेलीकास्ट, 75 लाख दर्शक |
पुतला दहन | 2 अक्टूबर | रावण, कुम्भकर्ण आदि |
स्मारिका विमोचन और संरक्षक का संदेश | Souvenir Release and Patron’s Message
संरक्षक बछेंद्र कुमार पांडेय ने कहा कि भव्य रामलीला महोत्सव 2025 की स्मारिका पुस्तिका इतिहास और वर्तमान का संगम होगी। उन्होंने चंद्रकुंवर बर्त्वाल की कविताओं का पाठ किया और कहा कि कवि ने एक पंक्ति से हजारों पंक्तियों की रचनाएं लिखीं, यहां तक कि अपनी मृत्यु पर भी काव्य रचा। भंडारी ने मांग की कि छोटे विद्यालयों में उनकी कविताओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
अध्यक्ष का संबोधन | President’s Address
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पालिकाध्यक्ष मीरा सकलानी (Mayor Meera Saklani) ने कहा कि चंद्रकुंवर बर्त्वाल ने प्रकृति पर कविताएं रचीं और समाज को नई दिशा दी। उन्होंने मालरोड पर लगी प्रतिमा के सौंदर्यीकरण का आश्वासन दिया। कार्यक्रम का संचालन अनिल गोदियाल (Anil Godiyal) ने किया।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति | Key Attendees
इस मौके पर पूर्व पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता (Anuj Gupta), जगजीत कुकरेजा (Jagjeet Kukreja), नरेंद्र पडियार (Narendra Padiyar), विजय लक्ष्मी काला (Vijay Lakshmi Kala), अनीता पुंडीर (Anita Pundir), पालिका सभासद गौरी थपलियाल (Gauri Thapliyal), शिवानी भारती (Shivani Bharti), कविता भंडारी (Kavita Bhandari), प्रदीप भंडारी (Pradeep Bhandari), विजय रमोला (Vijay Ramola), अरविंद सेमवाल (Arvind Semwal) सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
प्रेस वार्ता में अध्यक्ष अभिनव थापर (Abhinav Thapar), सचिव अमित पंत (Amit Pant), नई टिहरी रामलीला समिति के अध्यक्ष देवेंद्र नौडियाल (Devendra Naudiyal), गिरीश पैन्यूली (Girish Painyuli), दुर्गा भट्ट (Durga Bhatt), अजय पैन्यूली (Ajay Painyuli), शशि पैन्यूली (Shashi Painyuli), पूनम सकलानी (Poonam Saklani), कंचन भंडारी (Kanchan Bhandari), गंगा डोगरा (Ganga Dogra), अमित बहुगुणा (Amit Bahuguna), तपेंद्र चौहान (Tapendra Chauhan), शिवम गिरी (Shivam Giri) आदि ने भाग लिया।
सांस्कृतिक धरोहर का पुनरुद्धार | Revival of Cultural Heritage
श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952 (Shri Ramakrishna Leela Samiti Tehri 1952) ने पुरानी टिहरी की रामलीला को देहरादून में पुनर्जीवित कर उत्तराखंड सांस्कृतिक धरोहर (Uttarakhand cultural heritage) को जीवंत किया। लाइव प्रसारण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से 75 लाख दर्शक जुड़ेंगे।