उत्तराखंड

कांग्रेस की उत्तराखंड वन विभाग FSI रिपोर्ट पर आपत्ति, कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने वन विभाग को घेरा

skynet public school, agency mohalla, srinagar garhwal

देहरादून।

 
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) की रिपोर्ट पर उत्तराखंड वन विभाग द्वारा उठाए गए सवालों पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड वन विभाग का रवैया “नाच न जाने आंगन टेढ़ा” वाला हो गया है। गरिमा ने बताया कि हाल ही में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून में जारी की गई रिपोर्ट में उत्तराखंड को देश में सबसे ज्यादा वनअग्नि वाला राज्य बताया था, लेकिन उत्तराखंड का वन विभाग इसे धृतराष्ट्र की तरह नजरअंदाज कर रहा है। विभाग ने FSI के 52 प्रतिशत आंकड़ों को फाल्स अलर्ट बता दिया है।

 

गरिमा ने कहा कि भारतीय वन सर्वेक्षण ने अपनी रिपोर्ट में उत्तराखंड को वनाग्नि के मामले में देश में पहले स्थान पर रखा है। लेकिन उत्तराखंड का वन विभाग और वन मंत्री अपनी ही केंद्र सरकार के सर्वे पर सवाल उठा रहे हैं।

 

उन्होंने कहा कि FSI की रिपोर्ट से उत्तराखंड वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है क्योंकि इस रिपोर्ट में 2023-24 में उत्तराखंड को सबसे ज्यादा वनाग्नि घटनाओं वाला राज्य बताया गया है। वन विभाग “भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023” पर अपने तर्क पेश कर रहा है और वन मंत्री ने FSI के 52 प्रतिशत आंकड़ों को फाल्स अलर्ट करार दिया है। इससे उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार के संस्थान आमने-सामने आ रहे हैं। दसौनी ने कहा कि इस सर्वेक्षण से सीख लेकर वन विभाग में मौलिक परिवर्तन की आवश्यकता है ताकि भविष्य में जानलेवा घटनाएं कम हों और संपत्ति का नुकसान न हो, लेकिन आंकड़ों को झुठलाने से समस्या ज्यों की त्यों रहेगी।

 

दसौनी ने बताया कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने हाल ही में देहरादून में ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023’ का विमोचन किया था, जिसे उन्होंने देश की वन नीतियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया था। लेकिन जिस रिपोर्ट की वन मंत्री ने तारीफ की, उसी पर उत्तराखंड में सवाल उठ रहे हैं। यह एक हतप्रभ करने वाला तथ्य है कि 70% वन आच्छादित उत्तराखंड के प्रति वन विभाग का रवैया असंवेदनशील है। वन मंत्री सुबोध उनियाल और उनके अधिकारी रिपोर्ट को पूरी तरह नकार रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि वे हकीकत से मुंह मोड़ रहे हैं, जबकि आंकड़े स्पष्ट हैं कि उत्तराखंड की वन संपदा को बचाने की जरूरत है।

 

गरिमा ने कहा कि FSI ने साल दर साल जंगल की आग के बारे में रिपोर्ट दी है। उत्तराखंड में नवंबर 2023 से जून 2024 तक 21033 आग लगने के अलर्ट जारी हुए, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। इससे पहले 2022-23 में उत्तराखंड 13वें स्थान पर था, जबकि 2021-22 में यह सातवें स्थान पर था। पौड़ी और नैनीताल जिले में वनाग्नि की स्थिति सबसे चिंताजनक है। FSI सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के आधार पर राज्यों को अलर्ट जारी करता है। उत्तराखंड पिछले साल की तुलना में 12 स्थान ऊपर पहुंच कर देश में वनाग्नि की घटनाओं में पहले नंबर पर है, जो बहुत चिंताजनक और अलार्मिंग है।

 

दसौनी ने वन मंत्री सुबोध उनियाल से पूछा कि यदि उन्हें अपने ही केंद्रीय मंत्रालय और FSI पर भरोसा नहीं है, तो क्या ट्रंप सरकार से बात करके किसी अमेरिकी एजेंसी से सर्वे करवाया जाए? क्या तब मंत्री और उनका विभाग सहमत होंगे?

Related Posts

Load More Posts Loading...No More Posts.