देहरादून।
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आज सीजन की पहली बर्फबारी हुई है, जिससे चारधाम समेत प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पहाड़ियां बर्फ की सफेद चादर से ढक गई हैं। रविवार रात से ही हल्की बर्फ पड़नी शुरू हो गई थी और आज भी बर्फबारी का दौर जारी है। केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस बार खूब बर्फबारी देखने को मिली है। इससे निचले इलाकों में ठंड बढ़ गई है, जिससे तापमान में कमी आई है और किसानों के चेहरे भी खिले हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से सोमवार को मौसम ने करवट बदली और करीब दो महीने बाद बारिश व बर्फबारी हुई। बारिश और बर्फबारी की कमी से फसलों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा था, जिस कारण कई फसलें सूखने की कगार पर थीं। इस बारिश ने किसानों को राहत दी है और उन्होंने थोड़ी सांस ली है। बर्फबारी के बाद पर्यटकों के चेहरे भी खिल उठे हैं, जो उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों को देखने आने लगे हैं। नए साल से पहले यह बर्फबारी पर्यटन कारोबार को भी नई ऊर्जा देगी।
काश्तकारों को राहत, प्राकृतिक झरने बर्फ में बदले
इस बर्फबारी से सेब सहित अन्य फसलों के उत्पादन की चिंता कर रहे काश्तकारों को थोड़ी राहत मिली है। रविवार दोपहर बाद से ही गंगोत्री, यमुनोत्री और हर्षिल घाटी में बर्फबारी शुरू हो गई। यमुनोत्री में कड़ाके की सर्दी के कारण गरुड़ गंगा का पानी भी जम गया है, जबकि प्राकृतिक झरने बर्फ में तब्दील हो चुके हैं।
चकराता और चमोली में बर्फबारी का असर
चकराता क्षेत्र में भी इस सीजन की पहली बर्फबारी हुई है, जो चार साल बाद दिसंबर के दूसरे सप्ताह में हुई है। इस बर्फबारी ने व्यापारियों और किसानों के मुरझाए चेहरों पर रौनक ला दी है। मौसम विभाग का पूर्वानुमान सही साबित हुआ है। चमोली जिले के 45 गांवों में बर्फबारी से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, जिसमें बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी शामिल हैं। जोशीमठ तहसील के 18 गांवों को बर्फबारी ने प्रभावित किया है, जबकि अन्य तहसीलों में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है।
मिनी स्विटजरलैंड में बर्फबारी
चोपता-दुगलबिट्टा, जिसे मिनी स्विटजरलैंड भी कहा जाता है, में भी सीजन की पहली बर्फबारी हुई है। केदारनाथ में बर्फबारी के बाद पुनर्निर्माण कार्य प्रभावित हो गए हैं, जिससे मजदूर बर्फबारी बंद होने का इंतजार कर रहे हैं। त्रियुगीनारायण में हल्की बर्फबारी ने स्थानीय लोगों को खुशी दी है, और केदारघाटी में बारिश ने फसलों को नई ऊर्जा दी है।