उत्तराखंड

सतपाल महाराज ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से की भेंट, ग्लेशियर अध्ययन और आपदा पूर्व चेतावनी पर अनुरोध | Satpal Maharaj Bhupendra Yadav Meeting Glacier Study

सतपाल महाराज ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से की भेंट, ग्लेशियर अध्ययन और आपदा पूर्व चेतावनी पर अनुरोध | Satpal Maharaj Bhupendra Yadav Meeting Glacier Study

देहरादून/दिल्ली।

उत्तराखंड के पर्यटन, धर्मस्व, संस्कृति, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायती राज, ग्रामीण निर्माण एवं जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने गुरुवार को नई दिल्ली के इंदिरा पर्यावरण भवन में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में ग्लेशियर अध्ययन (glacier study) और आपदा पूर्व चेतावनी (disaster early warning) प्रणाली को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण अनुरोध किया।

महाराज ने कहा कि देश के पहाड़ी और संवेदनशील इलाकों में भूस्खलन (landslide), बादल फटना (cloudburst) और बाढ़ (flood) जैसी प्राकृतिक आपदाओं से आम जनता को भारी नुकसान होता है। हाल ही में उत्तरकाशी, पौड़ी और चमोली में बादल फटने से लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ, जहां प्राण बचाने का भी अवसर नहीं मिला।

आपदा नुकसान पर चिंता | Concern Over Disaster Damage

महाराज ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि यदि समय पर सटीक और त्वरित जानकारी उपलब्ध होती, तो नुकसान को काफी कम किया जा सकता था। उन्होंने उन्नत उपग्रह तकनीक और मौसम पूर्वानुमान प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्हें और सशक्त बनाने की आवश्यकता है। मौसम विभाग (India Meteorological Department) और पृथ्वी विज्ञान (earth sciences) से जुड़े वैज्ञानिकों को पर्वतीय क्षेत्रों के संवेदनशील और ऊंचाई वाले स्थानों पर प्राकृतिक ग्लेशियरों और बड़े तालाबों का अध्ययन करने का अनुरोध किया।

इससे भविष्य में इनसे होने वाले नुकसान से बचा जा सकेगा। महाराज ने जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन (climate change) के कारण ग्लेशियर पिघलने और बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं, इसलिए हिमालयी क्षेत्र में बहु-जोखिम प्रबंधन के लिए बड़े प्रयास जरूरी हैं।

उपग्रह मॉनिटरिंग और चेतावनी प्रणाली | Satellite Monitoring and Warning System

महाराज ने उपग्रह आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम (satellite monitoring system) को मजबूत करने, बादल फटने और अन्य आपदाओं की सटीक जानकारी राज्यों और स्थानीय प्रशासन तक तुरंत पहुंचाने, तथा मोबाइल नेटवर्क, रेडियो, टीवी और अन्य संचार माध्यमों से जनता तक चेतावनी संदेश भेजने की तकनीकी पर त्वरित कार्य की मांग की।

उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों से जुड़े इस मुद्दे पर विशेष ध्यान देते हुए संबंधित विभागों को यथाशीघ्र निर्देश जारी किए जाएं। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने महाराज के अनुरोध पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए आगे के कदमों पर विचार करने का आश्वासन दिया।

हिमालयी क्षेत्र की चुनौतियां | Challenges in Himalayan Region

पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं की बार-बार होने वाली घटनाओं से आम लोगों और बेजुबान जीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है। महाराज ने हाल की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तरकाशी, पौड़ी और चमोली (Uttarkashi Pauri Chamoli) में बादल फटने से भारी तबाही हुई।

उन्होंने मौसम पूर्वानुमान को और सटीक बनाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि आपदा पूर्व चेतावनी (early warning system) से नुकसान रोका जा सके। वैज्ञानिकों को ग्लेशियरों और तालाबों के अध्ययन के लिए पर्वतीय स्थानों पर भेजने का अनुरोध किया गया, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने में मदद करेगा।

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