नयी दिल्ली
Parliament Session 2024: अदाणी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप समेत विभिन्न मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण सोमवार को लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। 12 जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो हंगामा जारी है। इसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण लोकसभा की बैठक सोमवार को एक बार के स्थगन के बाद पुन: शुरू होने के करीब आठ मिनट के अंदर दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी। सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर जैसे ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कराया, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य पिछले सप्ताह की तरह ही आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस सदस्य अदाणी समूह से जुड़े मामले को उठा रहे थे, वहीं सपा सांसद संभल हिंसा का मुद्दा उठाते देखे गए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की। हंगामे के बीच ही कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी ने कुछ पूरक प्रश्नों के उत्तर भी दिए। बिरला ने इस दौरान नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘‘प्रश्नकाल आपका समय है। कृपया प्रश्नकाल चलने दें और अपनी-अपनी सीट पर विराजें।” बिरला के बार-बार अपील करने के बाद भी आसन के समीप खड़े कांग्रेस और सपा सांसदों की नारेबाजी जारी रही।
हंगामा नहीं थमने पर लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पूर्वाह्न करीब 11 बजकर पांच मिनट पर दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे निचले सदन की बैठक फिर शुरू हुई तो पीठासीन सभापति संध्या राय ने आवश्यक कागजात सदन के पटल पर रखवाए। विपक्षी सदस्य पहले की तरह ही आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने तटीय पोत परिवहन विधेयक, 2024 पेश किया।
पीठासीन सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर बैठने और कार्यवाही चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आप सभी से आग्रह करती हूं कि कृपया सदन को चलने दें। कई सदस्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। खासकर जो सदस्य पहली बार चुनकर आए हैं, वे भी अपने अपने क्षेत्र की बात रखना चाहते हैं।” शोर-शराबा जारी रहने पर उन्होंने करीब 12 बजकर आठ मिनट पर सदन की बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर दी। संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ था और तभी से विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण लगातार गतिरोध बना हुआ है।
अदाणी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप, उत्तर प्रदेश के संभल और मणिपुर में हिंसा व कानून व्यवस्था की स्थिति सहित कुछ अन्य मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराए जाने की मांग खारिज होने के बाद सोमवार को विपक्ष ने राज्यसभा में हंगामा किया, जिसके कारण उच्च सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की ओर से उच्च सदन के नेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा तथा उत्तर प्रदेश से भाजपा के सदस्य तेजवीर सिंह को जन्मदिन की बधाई दी। धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद बताया कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर नियम 267 के तहत चर्चा के लिए कुल 20 नोटिस मिले हैं लेकिन वह इन्हें स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, अनिल कुमार यादव, रजनी पाटिल, जेबी माथेर हिशाम, अखिलेश प्रसाद सिंह, सैयद नासिर हुसैन और फूलों देवी नेताम के अलावा मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एमडीएमके) के वाइको ने अदाणी समूह के कथित भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और वित्तीय अनियमितताओं सहित अन्य कदाचारों के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे। समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन और जावेद अली खान, कांग्रेस के नीरज डांगी और भारतीय कम्यु्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के ए ए रहीम ने उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे जबकि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरूचि शिवा और निर्दलीय अजीत कुमार भुयान ने मणिपुर में जारी हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए।
धनखड़ ने बताया कि आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने दिल्ली में अपराध के बढ़ते मामलों पर चर्चा के लिए नोटिस दिया जबकि उन्हीं की पार्टी के राघव चड्ढा ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और इस्कॉन मंदिर के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था। सभापति के मुताबिक कांग्रेस के अनिल कुमार यादव, नीरज डांगी और इमरान प्रतापगढ़ी ने अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर पैदा हुए ताजा विवाद पर चर्चा कराने के नोटिस दिए थे। सभी नोटिस अस्वीकार करते हुए सभापति ने सदस्यों से आग्रह किया वे उन्हें सूचिबद्ध कामकाज निपटाने में मदद करें।
इसी दौरान, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे कुछ कहने के लिए खड़े हुए लेकिन सभापति ने कहा कि उनकी बात अभी पूरी नहीं हुई है। धनखड़ ने संसद की स्थिति की तुलना मर्फी के उस नियम से की जिसमें कहा गया है, ‘‘अगर किसी चीज के गलत होने की थोड़ी भी संभावना है तो वह गलत होगी।” उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस गरिमापूर्ण सदन में मर्फी के नियम को लागू करने के लिए जानबूझकर माहौल बनाया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप संसद के उचित कामकाज में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम पाते हैं कि हम ठीक उसके विपरीत दिशा में काम कर रहे हैं जो हमारा संविधान कहता है।”
धनखड़ ने विपक्षी सांसदों से सदन को आज के लिए सूचीबद्ध एजेंडे को लेने की अनुमति देने के लिए कहा। सभापति ने उनसे संविधान निर्माताओं के नाम पर संसद की कार्यवाही चलने देने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘इसे बेकार मत बनाओ।” हंगामे और शोरगुल के बीच सभापति धनखड़ ने सदन की कार्यवाही 11 बजकर 15 मिनट पर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति ने हंगामे के बीच प्रश्नकाल चलाने की कोशिश की लेकिन हंगामा जारी देख उन्होंने कुछ ही देर में कार्यवादी दिन भर के लिए स्थगित कर दी। संसद के शीतकालीन सत्र का आज छठा दिन है और कार्यदिवस के रूप में पांचवा दिन है।
सत्र का आरंभ गत सोमवार को हुआ था और मंगलवार को ‘संविधान दिवस’ समारोह के मद्देनजर दोनों ही सदनों की कार्यवाही को संयुक्त बैठक के रूप में तब्दील कर दिया गया था। सोमवार से शुरु हुए संसद सत्र में अभी तक कोई खास विधायी कामकाज नहीं हो सका है और पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ गया। एक भी दिन न तो शून्यकाल हुआ और ना ही प्रश्नकाल चल सका। विपक्षी सदस्यों ने इस दौरान अदाणी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार और मणिपुर तथा संभल में हिंसा सहित कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस दिए और हर बार सभापति ने इन्हें खारिज कर दिया।
सभापति ने पिछले दिनों सदन में बताया था कि विगत 36 वर्षों में नियम 267 को केवल छह अवसरों पर ही अनुमति दी गई है और केवल असाधारण परिस्थितियों में ही इसकी अनुमति दी जा सकती है। नियम 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है।
नियम 267 के तहत कोई भी चर्चा संसद में इसलिए बहुत महत्व रखती है क्योंकि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर चर्चा के लिए अन्य सभी कामों को रोक दिया जाता है। अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो यह दर्शाता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है। राज्यसभा की नियम पुस्तिका में कहा गया है, ‘‘कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव कर सकता है। वह प्रस्ताव ला सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध एजेंडे को निलंबित किया जाए। अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो विचाराधीन नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है।”