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पेनकिलर का अंधाधुंध इस्तेमाल: किडनी पर पड़ सकता है भारी असर

पेनकिलर का अंधाधुंध इस्तेमाल: किडनी पर पड़ सकता है भारी असर

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सिरदर्द, कमरदर्द, जोड़ों का दर्द या मासिक धर्म के दर्द के लिए लोग तुरंत पेनकिलर का सहारा लेते हैं। कुछ लोगों को तो इसकी आदत सी हो जाती है कि हल्का सा दर्द महसूस होते ही वे गोली खा लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बार-बार पेनकिलर का सेवन आपकी किडनी के लिए कितना हानिकारक हो सकता है? एक्सपर्ट्स का मानना है कि दर्द भले ही कुछ देर के लिए गायब हो जाए, लेकिन किडनी की सेहत धीरे-धीरे खराब होती जाती है।

पेनकिलर के प्रकार और उनके काम करने का तरीका:

पेनकिलर मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं:

  1. पैरासिटामॉल (Paracetamol): यह ओवर-द-काउंटर (बिना पर्चे के) उपलब्ध होने वाली एक सुरक्षित दवा है, जैसे डोलो, क्रोसिन। इसका साइड इफेक्ट प्रोफाइल बहुत कम है और यह किसी भी उम्र के व्यक्ति द्वारा ली जा सकती है। हालांकि, एक दिन में 4 ग्राम से अधिक खुराक लेने पर यह लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है।
  2. NSAIDs (नॉन-स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स): ये दवाएं सूजन (Inflammation) पर असर करती हैं। चोट लगने पर होने वाली सूजन को कम करने के लिए इनका उपयोग होता है। ये प्रोस्टाग्लैंडिंस (Prostaglandins) नामक केमिकल को कम करती हैं, जिससे दर्द कम महसूस होता है। उदाहरण के लिए, डिक्लोफेनाक सोडियम (Diclofenac Sodium) और नैपरोक्सन (Naproxen)। ये दवाएं काफी असरदार और स्ट्रॉन्ग होती हैं, लेकिन लंबे समय तक सेवन करने से किडनी को नुकसान हो सकता है और किडनी फेलियर (Kidney Failure) तक की स्थिति पैदा हो सकती है। डॉक्टर द्वारा बताई गई खुराक का ही पालन करें और यदि डॉक्टर ने पानी पीने की विशेष सलाह न दी हो, तो पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
  3. ओपिओइड्स (Opioids): ये दवाएं नर्वस सिस्टम पर असर करती हैं और दर्द के अनुभव को कम करती हैं। जैसे कोडीन (Codeine) और मॉर्फीन (Morphine)। इनका दुरुपयोग (Abuse Potential) अधिक होता है और ये लत का कारण बन सकती हैं।

किडनी पर पेनकिलर का दुष्प्रभाव:

ज़्यादातर पेनकिलर (जैसे आइबुप्रोफेन, डिक्लोफेनैक, नैप्रोक्सन) शरीर में बनने वाले “प्रोस्टाग्लैंडिंस” को रोकती हैं। ये केमिकल दर्द और सूजन पैदा करने के साथ-साथ किडनी तक रक्त प्रवाह (Blood Flow) बनाए रखने में भी मदद करते हैं। जब आप बार-बार पेनकिलर लेते हैं, तो किडनी तक रक्त का प्रवाह कम हो सकता है।

लगातार पेनकिलर खाने से किडनी की फिल्टर करने की क्षमता घट जाती है। इससे “एनाल्जेसिक नेफ्रोपैथी” (Analgesic Nephropathy) नामक स्थिति हो सकती है, जिसमें किडनी धीरे-धीरे खराब होने लगती है। यदि यह आदत बनी रहे, तो व्यक्ति क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease) का मरीज बन सकता है। पेनकिलर ब्लड प्रेशर को भी प्रभावित करते हैं, जो खुद किडनी का दुश्मन है।

पेनकिलर के अत्यधिक सेवन से किडनी पर पड़ने वाले प्रभाव:

  • पैरों या टखनों में सूजन (Swelling in feet or ankles)
  • पेशाब कम आना या झागदार पेशाब (Reduced or foamy urine)
  • थकान और कमजोरी (Fatigue and weakness)
  • लगातार हाई ब्लड प्रेशर (Consistently high blood pressure)
  • भूख कम लगना (Loss of appetite)

बचाव और सही उपचार:

  • पेनकिलर की आदत न बनाएं: दर्द को झेलने की बजाय उसका असली कारण पता करें और डॉक्टर की सलाह से इलाज करवाएं।
  • डॉक्टर की सलाह: खुद से बार-बार गोली खाने से बचें। केवल डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लें।
  • पर्याप्त पानी पिएं: इससे किडनी को फ्लश करने में मदद मिलती है।
  • स्वस्थ जीवनशैली: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और तनाव प्रबंधन से दर्द की समस्या कम हो सकती है।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच: बीमारियों का शुरू में ही पता लगाने और इलाज के लिए रेगुलर चेकअप कराते रहें।
  • किडनी फंक्शन टेस्ट: यदि आपको बार-बार पेनकिलर लेनी पड़ रही है, तो किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney Function Test) अवश्य कराएं।

याद रखें, पेनकिलर केवल अस्थायी राहत दे सकते हैं, स्थायी इलाज नहीं। अपनी किडनी को स्वस्थ रखने के लिए समझदारी से दवाइयों का सेवन करें।

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