देहरादून।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) (National Disaster Management Authority) के विभागाध्यक्ष एवं सदस्य राजेंद्र सिंह (Rajendra Singh NDMA) ने गुरुवार (12 सितंबर 2025) को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) (Uttarakhand State Disaster Management Authority) का दौरा किया।
उन्होंने मानसून आपदा (monsoon disaster) से हुई क्षति की विस्तृत समीक्षा की। राजेंद्र सिंह ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों (disaster-affected areas) में राहत और बचाव कार्यों का मूल्यांकन किया तथा भविष्य में आपदा प्रबंधन (disaster management) को मजबूत करने और सुरक्षित, सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए कई उपयोगी सुझाव दिए।
‘बिल्ड बैक बेटर’ थीम पर सहयोग | Build Back Better Theme Collaboration
राजेंद्र सिंह ने कहा कि एनडीएमए उत्तराखंड को ‘बिल्ड बैक बेटर’ (Build Back Better) थीम पर आपदा-सुरक्षित राज्य बनाने के लिए हर स्तर पर सहयोग देने को तैयार है। उन्होंने जोर दिया कि आपदा प्रबंधन केवल संकट से निपटने का उपकरण नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण में पर्यावरण-संवेदनशील और टिकाऊ विकास का अवसर भी है। सिंह ने आईएमसीटी (इंटर मिनिस्टीरियल सेंट्रल टीम) (IMCT Uttarakhand) के हाल के दौरे और आगामी पीडीएनए (पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट) (PDNA disaster assessment) पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि व्यवस्थित आकलन जरूरी है ताकि क्षति, प्रभावितों की संख्या, बुनियादी ढांचे की स्थिति, आजीविका पर असर आदि का वैज्ञानिक मूल्यांकन हो सके। यह आकलन पुनर्निर्माण, आर्थिक सहायता, दीर्घकालिक योजना और जोखिम न्यूनीकरण के लिए आवश्यक है। जल्द ही पीडीएनए टीम उत्तराखंड आएगी, जिसके आधार पर केंद्र से अतिरिक्त आर्थिक सहायता मिलेगी।
राहत कार्यों की सराहना | Appreciation of Relief Efforts
राजेंद्र सिंह ने राज्य में चल रहे राहत और बचाव अभियानों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आपदा के तुरंत बाद प्रभावितों को 24 से 72 घंटे में राहत राशि पहुंचाना प्रशासन की तत्परता और संवेदनशीलता को दर्शाता है। सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन को राहत कार्यों की चुनौतियों और अनुभवों का दस्तावेजीकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आपदा से मिली सीख को नीति निर्माण, प्रशिक्षण, संसाधन योजना और तकनीकी सुधार के लिए उपयोग किया जाए, जिससे प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी और अन्य राज्यों के लिए मॉडल बनेगा।
सचिव आपदा प्रबंधन का बयान | Statement by Disaster Management Secretary
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि इस वर्ष आपदा से लोगों की आजीविका पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने एनडीएमए से पुनर्निर्माण, आजीविका बहाली और जोखिम न्यूनीकरण के लिए सहयोग की अपेक्षा जताई। इस अवसर पर अपर सचिव/अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, जेसीईओ मो. ओबैदुल्लाह अंसारी तथा यूएसडीएमए के विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
आपदा प्रबंधन पहलू | सुझाव/कार्रवाई |
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राहत एवं बचाव | त्वरित दस्तावेजीकरण और सीख का उपयोग |
पुनर्निर्माण | टिकाऊ और पर्यावरण-संवेदनशील विकास |
जोखिम न्यूनीकरण | वैज्ञानिक आकलन और प्रशिक्षण |
जोशीमठ कार्यों की समीक्षा | Review of Joshimath Works
जोशीमठ में चल रहे कार्यों की जानकारी लेते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में भूस्खलन (landslides), ग्लेशियर झील फटना (glacial lake outburst) और अतिवृष्टि (heavy rainfall) जैसी आपदाएं लगातार चुनौती देती हैं। उन्होंने नदी किनारे बसे कस्बों की मैपिंग और रिस्क असेसमेंट (risk assessment) करने को कहा, ताकि संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान हो और सुरक्षात्मक कदम उठाए जा सकें।
पलायन रोकने की योजना | Plan to Prevent Migration
राजेंद्र सिंह ने कहा कि आपदाओं से लोगों का पलायन न हो, इसके लिए व्यापक कार्य योजना बनाई जाए। यह केवल आजीविका का मुद्दा नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी जरूरी है। राज्य की सीमावर्ती स्थिति, पर्यटन (tourism) पर निर्भरता और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए यह आवश्यक है।
शोध संस्थानों से समन्वय | Coordination with Research Institutions
राजेंद्र सिंह ने राज्य के शोध संस्थानों के साथ समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई वैज्ञानिक संस्थान हैं, जिनके अनुभव, तकनीकी संसाधनों और डेटा से आपदा पूर्व तैयारी (pre-disaster preparedness) को मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसलिए सुरक्षित पर्यटन (safe tourism) और चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) को आपदा जोखिम से मुक्त बनाना प्राथमिकता होनी चाहिए।