देहरादून।
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, आज सचिवालय के मुख्य सचिव सभागार में उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा हुई और कई जरूरी मांगों पर कार्मिक व वित्त विभाग ने भी अपनी सहमति दी।
बैठक में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में, राजकीय मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में जो कमियां सामने आई हैं, उन्हें दूर करने का निर्णय लिया गया। इसमें मेडिकल फैकल्टी के साथ-साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति, कुशल पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ की भर्ती शामिल है। साथ ही, जरूरत के हिसाब से टेम्परेरी पदों के सृजन पर भी सहमति बनी।
प्रस्तुतिकरण के दौरान, मेडिकल कॉलेजों में संकाय के समयबद्ध पदोन्नति और स्थानांतरण के लिए नीति बनाने, सुपर स्पेशिलिस्ट डॉक्टरों को AIIMS के समकक्ष वेतनमान देने, SR और JR के मानदेय में वृद्धि, पर्याप्त आवास और अच्छी सुविधाओं वाले ट्रांजिट हॉस्टल के निर्माण की मांग उठाई गई। इसके अलावा, पीजी छात्रों के लिए नई बॉन्ड पॉलिसी के तहत प्रदेश में दो वर्ष की अनिवार्य सेवा का प्रस्ताव भी रखा गया।
पैरामेडिकल और नर्सिंग के छात्रों के लिए वजीफा, आउटसोर्सिंग के जरिए जरूरी पदों का निर्माण और कर्मचारियों के कौशल विकास के लिए नीति बनाने की बात भी चर्चा में आई। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए फंडिंग की मांग की गई, ताकि कर्मचारियों को महंगे उपकरणों के हैंडलिंग, संक्रमण नियंत्रण और प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जा सके।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से, पर्वतीय क्षेत्रों में कार्यरत विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए 50% अतिरिक्त भत्ता, सभी चिकित्साधिकारियों को वाहन भत्ता और 60 वर्ष के बाद भी मुख्य परामर्शदाता के रूप में सेवा देने वाले चिकित्सकों के लिए वेतनमान निर्धारण की मांग की गई। इसके साथ, ऐसे डॉक्टरों को जो विशेष डायनमिक एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (SDACP) योजना के लाभ से वंचित हैं, उन्हें छूट दिए जाने की मांग भी उठी।
बैठक में विभागीय अधिकारियों की बड़ी उपस्थिति रही जिसमें अपर मुख्य सचिव कार्मिक व वित्त आनंद वर्द्धन, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के चैयरमैन अरविंद सिंह ह्यांकि, सचिव स्वास्थ्य आर. राजेश कुमार, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।