जीवनशैली

लिवर की सेहत: हल्दी, जीवनशैली और बीमारियों का असर

लिवर की सेहत: हल्दी, जीवनशैली और बीमारियों का असर

लिवर हमारे शरीर का सबसे बड़ा भीतरी अंग है, जो कई जरूरी भूमिकाएं निभाता है। यह शरीर से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालता है, पाचन में सहायता करता है, और ऊर्जा बनाने का काम करता है। साथ ही, यह खून की मात्रा और प्रोटीन स्तर को संतुलित रखता है। लेकिन बदलती जीवनशैली और खानपान के कारण लिवर की सेहत पर खतरा बढ़ रहा है।लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले कारण

  • अधिक शराब का सेवन: लिवर को सबसे ज्यादा नुकसान शराब से होता है।
  • जंक फूड और तैलीय भोजन: मोटापा और मसालेदार खाना लिवर को कमजोर करता है।
  • हेपेटाइटिस वायरस: यह लिवर में सूजन पैदा कर सकता है।
  • दवाओं का अधिक उपयोग: लंबे समय तक दवाएं लेना जोखिम बढ़ाता है।
  • नींद और व्यायाम की कमी: गलत जीवनशैली लिवर को प्रभावित करती है।

डॉ. राजेश शर्मा, लिवर विशेषज्ञ कहते हैं, “लिवर की सेहत के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम जरूरी है, वरना यह धीरे-धीरे खराब होने लगता है।”लिवर की प्रमुख बीमारियां लिवर की खराबी से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.

जैसे:

  • फैटी लिवर: लिवर में वसा जमा होने से काम प्रभावित होता है।
  • हेपेटाइटिस: वायरस से होने वाला संक्रमण लिवर को नुकसान पहुंचाता है।
  • सिरोसिस: हेल्दी सेल्स के नष्ट होने से लिवर कमजोर पड़ता है।
  • लिवर फेलियर: गंभीर स्थिति जिसमें लिवर काम करना बंद कर देता है।

इन बीमारियों के लक्षणों में थकान, पेट दर्द, पीलिया, और सूजन शामिल हैं। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकता है।

हल्दी: लिवर के लिए वरदान या खतरा?

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन सूजन कम करने और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है, जो लिवर को स्वस्थ रखने में मददगार हो सकता है।

लेकिन सावधानी जरूरी है:

  • सीमित मात्रा में उपयोग: दूध में चुटकीभर हल्दी या सब्जियों में डालना सुरक्षित है।
  • गंभीर बीमारियों में सावधानी: सिरोसिस या हेपेटाइटिस में अधिक हल्दी नुकसानदायक हो सकती है।
  • डॉक्टर की सलाह: हल्दी सप्लीमेंट लेने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श लें।

विशेषज्ञ की सलाह, “हल्दी का लाभ लेने के लिए इसे भोजन में थोड़ी मात्रा में शामिल करें, लेकिन अधिक सेवन से बचें।”

फैटी लिवर:

देश की बढ़ती समस्याहाल के अध्ययनों के अनुसार, भारत में हर चौथा व्यक्ति फैटी लिवर से पीड़ित है। बदलती जीवनशैली और जंक फूड की आदतें इसके प्रमुख कारण हैं। यह बीमारी दो रूपों में देखी जाती है:

  • मेटाबोलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड स्टेटोटिक लिवर डिजीज (MASLD): मोटापे और मधुमेह से जुड़ा।
  • अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD): शराब के अत्यधिक सेवन से होता है।

अगर इलाज न हो, तो यह सिरोसिस, फाइब्रोसिस, और लिवर कैंसर तक पहुंच सकता है।

आंकड़ों पर नजर

श्रेणीआंकड़ा
भारतीय आबादी में फैटी लिवर प्रभावित38%
देश में फैटी लिवर के मरीजहर चौथा व्यक्ति
वजन कम करने का लाभ5% वजन घटाने से ठीक हो सकता है
फाइब्रोसिस में सुधार10% वजन कम करने से

लिवर को स्वस्थ रखने के उपाय

  • संतुलित आहार: हरी सब्जियां, फल, और साबुत अनाज लें।
  • शराब और तैलीय भोजन से बचें: लिवर को नुकसान से बचाएं।
  • व्यायाम: हफ्ते में 150 मिनट मध्यम व्यायाम करें।
  • पानी पिएं: शरीर को हाइड्रेट रखें।
  • डॉक्टर से सलाह: दवाओं का सेवन सोच-समझकर करें।

युवाओं और बच्चों के लिए जागरूकता

जरूरी जंक फूड और गतिहीन जीवनशैली युवाओं में फैटी लिवर का कारण बन रही है। माता-पिता को बच्चों को सेहतमंद खाना देना चाहिए और जागरूकता बढ़ानी चाहिए। एसजीपीजीआई जैसे संस्थान सस्ते लिवर ट्रांसप्लांट के जरिए मरीजों की मदद कर रहे हैं।

निष्कर्ष

लिवर की सेहत के लिए जीवनशैली में बदलाव और सावधानी जरूरी है। हल्दी का सीमित उपयोग, स्वस्थ आहार, और नियमित व्यायाम से लिवर को स्वस्थ रखा जा सकता है। समय रहते ध्यान न देने पर यह गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

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