Hospital administration will take action against those giving wrong information on social media
श्रीनगर गढ़वाल।
बेस चिकित्सालय के गायनी विभाग में हाल ही में एक गंभीर मामला सामने आया है, जब रूद्रप्रयाग अस्पताल से रेफर होकर आई एक महिला का प्रसव प्रीमेच्योर होने की संभावना जताई गई। महिला को अस्पताल में पहुंचने पर डॉक्टरों की टीम ने पूरी तरह से चेकअप किया और पाया कि महिला का प्रसव 31 सप्ताह में हो रहा था।
डॉक्टरों ने बाल रोग विभाग के डॉक्टरों से नीक्कू वार्ड की स्थिति के बारे में जानकारी ली, तो पता चला कि वार्ड में एक भी बेड खाली नहीं था। इस स्थिति को देखते हुए, डॉक्टरों ने महिला एवं उसके होने वाले शिशु के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एम्स ऋषिकेश में बिना समय गंवाए भेजने का निर्णय लिया।
बेस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजेय विक्रम सिंह ने बताया कि अस्पताल में हर दिन 12-18 प्रसव होते हैं, जिनमें से कई नवजात शिशुओं को दिक्कतें होती हैं। ऐसे मामलों में उन्हें नीक्कू में भर्ती किया जाता है। डॉ. सिंह ने कहा कि गढ़वाल क्षेत्र से सभी रेफर केस गंभीर अवस्था में बेस अस्पताल पहुंचते हैं।
गायनी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीप्ति शर्मा ने कहा कि रूद्रप्रयाग से आई महिला का स्वास्थ्य गंभीर था, और यदि महिला का प्रसव अस्पताल में किया जाता, तो नीक्कू में शिशु के लिए जगह नहीं मिलती, जिससे बच्चे को खतरा उत्पन्न हो सकता था।
इस बीच, चिकित्सा अधीक्षक ने सोशल मीडिया पर फैली गलत जानकारी पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “एक स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा फेसबुक पर साझा की गई जानकारी सरासर गलत और भ्रामक है। नवजात शिशुओं को रखने के लिए नीक्कू वार्ड में कोई खराबी नहीं है।” उन्होंने चेतावनी दी कि बिना जानकारी के इस तरह की गलत जानकारी साझा करने वालों पर अस्पताल प्रशासन जल्द ही कार्रवाई करेगा।
डॉ. सिंह ने कहा कि इस तरह की भ्रामक जानकारी से न केवल अस्पताल प्रशासन को, बल्कि आम जनता को भी परेशानी होती है। अस्पताल प्रशासन ने जनता से अपील की है कि वे सही जानकारी के लिए सीधे अस्पताल से संपर्क करें और बिना पुष्टि के कोई भी जानकारी सोशल मीडिया पर साझा न करें।