देहरादून:
16 दिसंबर, विजय दिवस के अवसर पर दीन दयाल पार्क, सड़क संसद में एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि 1971 का विजय दिवस भारत के इतिहास और उपमहाद्वीप का भूगोल बदलने वाला क्षण रहा है। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के त्वरित और दृढ़ निर्णयों, साथ ही जनरल मानिक शाह और जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा सहित भारतीय सेना के अदम्य साहस की प्रशंसा की, जब पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था।
रावत ने कहा कि अमेरिका के सातवें बेड़े के भेजने की धमकी के बावजूद इंदिरा गांधी अडिग रहीं। उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के प्रति चिंता व्यक्त की और केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जरिए कूटनीति का प्रयोग करने की सलाह दी। उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों में समर्थन का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रम से उत्तरपूर्वी राज्यों समेत देश की सुरक्षा को खतरा है। कामरेड समर भंडारी ने कहा कि 1971 में पूर्वी पाकिस्तानी सेना से विभाजित हुए अधिकारियों और भारतीय रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के सदस्यों ने तुरंत ही भारतीय शरणार्थी शिविरों से मुक्ति वाहिनी के गुरिल्ला योद्धाओं को पाकिस्तान के खिलाफ प्रशिक्षण देना और भर्ती करना शुरू किया था।
समाजवादी पार्टी के कार्यकारी सदस्य एसएन सचान ने 1971 की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जनरल याह्या खान के राष्ट्रपति होने के दौरान, पूर्वी पाकिस्तान में नाराजगी को दबाने के लिए जनरल टिक्का खान को जिम्मेदारी दी गई थी, जिससे स्थिति और खराब हो गई। कामरेड जगदीश कुकरेती ने कहा कि अप्रैल 1971 में इंदिरा गांधी ने मुक्ति वाहिनी को समर्थन देकर बांग्लादेश को आजाद करवाने का निर्णय लिया था।
कार्यक्रम के आयोजक उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बार-बार अपील की, लेकिन विदेश मंत्री स्वर्ण सिंह के विभिन्न देशों से मिलने के बावजूद कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली।
कार्यक्रम का संचालन मोहन सिंह नेगी ने किया और सुरेंद्र कुमार ने अध्यक्षता की। इस अवसर पर जनगीत गायक सतीश धौलाखंडी ने अपनी गायिकी से कार्यक्रम को शमा बांधा। कामरेड समर भंडारी, डॉ. एसएन सचान, कामरेड सोहन सिंह रजवार, कामरेड जगदीश कुकरेती समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।