पौड़ी:
बढ़ते तापमान और सूखे के कारण वन क्षेत्रों में आग लगने की घटनाएं आम हैं। इस समस्या से निपटने के लिए जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने गुरुवार को एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में वन विभाग के अधिकारियों को वनाग्नि रोकथाम के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए।

जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए जनसहभागिता, सीतलाखेत मॉडल और ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि विगत वनाग्नि सीजन में वनाग्नि में शामिल अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर की जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द जिला कार्यालय को सौंप दी जाए।

जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि वन और राजस्व विभाग के अधिकारी मिलकर ग्रामीणों को वनाग्नि के खतरे से अवगत कराएंगे और उनकी मदद से वनाग्नि को रोकने के प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि वनाग्नि रोकथाम के लिए मानव संसाधन, तकनीकी उपकरण और अन्य आवश्यक संसाधनों की पूरी तैयारी की जाएगी। जिलाधिकारी ने कहा कि पौड़ी के सटे जंगलों में वनाग्नि रोकथाम के लिए सीतलाखेत मॉडल को अपनाया जाएगा। इस मॉडल के तहत महिला समूहों, सरपंचों और ग्राम प्रहरियों को वनाग्नि रोकथाम में शामिल किया जाएगा।
वनाग्नि की निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। ड्रोन की मदद से जंगलों में आग लगने की घटनाओं को जल्दी पहचाना जा सकेगा और उस पर काबू पाया जा सकेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पीरुल धरातल पर अधिक मोटी परत बना चुका है, उन स्थानों पर बिखरे हुए पीरुल को एकत्रित कर अलग-अलग स्थानों पर टीले या डिब्बे के रूप में रखा जाएगा। इससे वनाग्नि फैलने का खतरा कम होगा।
वनाग्नि रोकथाम योजना के लिए वन विभाग द्वारा 31 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा। उपस्थित अधिकारियों ने वनाग्नि रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की और अपने सुझाव दिए। बैठक में डीएफओ गढ़वाल स्वप्निल अनिरुद्ध, डीएफओ सीविल सोयम पवन नेगी, एसीएमओ डॉ पारुल गोयल, डीडीएमओ दीपेश काला, एसडीओ आईशा बिष्ट आदि उपस्थित थे।