उत्तराखंड

डॉ. अंबेडकर उत्कृष्ट केंद्र में पहाड़ों के विकास मॉडल की समीक्षा पर परिचर्चा

Discussion on review of development model of mountains in Dr. Ambedkar Center of Excellence

श्रीनगर गढ़वाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र (DACE) में पहाड़ों के विकास मॉडल की समीक्षा विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के प्रो. एस. पी. सती उपस्थित रहे।

अम्बेडकर उत्कृष्टता केन्द्र के समन्वयक प्रो. एम.एम. सेमवाल ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए अन्य विद्वान वक्ताओं का स्वागत किया। उन्होंने पहाड़ों की भंगुर स्थलाकृति और सतत विकास पर चर्चा करते हुए पहाड़ों में विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा मॉडल के संतुलन पर जोर दिया। प्रो. सेमवाल ने इस बात पर जोर दिया कि पहाड़ों के विकास मॉडल को इकोलॉजी के महत्व और पारंपरिक ज्ञान को केंद्र में रखकर विकसित किया जाना चाहिए।

मुख्य वक्ता प्रो. एस. पी. सती ने हिमालय के महत्व को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया। उन्होंने हिमालय श्रृंखला को विश्व का जल स्तंभ, विश्व का तीसरा ध्रुव और स्थानिक प्रजातियों का आवास बताते हुए जलवायु परिवर्तन, उच्च हिमालय क्षेत्रों में सड़क निर्माण, जल विद्युत परियोजनाओं आदि को क्षेत्र की पारिस्थितिकी के लिए आरक्षणीय बताया। उन्होंने हिमालय क्षेत्रों में विकास के लिए बेहतर वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण के अनुकूल कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी विदुशी डोभाल द्वारा किया गया। इस परिचर्चा में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, संस्थानों और महाविद्यालयों से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. प्रकाश कुमार सिंह और डॉ. आशीष बहुगुणा ने किया। अंत में धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. प्रश्ना मिश्रा द्वारा प्रस्तुत किया गया।

इस कार्यक्रम ने पहाड़ों के विकास और उनके संरक्षण के लिए एक सकारात्मक दिशा में विचारों का आदान-प्रदान किया, जिससे भविष्य में हिमालय क्षेत्र के विकास की संभावनाएं और भी उजागर हुईं।

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