देहरादून।
वन अनुसंधान संस्थान (आईसीएफआरई), देहरादून और हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला ने संयुक्त रूप से एक दिवसीय क्षेत्रीय अनुसंधान सम्मेलन (आरआरसी) का आयोजन किया। इस वर्ष सम्मेलन का विषय “शहरी वानिकी और सामुदायिक भागीदारी की जलवायु प्रतिरोधी शहरों में भूमिका” रहा। यह आयोजन शहरी हरियाली और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सम्मेलन की शुरुआत और स्वागत
सम्मेलन का शुभारंभ वैज्ञानिक और समूह समन्वयक (अनुसंधान) डॉ. डी.पी. खली के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने शहरी वानिकी के महत्व और सामुदायिक सहभागिता की भूमिका पर प्रकाश डाला।
डॉ. रेनू सिंह, निदेशक, आईसीएफआरई: “शहरी वानिकी जलवायु परिवर्तन से निपटने और शहरों को रहने योग्य बनाने में महत्वपूर्ण है।”
शहरी वानिकी की भूमिका
वन अनुसंधान संस्थान (आईसीएफआरई) की निदेशक डॉ. रेनू सिंह ने अपने प्रारंभिक संबोधन में शहरी वानिकी की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने स्मार्ट सिटी अमृत मिशन, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना जैसी सरकारी योजनाओं की जानकारी साझा की। हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ. मनीषा थपलियाल ने शहरी हरित क्षेत्रों और नगर वन जैसी योजनाओं पर विचार साझा किए।
हरित आवरण की चुनौतियां
हरियाणा के सेवानिवृत्त प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जगदीश चंदर ने शहरी और परि-नगरीय क्षेत्रों में हरित आवरण के क्षरण पर चिंता जताई। उन्होंने शहरी वनों को बढ़ावा देने के लिए जनसहभागिता को आवश्यक बताया।
प्रमुख बिंदु
- शहरीकरण का दबाव: हरित क्षेत्रों का तेजी से ह्रास।
- सामुदायिक भागीदारी: पर्यावरण संरक्षण में लोगों की सक्रिय भूमिका।
- सरकारी योजनाएं: नगर वन और हरित पार्कों को बढ़ावा।
आपदाओं और पर्यावरणीय जिम्मेदारी
उत्तराखंड के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ. समीर सिन्हा ने हाल की प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र करते हुए लोगों से पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार जीवनशैली अपनाने की अपील की। उन्होंने छोटे-छोटे बदलावों से बड़े प्रभाव की बात कही।
डॉ. समीर सिन्हा: “पर्यावरण संरक्षण हमारी जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिए।”
देहरादून की चुनौतियां
देहरादून की नगर आयुक्त नमामि बंसल ने शहर की समस्याओं जैसे अतिक्रमण, कचरा प्रबंधन और हरित क्षेत्रों के नुकसान पर चर्चा की। उन्होंने प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
तकनीक और पर्यावरण
भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. क्षमा गुप्ता ने हरित छतों, शहरी पार्कों और सामुदायिक वनभूमि की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने सुदूर संवेदन तकनीकों के उपयोग से पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान की बात कही।
वैश्विक लक्ष्य और शहरी वानिकी
हिमालयन वन अनुसंधान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वनीत जिस्टु ने संयुक्त राष्ट्र के 2015 में अपनाए गए 17 सतत विकास लक्ष्यों का उल्लेख किया। उन्होंने शहरी वानिकी को इन लक्ष्यों से जोड़ते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया।
व्यापक भागीदारी
सम्मेलन में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें प्रशासनिक अधिकारी, वन विभाग के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, तकनीकी कर्मचारी और हितधारक शामिल थे। चर्चा का केंद्र शहरी हरित क्षेत्रों और जलवायु प्रतिरोधी शहरों की चुनौतियां रहा।