देहरादून
उत्तराखंड की शीतकालीन राजधानी देहरादून के ऐतिहासिक घण्टाघर को नया स्वरूप और स्वचालित प्रकाश व्यवस्था के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता को समर्पित किया। इसके साथ ही, महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के लिए चार अत्याधुनिक “हिलांस-कम-किचन आउटलेट्स” का उद्घाटन भी किया गया। यह पहल न केवल शहर की शोभा बढ़ाएगी, बल्कि महिला सशक्तिकरण और बाल भिक्षावृत्ति निवारण जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी नई रोशनी डालती है।
देहरादून की धरोहर, नया स्वरूप
देहरादून का घण्टाघर, जो दशकों से शहर की पहचान रहा है, अब आधुनिक सौंदर्य और स्वचालित प्रकाश व्यवस्था के साथ चमक रहा है। 1.5 करोड़ रुपये की लागत से हुए इस सौंदर्यीकरण ने घण्टाघर को पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए नया आकर्षण बना दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे देहरादून की नाइटलाइफ का नया केंद्र बताया।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री: “घण्टाघर देहरादून की आत्मा है। इसका नया स्वरूप शहर को वैश्विक पहचान देगा।”
आंकड़ों में विकास की कहानी
घण्टाघर के सौंदर्यीकरण से लेकर हिलांस कैंटीन और बाल भिक्षावृत्ति निवारण तक, देहरादून में विकास की नई कहानी लिखी जा रही है। 1400 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं, 30 इलेक्ट्रिक बसें, और 11 चार्जिंग स्टेशन इस शहर को आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।देहरादून के विकास के प्रमुख आंकड़े
विवरण | आंकड़ा |
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घण्टाघर सौंदर्यीकरण लागत | 1.5 करोड़ रुपये |
विकास परियोजनाएं | 1400 करोड़ रुपये |
इलेक्ट्रिक बसें | 30 |
चार्जिंग स्टेशन | 11 |
रेस्क्यू किए बच्चे | 51 (पहला चरण) + 31 (दूसरा चरण) |
महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल
चार हिलांस-कम-किचन आउटलेट्स का उद्घाटन महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। कलेक्ट्रेट, कोरोनेशन अस्पताल, गुच्चुपानी और आईएसबीटी में स्थापित ये कैंटीनें स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को स्वरोजगार का अवसर देंगी। साथ ही, उत्तराखंड के जैविक उत्पादों को बाजार में नई पहचान मिलेगी।
पुष्कर सिंह धामी: “हिलांस कैंटीनें हमारी मातृशक्ति को आत्मनिर्भर बनाने का प्रतीक हैं।”
सामाजिक बदलाव की शुरुआत
बाल भिक्षावृत्ति निवारण के लिए शुरू की गई पहल देहरादून में सामाजिक बदलाव की नई शुरुआत है। 3 रेस्क्यू वाहनों और अंतरविभागीय टीम के साथ 51 बच्चों को पहले चरण में और 31 बच्चों को दूसरे चरण में स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है। यह कदम शिक्षा के अधिकार को साकार करता है।
पर्यावरण और आधुनिकता का मेल
30 इलेक्ट्रिक बसों और 11 चार्जिंग स्टेशनों के साथ देहरादून पर्यावरण संरक्षण और आधुनिकता के रास्ते पर अग्रसर है। घण्टाघर की स्वचालित प्रकाश व्यवस्था रात में शहर को जीवंत बनाएगी, जो पर्यटकों के लिए नया आकर्षण बनेगी।प्रमुख पहलें
- हिलांस कैंटीन: 4 स्थानों पर स्वरोजगार और जैविक उत्पादों को बढ़ावा।
- बाल भिक्षावृत्ति निवारण: 82 बच्चों को स्कूलों में दाखिला।
- पर्यावरण संरक्षण: 30 इलेक्ट्रिक बसें और 11 चार्जिंग स्टेशन।
ट्रैफिक समाधान की चुनौती
मुख्यमंत्री ने रिस्पना और बिंदाल नदियों पर एलिवेटेड रोड और भूमिगत पार्किंग की योजना का जिक्र किया, लेकिन सवाल यह है कि क्या ये योजनाएं समय पर पूरी होंगी? देहरादून की ट्रैफिक समस्या का स्थायी समाधान अब तक अधूरा है, और जनता को ठोस परिणाम चाहिए।
विकास का संतुलित मॉडल
देहरादून में 1400 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं शहर को आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। घण्टाघर का सौंदर्यीकरण, हिलांस कैंटीन, और बाल भिक्षावृत्ति निवारण जैसे कदम विकास का संतुलित मॉडल पेश करते हैं।
स्थानीय संस्कृति का उत्सव
हिलांस कैंटीन उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने का अनूठा प्रयास है। ये कैंटीनें न केवल स्वरोजगार का साधन हैं, बल्कि स्थानीय पहाड़ी व्यंजनों को पर्यटकों तक पहुंचाने का जरिया भी बनेंगी।
भविष्य की नींव
घण्टाघर का नया स्वरूप और हिलांस कैंटीन जैसी पहलें देहरादून को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करेंगी। बाल भिक्षावृत्ति निवारण के लिए बनाया गया इंटेसिव केयर सेंटर भविष्य में अन्य शहरों के लिए मॉडल बन सकता है।
जनता का गर्व
घण्टाघर का नया स्वरूप देहरादूनवासियों के लिए गर्व का विषय है। यह केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि शहर की आत्मा है, जो अब रात में भी चमक उठेगी। हिलांस कैंटीन और बाल भिक्षावृत्ति निवारण जैसे कदम उत्तराखंड की मातृशक्ति और बच्चों के भविष्य को संवार रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ये पहलें देहरादून को आधुनिक, समावेशी और पर्यावरण-अनुकूल शहर बनाने की दिशा में मील का पत्थर हैं।