पांडुकेश्वर/जोशीमठ/उखीमठ।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने तीर्थयात्रियों से श्री बदरीनाथ धाम और श्री केदारनाथ धाम के शीतकालीन पूजा स्थलों में दर्शन के लिए आमंत्रित किया है। बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 8 दिसंबर को उखीमठ के श्री ओंकारेश्वर मंदिर से चारधाम शीतकालीन यात्रा का शुभारंभ किया। इसके बाद से तीर्थयात्रियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
श्री बदरीनाथ धाम की शीतकालीन पूजाएं पांडुकेश्वर के योग बदरी और जोशीमठ के श्री नृसिंह बदरी में संचालित हो रही हैं। वहीं, श्री केदारनाथ धाम और श्री मद्महेश्वर जी की शीतकालीन पूजाएं उखीमठ के श्री ओंकारेश्वर मंदिर में संपन्न हो रही हैं।
ज्ञात हो कि केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली और मद्महेश्वर जी की डोली उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचती है। यहां भगवान केदारनाथ की पंचमुखी मूर्ति के दर्शन होते हैं, जो तीर्थयात्रियों के लिए पुण्य का अवसर है।
इसी प्रकार, बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद श्री उद्धव जी और श्री कुबेर जी पांडुकेश्वर के योग बदरी में रहते हैं, जबकि आदि गुरु शंकराचार्य जी की पावन गद्दी जोशीमठ के श्री नृसिंह मंदिर में पहुंचती है। तुंगनाथ जी की डोली मक्कूमठ के श्री मर्केटेश्वर मंदिर में स्थापित होती है।
मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार, मंदिर समिति शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने तीर्थयात्रियों से अधिक से अधिक संख्या में शीतकालीन पूजा स्थलों पर पहुंचने की अपील की है। अब तक तीन हजार से अधिक तीर्थयात्री इन पूजाओं में शामिल हो चुके हैं, जिनमें से 2230 उखीमठ, 65 पांडुकेश्वर और 1069 जोशीमठ पहुंचे हैं।
इन पूजा स्थलों पर, उखीमठ में प्रधान पुजारी शिवशंकर लिंग, जोशीमठ में पुजारी हनुमान प्रसाद डिमरी और पांडुकेश्वर में श्री राजेंद्र प्रसाद डिमरी और पुजारी परमेश्वर डिमरी शीतकालीन पूजा-अर्चना का कार्य कर रहे हैं।