देहरादून:
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी अभी शुरू हो गई है और इसमें एक बड़ी स्पष्टता आने वाली है – दो बच्चों की शर्त को लेकर। अगर किसी की पहली संतान के बाद दूसरी संतान जुड़वा होती है, तो उसे चुनाव लड़ने के अधिकार में एक ही इकाई के रूप में माना जाएगा। यानी, जुड़वा संतान वाले जिनके कुल तीन बच्चे हैं, वे भी चुनाव लड़ सकेंगे। इसके लिए पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। पंचायतीराज निदेशालय ने इस मामले में शासन को प्रस्ताव भेजा है जिस पर विचार-विमर्श जारी है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी अभी शुरू हो गई है और इसमें एक बड़ी स्पष्टता आने वाली है – दो बच्चों की शर्त को लेकर। अगर किसी की पहली संतान के बाद दूसरी संतान जुड़वा होती है, तो उसे चुनाव लड़ने के अधिकार में एक ही इकाई के रूप में माना जाएगा। यानी, जुड़वा संतान वाले जिनके कुल तीन बच्चे हैं, वे भी चुनाव लड़ सकेंगे। इसके लिए पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। पंचायतीराज निदेशालय ने इस मामले में शासन को प्रस्ताव भेजा है जिस पर विचार-विमर्श जारी है।
वर्तमान में, पंचायतीराज अधिनियम के अनुसार, 27 सितंबर 2019 के बाद दो से अधिक संतान वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते। हालांकि, इस कट ऑफ डेट से पहले के बच्चों की संख्या पर यह नियम लागू नहीं होता। जुड़वा बच्चों के मामले में, जहां अदालत ने स्पष्टीकरण दिया, वहां शासन ने 25 जुलाई 2019 को कट ऑफ डेट निर्धारित की है, जिससे कुछ भ्रम की स्थिति बनी है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने भी इस संबंध में स्पष्टता के लिए शासन को पत्र लिखा है। सूत्रों के अनुसार, जुड़वा बच्चों और कट ऑफ डेट को लेकर पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन की संभावना है, और इस प्रस्ताव पर शासन विचार कर रहा है। आगामी कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा।
हाई कोर्ट में तीन बच्चों के मामले पर सुनवाई
इस बीच, हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जो नगर पालिका चुनाव में तीन बच्चों वाले प्रत्याशियों को अयोग्य ठहराने वाले नगरपालिका एक्ट के प्रावधान को चुनौती देती है। ऊधमसिंह नगर जिले के किच्छा निवासी नईम उल खान ने यह याचिका दायर की है। उनका तर्क है कि 2003 के बाद तीन बच्चे वाले लोग पालिका चुनाव नहीं लड़ सकते जबकि पंचायत चुनाव के लिए 2019 के बाद यही नियम लागू है। उनके गांव को नगर पालिका में शामिल किए जाने के बाद वे चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित हो गए हैं। कोर्ट ने इस मामले में सचिव और निदेशक शहरी विकास को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।