इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा जिला सहकारी बैंक सभागार, अल्मोड़ा में सहकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इफको के राज्य विपणन प्रबंधक, राकेश कुमार श्रीवास्तव ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि अत्यधिक यूरिया के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता ख़त्म हो रही है और भूमिगत जल प्रदूषित हो रहा है। इसके साथ ही, यूरिया के अत्यधिक प्रयोग से फसलों में कीड़े और बीमारियाँ बढ़ रही हैं, जिनके इलाज के लिए रासायन का इस्तेमाल होने से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कृषि के लिए नैनो डीएपी और नैनो यूरिया के प्रयोग की सलाह दी, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा।
राकेश कुमार श्रीवास्तव ने पर्वतीय जनपदों में उर्वरकों के परिवहन के कठिन कार्य की चर्चा की और बताया कि इफको अकेली ऐसी संस्था है जो पहाड़ी इलाकों में उर्वरक लाकर किसानों तक पहुंचा रही है। नैनो उर्वरक पर्वतीय क्षेत्रों के लिए वरदान साबित होगा।
कार्यक्रम में इफको के मुख्य प्रबंधक, राजीव शर्मा ने जल विलेय उर्वरकों के प्रयोग विधि और महत्व पर विस्तार से जानकारी दी और बताया कि इन उर्वरकों का उपयोग लागत में कमी लाता है। इफको के अन्य उत्पादों जैसे सागरिका, बायो डीकंपोज़र, बोरोन और जिंक के बारे में भी जानकारी दी गई। कृषि सेवाएं देहरादून के मनोज दानू ने जल विलेय उर्वरक के लाभों के बारे में बताया।
कार्यक्रम में वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र प्रसाद मीणा ने इफको के नैनो यूरिया पर किए गए रिसर्च ट्रायल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नैनो उत्पादों का प्रयोग भविष्य में कृषि के लिए बेहद फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी और खेती सतत रूप से की जा सकेगी।
उप निबंधक सहकारी समितियां कुमायूं मण्डल, हरीश चंद्र खंडूरी ने सभी समिति सचिवों को नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के प्रयोग को बढ़ावा देने की सलाह दी, ताकि अल्मोड़ा जनपद में कृषि को बढ़ावा मिल सके और किसानों की लागत कम हो सके।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपर जिला सहकारी अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी, और समिति सचिवों समेत लगभग 50 लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में कृषि से संबंधित सभी समस्याओं का निवारण भी किया गया।