उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने राज्य सरकार पर खनन माफियाओं को लाभ पहुंचाने का गंभीर आरोप लगाया है।
देहरादून।
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मोर्चा ने आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों के हवाले से दावा किया कि सरकार ने एक विवादित शासनादेश के जरिए राज्य में खनन माफियाओं के लिए लूट का रास्ता खोल दिया।
विवादित शासनादेश: 500 करोड़ के खनन घोटाले का आरोप (Controversial Order: Allegation of ₹500 Crore Mining Scam)
प्रेस वार्ता में मोर्चा ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 4 जुलाई 2021 को शपथ ली और ठीक दो महीने बाद, 4 सितंबर 2021 को, उनके करीबी अधिकारी मीनाक्षी सुंदरम ने कोविड-19 और “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” का हवाला देते हुए एक ऐसा शासनादेश जारी किया जिससे स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट्स के नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह स्वप्रमाणित शपथपत्रों पर आधारित कर दी गई। इससे पहले इस प्रक्रिया में कई विभागों से अनुमति, स्थल निरीक्षण, वीडियोग्राफी और अन्य औपचारिकताएं अनिवार्य थीं।
17 दिनों में 150 से अधिक नवीनीकरण: नियमों की अनदेखी (Over 150 Renewals in 17 Days: Disregard for Rules)
मोर्चा का दावा है कि यह नीति केवल एक महीने के लिए बनाई गई थी, लेकिन इस अल्प समय में 150 से अधिक स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट्स को नवीनीकरण की अनुमति दे दी गई। यह कार्य केवल 17 दिनों में पूरा किया गया। इस प्रक्रिया में पर्यावरणीय अनुमति, वन विभाग की मंजूरी और राजस्व अभिलेखों की पूरी तरह अनदेखी की गई।
संदेहास्पद आवेदन प्रक्रिया: एक जैसी लिखावट का खुलासा (Suspicious Application Process: Disclosure of Similar Handwriting)
स्वाभिमान मोर्चा के अनुसार, जिन आवेदनों पर नवीनीकरण की अनुमति दी गई, उनमें से अधिकांश में एक जैसी हैंडराइटिंग पाई गई, जिससे संदेह होता है कि सारे आवेदन कुछ गिने-चुने लोगों ने ही भर दिए। कई मामलों में न तो पर्यावरणीय मंजूरी थी, न ही जमीन के स्वामित्व से जुड़े दस्तावेज। कुछ आवेदन तो उसी दिन स्वीकृत कर दिए गए जिस दिन वे दाखिल किए गए थे।
मुख्यमंत्री के खास अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप (Allegation of Collusion Against CM’s Close Officials)
मोर्चा ने आरोप लगाया कि इस पूरे “खनन खेल” को मुख्यमंत्री के खास अधिकारियों — मीनाक्षी सुंदरम, राजपाल लेघा और एल.एस. पैट्रिक — के माध्यम से अंजाम दिया गया। लेघा को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया, जबकि पैट्रिक को नवीनीकरण की संस्तुति देने का अधिकार दिया गया।
300-400 करोड़ के चुनावी फंड का दावा (Claim of ₹300-400 Crore Election Fund)
सूत्रों के हवाले से मोर्चा ने दावा किया कि इस पूरी प्रक्रिया में हर क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट से 2 से 3 करोड़ रुपये की वसूली की गई, जिससे लगभग 300 से 400 करोड़ रुपये का चुनावी फंड इकट्ठा किया गया।
“खनन प्रेमी मुख्यमंत्री” पर तीखा हमला: इस्तीफे की मांग (“Mining Lover CM” Targeted: Demand for Resignation)
मोर्चा ने तीखा हमला करते हुए कहा, “यह केवल भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड की आत्मा पर डाका है। धामी सरकार जनता की नहीं, खनन माफियाओं की सरकार बन गई है।” मोर्चा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को “खनन प्रेमी मुख्यमंत्री” बताते हुए उनके इस्तीफे की मांग की।
आरोपों से संबंधित आंकड़े:
बिंदु | आंकड़ा |
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शासनादेश जारी होने की तिथि | 4 सितंबर 2021 |
नवीनीकरण की अवधि | 17 दिन |
नवीनीकृत स्टोन क्रेशर/स्क्रीनिंग प्लांट्स | 150 से अधिक |
प्रति प्लांट वसूली (अनुमानित) | 2 से 3 करोड़ रुपये |
कुल चुनावी फंड (अनुमानित) | 300 से 400 करोड़ रुपये |