रुद्रप्रयाग।
आपदाग्रस्त क्षेत्र की हालत देखकर निकले अश्रुओं पर विपक्ष की टिप्पणी का केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने करारा जवाब दिया है। उन्होंने मां के आंसुओं पर सवाल उठाने वालों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि बसुकेदार का क्षेत्र उनके लिए बच्चे के समान है और इस घटना में हमने अपने खोए हैं। अपनों को खोने का गम उन्हें है। आपदाग्रस्त इलाकों में प्रभावितों की पीड़ा देखकर उनके भी आंसू निकल पड़े और विपक्ष को यह मुद्दा मिल गया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को स्वच्छ और साफ राजनीति करनी चाहिए, न कि आंसुओं को मुद्दा बनाकर जनता का ध्यान भटकाया जाए।
आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा और सहायता कार्य (Visit to Disaster-Hit Areas and Relief Work)
केदारनाथ विधायक इन दिनों आपदाग्रस्त इलाकों में जाकर प्रभावितों की हरसंभव मदद को लेकर खड़ी दिखाई दे रही हैं। बीते दिनों उनके प्रभावितों के साथ मुलाकात के दौरान अश्रु बहाये जाने पर विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। विपक्ष की इस हरकत का करारा जवाब देते हुए केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि बसुकेदार क्षेत्र के आपदाग्रस्त इलाकों में जाकर पीड़ित जनता की समस्याएं सुनी जा रही हैं और मौके पर उनका समाधान भी किया जा रहा है, मगर विपक्ष के कुछ तथाकथित लोग बेवजह की हरकतें करके जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।
‘अपनों को खोने का गम’ – विधायक का दर्द (MLA’s Pain: ‘Grief of Losing Loved Ones’)
उन्होंने कहा कि इस आपदा में हमने अपनों को खोया है और अपनों को खोने का गम हर किसी को होता है। बसुकेदार क्षेत्र की जनता से उनका गहरा लगाव रहा है। यहां की खेतीबाड़ी और महिलाओं के संघर्ष को उन्होंने अपनी आंखों से देखा है। ऐसे में जब आपदा पीड़ितों से मुलाकात की तो इस दौरान आंखें भर आईं, मानो यह सारा खौफनाक मंजर आंखों के सामने हो। आपदा पीड़ितों से मिलने पर आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। बस इसी दुख-दर्द बांटने की वीडियो को वायरल कर अनाप-शनाप बकने का काम विपक्ष कर रहा है।
उन्होंने कहा कि वे महिलाओं की पीड़ा से भलीभांति परिचित हैं। एक महिला होने के नाते उन्हें पता है कि अपनों को खोने का गम क्या होता है। एक महिला ही इस दर्द को समझ सकती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के आंसुओं पर टिप्पणी करना कहां तक सही है। मां के आंसुओं का मजाक उड़ाने वालों को जनता कभी माफ नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि इस भयानक आपदा को देखकर पत्थरदिल इंसान भी रो पड़ेगा। मलबे में दफन हुआ छेनागाड़ बाजार आज इतिहास बन गया है और ताल जामण में आवासीय भवन मलबे में दबने से लोगों के सामने बहुत सारी समस्याएं खड़ी हो गई हैं। इन सभी समस्याओं का तेजी के साथ समाधान करने के प्रयास किए जा रहे हैं।