देहरादून।
देहरादून जनपद में बीते रविवार-मंगलवार (15-16 सितंबर 2025) की रात्रि में अतिवृष्टि (Heavy Rain) से उत्पन्न भीषण आपदा ने पूरे जिले को प्रभावित कर दिया। सहस्त्रधारा (Sahastradhara) क्षेत्र में बादल फटने (Cloudburst) से बाढ़ (Flood) की स्थिति बन गई, जिसमें दुकानें, होटल, घर और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं। आपदा की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी सविन बंसल (DM Savin Bansal) ने तुरंत आईआरएस सिस्टम (IRS System) से जुड़े अधिकारियों को घटनास्थल की ओर रवाना किया।
उन्होंने स्वयं रात्रि भर आपदा राहत कार्यों (Disaster Relief Operations) की निगरानी की और पल-पल की स्थिति पर नजर रखी।प्रशासन की तत्परता: अलर्ट मोड में जिला प्रशासनजिले में भारी वर्षा (Heavy Rainfall) की चेतावनी के मद्देनजर पूरा प्रशासन अलर्ट मोड (Alert Mode) पर रहा। 15 सितंबर की रात्रि में प्रशासनिक अमला ने पूरी रात जागकर ड्यूटी निभाई।
जिलाधिकारी सविन बंसल (Savin Bansal) अधिकारियों से फीडबैक लेते रहे और दिशा-निर्देश जारी करते रहे। आपदा की सूचना मिलते ही मजिस्ट्रेट, आईआरएस से जुड़े विभागों के अधिकारी/कार्मिक और फोर्स रात्रि में ही उपकरणों सहित घटनास्थल पर पहुंच गए। जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) ने लगभग 8 किलोमीटर पैदल दूरी तय कर प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचे।
कार्लीगाड (Karligaad) गांव में 24 घंटे से फंसे 70 लोगों का फोर्स के माध्यम से रेस्क्यू (Rescue) किया गया और उन्हें सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट (Shift) कर दिया गया। डीएम और एसएसपी ग्राउंड जीरो (Ground Zero) पर डटे रहे तथा दोनों तरफ से कट-ऑफ हुए क्षेत्रों में फंसे लोगों को बचाया।
“आपदा मुसीबत या अनहोनी को न्यूनतम करना जिला प्रशासन का दायित्व है। हम इसके लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं।” – जिलाधिकारी सविन बंसल (DM Savin Bansal)
राहत कार्य: प्रभावितों को हर संभव सहायता
जिलाधिकारी ने आपदा पीड़ितों (Disaster Victims) से राहत शिविर (Relief Camp) में मिलकर ढांढस बंधाया और हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया। प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर किराए पर शिफ्ट (Rental Shift) होने के लिए प्रति परिवार 4-4 हजार रुपये मासिक सहायता तीन माह तक दी जाएगी।
एयरपोर्ट पर लोकसभा अध्यक्ष को रिसीव करने की प्रोटोकॉल ड्यूटी के बाद डीएम ने आपदा कंट्रोल रूम (Disaster Control Room) पहुंचकर रेस्क्यू-रिलीफ ऑपरेशन (Rescue-Relief Operations) का समन्वय किया। उन्होंने सभी एसडीएम, तहसीलदारों और रेस्क्यू फोर्स को आवश्यक निर्देश दिए।
इसके बाद डीएम और एसएसपी सीधे आपदाग्रस्त क्षेत्रों – कार्लीगाड (Karligaad), मजाड़ (Majar) और सहस्त्रधारा (Sahastradhara) की ओर रवाना हुए। सहस्त्रधारा से 8 किमी पैदल चलकर मजाड़ गांव पहुंचे, जहां जान-माल का नुकसान हुआ। उप जिलाधिकारी हरिगिरि तड़के से तैनात थे, जबकि सहस्त्रधारा में उप जिलाधिकारी कुमकुम जोशी (SDM Kumkum Joshi) रात्रि से राहत-बचाव कार्य चला रही थीं।
राहत व्यवस्था: होटलों का अधिग्रहण
जिला प्रशासन ने प्रभावितों के लिए सुरक्षित स्थान चिन्हित कर 5 होटलों का अधिग्रहण किया:
- वाईब्स लाईन (Vibes Line)
- आईसबर्ग (Iceberg)
- हेली रिसार्ट एंड रेस्टोरेंट (Heli Resort and Restaurant)
- होटल हिल व्यू (Hotel Hill View)
- पर्ल इन (Pearl Inn)
इन होटलों में 10 कार्मिक तैनात किए गए हैं। जिला पर्यटन विकास अधिकारी को नोडल अधिकारी और सहायक खंड विकास अधिकारी रायपुर को सहायक नोडल बनाया गया है। राहत शिविर में प्रभावितों से मिलकर डीएम ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
आपदा के प्रमुख आंकड़े
आपदा से हुए नुकसान के प्रमुख आंकड़ों की तालिका नीचे दी गई है (आधिकारिक स्रोतों के आधार पर):
क्षेत्र | प्रभाव | आंकड़े |
---|---|---|
सहस्त्रधारा (Sahastradhara) | वर्षा मात्रा | 192 मिमी (5-6 घंटों में) |
माल देवता (Mal Devta) | वर्षा मात्रा | 141 मिमी |
कुल मृतक | देहरादून जिला | 13 लोग |
लापता | जिला स्तर पर | 16 लोग |
रेस्क्यू | कार्लीगाड (Karlidaad) | 70 लोग सुरक्षित निकाले |
प्रभावित परिवार | सहायता | प्रति परिवार 4,000 रुपये/माह (3 माह तक) |
सुरक्षा और यातायात व्यवस्थावरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था (Security Arrangements) और यातायात नियंत्रण (Traffic Control) के लिए पुलिस बल को निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को राहत सामग्री वितरण (Relief Distribution), मार्ग सुगमता (Road Accessibility) और संसाधनों की आपूर्ति में कोई बाधा न आने के निर्देश दिए। एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF) और पीडब्ल्यूडी (PWD) की टीमें बुलडोजर सहित कार्यरत हैं।
देहरादून अतिवृष्टि (Dehradun Heavy Rain) आपदा में जिला प्रशासन की तत्परता से कई जानें बचाई गईं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और राहत कार्यों की समीक्षा की। यह घटना उत्तराखंड आपदा (Uttarakhand Disaster) प्रबंधन की मजबूती को दर्शाती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के संदर्भ में सतर्कता की आवश्यकता पर जोर देती है।