उत्तराखंड

खनन में पारदर्शिता mining transparency का मॉडल: उत्तराखंड की MDTSS प्रणाली जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगी

खनन में पारदर्शिता mining transparency का मॉडल: उत्तराखंड की MDTSS प्रणाली जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगी

खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और राजस्व वृद्धि के लिए उत्तराखंड की खनन डिजिटल परिवर्तन और निगरानी प्रणाली (MDTSS) अब जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगी।

उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य खनन क्षेत्र में पारदर्शिता (mining transparency), दक्षता और राजस्व वृद्धि (revenue growth) को बढ़ाना है। हाल ही में, जम्मू-कश्मीर की एक उच्चस्तरीय टीम ने उत्तराखंड का दौरा कर इस प्रणाली का गहन अध्ययन किया और इसे अपने राज्य में लागू करने की प्रतिबद्धता जताई है।

उत्तराखंड की MDTSS प्रणाली: एक तकनीकी क्रांति (Technology in Mining)

उत्तराखंड सरकार ने 18-19 अगस्त 2025 को लागू की गई इस परियोजना के तहत खनन क्षेत्र में तकनीकी उन्नयन (technology in mining) और सख्त निगरानी प्रणाली विकसित की है। इस प्रणाली में वर्टिकल कैमरा, ANPR कैमरा, RFID रीडर, LED फ्लड लाइट, GPS इंटीग्रेशन, खनिज वाहन ट्रैकिंग सिस्टम (mineral vehicle tracking system), और व्हेइब्रिज इंटीग्रेशन जैसे अत्याधुनिक उपकरण शामिल हैं। केंद्रीय और मिनी कमांड सेंटर के जरिए निगरानी को और मजबूत किया गया है।

डिजिटल ई-चालान और भुगतान प्रणाली (E-challan System)

इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन ई-चालान (e-challan) और भुगतान प्रणाली में मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकॉग्निशन (MICR) तकनीक, “COPY” छवि एंटी-कॉपी पेंटोग्राफ, और होलोग्राम जैसी सुविधाएं शामिल की गई हैं। खनिज प्रबंधन और ई-रवन्ना सेवा के तहत डीलर रजिस्ट्रेशन, ई-रावण जनरेशन, ऑनलाइन पेमेंट, ट्रांसपोर्टर और वाहन रजिस्ट्रेशन, ISTP (इंटर-स्टेट ट्रांजिट पास) जैसे कार्यों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया गया है।

राजस्व वृद्धि और पारदर्शिता में योगदान (Revenue Growth and Transparency)

उत्तराखंड में 2023 से लागू इस प्रणाली ने खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और राजस्व वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। तीसरे चरण में ई-निविदा के माध्यम से 170 खनन लॉट की नीलामी पूरी की गई, जिसमें 01 मैनसेट और 02 सिलिका सैंड जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर टीम का उत्तराखंड दौरा (J&K Team Visit)

हाल ही में जम्मू-कश्मीर से आए अधिकारियों की एक टीम ने उत्तराखंड में अवैध खनन (illegal mining) को रोकने और राजस्व वृद्धि के लिए अपनाई गई तकनीकों का गहन अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने देहरादून में अधिकारियों के साथ बैठकें कीं और खनन क्षेत्रों में फील्ड सर्वे भी किया। जम्मू-कश्मीर की टीम ने MDTSS की तकनीकी विशेषताओं, जैसे GPS ट्रैकिंग, ANPR कैमरा, और ई-चालान प्रणाली, को विशेष रूप से सराहा। उन्होंने इस मॉडल को अपने राज्य में लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की योजना बनाई है।

अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल (Model for Other States)

उत्तराखंड की यह पहल न केवल राज्य में खनन क्षेत्र को डिजिटल और पारदर्शी बनाने में सफल रही है, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन रही है। जम्मू-कश्मीर द्वारा इस प्रणाली को अपनाने का निर्णय उत्तराखंड के इस नवाचार की सफलता को रेखांकित करता है। यह पहल न केवल अवैध खनन पर लगाम लगाने में मदद करेगी, बल्कि राजस्व वृद्धि और पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।

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