उत्तराखंड

कांग्रेस की प्रेस वार्ता, हरीश रावत और प्रीतम सिंह ने आपदा राहत और मलिन बस्तियों पर उठाए सवाल | Uttarakhand Congress Press Conference 2025

कांग्रेस की प्रेस वार्ता, हरीश रावत और प्रीतम सिंह ने आपदा राहत और मलिन बस्तियों पर उठाए सवाल | Uttarakhand Congress Press Conference 2025

देहरादून।

उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) और केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य व पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह (Pritam Singh) ने संयुक्त प्रेस वार्ता में आपदा राहत (disaster relief) और मलिन बस्ती उजाड़ने (slum demolition) के मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री (Prime Minister) और धामी सरकार (Dhami Government) पर अपर्याप्त राहत और असंवैधानिक कदमों का आरोप लगाया।

आपदा राहत पर निराशा | Disappointment Over Disaster Relief

प्रीतम सिंह ने कहा कि हाल की दैवीय आपदा (natural disaster Uttarakhand) से जनहानि और धनहानि हुई, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा घोषित 1200 करोड़ रुपये की राहत राशि नाकाफी है। राज्य सरकार ने 5702 करोड़ रुपये की क्षति का प्रस्ताव रखा था, जिसे स्वीकार करने की अपेक्षा थी।

उन्होंने 2013 की केदारनाथ आपदा (Kedarnath disaster) का जिक्र करते हुए कहा कि तब कांग्रेस सरकार ने आपदा मानकों में बदलाव कर प्रभावी पुनर्वास और नियंत्रण किया था। वर्तमान में केंद्र और राज्य सरकार से मजबूत पैरवी की जरूरत है।

हरीश रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री की यात्रा से उम्मीद थी कि वे हिमालयी क्षेत्रों (Himalayan region) में आपदाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति की घोषणा करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने जलवायु परिवर्तन (climate change) और मध्य हिमालयी क्षेत्रों पर इसके प्रभाव को नजरअंदाज करने पर दुख जताया।

रावत ने कहा कि बादल फटना (cloudburst), ग्लेशियर पिघलना (glacial melting) और अन्य आपदाओं ने जनजीवन और आजीविका को प्रभावित किया है। केंद्र के 8 मिशन में से मध्य हिमालय के लिए कोई प्रगति नहीं दिखी।

  • मुद्दे उठाए गए:
    • अपर्याप्त राहत राशि (1200 करोड़ रुपये बनाम 5702 करोड़ का प्रस्ताव)।
    • जलवायु परिवर्तन और हिमालयी आपदाओं पर राष्ट्रीय नीति की कमी।
    • शोध संस्थानों से समन्वय की कमी।

मलिन बस्तियों पर सवाल | Concerns Over Slum Demolition

प्रीतम सिंह ने एलिवेटेड रोड (elevated road) के नाम पर मलिन बस्तियों को उजाड़ने के राज्य सरकार के कदम को षड्यंत्रकारी बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 582 मलिन बस्तियों को चिन्हित कर मालिकाना हक (ownership rights) देने का काम शुरू किया था, जो विधानसभा से पारित एक्ट में शामिल है।

धामी सरकार का अध्यादेश (ordinance) इस कानून को दरकिनार करने का असंवैधानिक प्रयास है।हरीश रावत ने कहा कि मलिन बस्तियों में लाल निशान का आतंक (red mark terror) फैल रहा है। छोटे अधिकारी डराकर उगाही कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि विधानसभा द्वारा पारित एक्ट को लागू किया जाए और मलिन बस्तियों को मालिकाना हक दिया जाए। कांग्रेस ने चेतावनी दी कि अगर यह नहीं हुआ, तो बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा।

आपदा प्रभावितों की आजीविका पर चिंता | Concerns for Livelihoods of Disaster Victims

रावत ने कहा कि भटवाड़ी, हर्षिल, थराली जैसे क्षेत्रों में आपदा से खेत, बगीचे और होमस्टे नष्ट हो गए। प्रभावित लोग कर्ज में डूबे हैं, और उनकी आजीविका बहाल करना जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिए:

  • प्रभावितों का कर्ज माफी (loan waiver)।
  • क्षति का सटीक आकलन और आजीविका पुनर्जनन।
  • 5 लाख रुपये की राहत राशि को 12 साल पुराना मानक बताकर बढ़ाने की मांग।
  • 16 गांवों जैसे सोल गांव पट्टी में राहत वितरण में देरी की शिकायत।

रावत ने कहा कि सड़क निर्माण (road construction) में मलबे को नदियों में फेंकने की गलत नीति आपदाओं को बढ़ा रही है। चारधाम ऑल वेदर रोड (Char Dham All Weather Road) में विस्फोटकों का इस्तेमाल पहाड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है।

केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना | Targeting Central and State Governments

  • केंद्र सरकार: रावत ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय रणनीति की कमी और शोध संस्थानों से समन्वय न होना चिंताजनक है।
  • राज्य सरकार: धामी सरकार पर मलिन बस्ती एक्ट को अध्यादेश से खत्म करने और आपदा प्रभावितों के पुनर्वास में निष्क्रियता का आरोप।
मुद्दाकांग्रेस की मांग
आपदा राहत5702 करोड़ की मांग पूरी हो, राष्ट्रीय नीति बने
मलिन बस्तियांविधानसभा एक्ट लागू, मालिकाना हक, लाल निशान आतंक बंद
आजीविकाकर्ज माफी, क्षति आकलन, पुनर्जनन
सड़क निर्माणमलबा निस्तारण नीति लागू, विस्फोटक रोकें

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