देहरादून।
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और साहसिक पर्यटन के लिए विश्व विख्यात है। मंगलवार को देहरादून के एक स्थानीय होटल में उत्तराखंड टूरिज्म रिप्रेजेंटेटिव्स (उत्तरा) एसोसिएशन और उत्तराखंड पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित उत्तरा सम्मेलन 2025 ने पर्यटन क्षेत्र में नई संभावनाओं को रेखांकित किया।
पर्यटन, धर्मस्व और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने इस अवसर पर टूर ऑपरेटरों से उत्तराखंड में कार्यालय खोलने और जीएसटी लाभ राज्य को दिलाने की अपील की। यह आयोजन पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उत्तराखंड: पर्यटन का वैश्विक केंद्र
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तरा सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित टूर ऑपरेटरों, उद्यमियों और पर्यटन विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड केवल धार्मिक और सांस्कृतिक गंतव्य ही नहीं, बल्कि साहसिक, वेलनेस और मेडिकल पर्यटन का भी एक उभरता हुआ केंद्र है।
सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री: “उत्तराखंड की यात्रा का जीएसटी भी उत्तराखंड को मिलना चाहिए। टूर ऑपरेटरों को यहां कार्यालय खोलकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना होगा।”
जीएसटी और स्थानीय अर्थव्यवस्था
महाराज ने जोर देकर कहा कि दिल्ली में कार्यरत कई टूर ऑपरेटर उत्तराखंड की यात्राओं का आयोजन करते हैं, लेकिन जीएसटी का लाभ दिल्ली को जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि टूर ऑपरेटरों को उत्तराखंड में कार्यालय स्थापित करने चाहिए, ताकि जीएसटी से होने वाली आय राज्य की अर्थव्यवस्था को सशक्त करे।जीएसटी सुधार के लाभ
- आर्थिक विकास: जीएसटी से प्राप्त राजस्व से पर्यटन ढांचे में सुधार।
- रोजगार सृजन: स्थानीय स्तर पर कार्यालय खुलने से नौकरियां बढ़ेंगी।
- सतत विकास: पर्यटन आय से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा।
टूर ऑपरेटर: उत्तराखंड के ब्रांड एम्बेसडर
महाराज ने टूर ऑपरेटरों को उत्तराखंड का ब्रांड एम्बेसडर बताते हुए उनकी भूमिका को सराहा। उन्होंने कहा कि टूर ऑपरेटर न केवल पर्यटकों को गंतव्यों तक पहुंचाते हैं, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित भी करते हैं।
सतत पर्यटन की दिशा में कदममुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड सरकार पर्यटन के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है। महाराज ने बताया कि नई नीतियां, प्रोत्साहन पैकेज और योजनाएं पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्राथमिकता देती हैं।सरकार की प्रमुख पहल
- साहसिक पर्यटन: ट्रैकिंग और रिवर राफ्टिंग जैसे क्षेत्रों में निवेश।
- वेलनेस पर्यटन: योग और आयुर्वेद केंद्रों का विकास।
- ग्रामीण पर्यटन: स्थानीय समुदायों को रोजगार से जोड़ना।
पर्यावरण और पर्यटन का संतुलनमहाराज ने सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) पर बल देते हुए कहा कि अनियोजित पर्यटन से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। इसके लिए पर्यटन विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन जरूरी है।
उद्यमी: “सतत पर्यटन से उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता बरकरार रहेगी और पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिलेगा।”
उत्तरा सम्मेलन: सहयोग का मंच
उत्तरा सम्मेलन ने टूर ऑपरेटरों और पर्यटन विभाग के बीच संवाद का मंच प्रदान किया। महाराज ने इस आयोजन को समयानुकूल बताते हुए कहा कि यह पर्यटन क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान और नई संभावनाओं का द्वार खोलेगा।
भविष्य की योजनाएं
सरकार की योजनाओं में डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम, पर्यटन प्रोत्साहन पैकेज और स्थानीय समुदायों की भागीदारी शामिल है। उत्तराखंड को धार्मिक, साहसिक और वेलनेस पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
सहभागिता और संवाद
सम्मेलन में पर्यटन विभाग के एसीईओ बी.एल. राणा, अपर निदेशक पूनम चंद, आईएटीओ के पूर्व अध्यक्ष राजीव मेहरा, एडीटीओआई के अध्यक्ष वेद खन्ना और अन्य गणमान्य उपस्थित रहे। यह आयोजन सहयोग और संवाद के नए अवसर लेकर आया।