विकासनगर।
जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष और जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने खानपुर विधायक उमेश कुमार के खिलाफ दल-बदल और आपराधिक गतिविधियों के मामले में विधानसभाध्यक्ष ऋतु खंडूरी की चुप्पी पर सवाल उठाए। एक पत्रकार वार्ता में नेगी ने कहा कि मोर्चा के लगातार दबाव के बाद विधानसभाध्यक्ष ने तीन साल पुरानी याचिका पर कार्रवाई शुरू की है, लेकिन यह कदम केवल औपचारिकता नजर आता है।
दल-बदल याचिका पर तीन साल की चुप्पी
नेगी ने बताया कि 26 मई 2022 को रुड़की निवासी श्री पनियाला ने विधानसभाध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर की थी, जिसमें खानपुर विधायक उमेश कुमार पर दल-बदल का आरोप लगाया गया था।
याचिका में कहा गया कि उमेश कुमार ने निर्दलीय विधायक चुने जाने के बाद पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और अपनी क्षेत्रीय पार्टी बनाकर दल-बदल कानून का उल्लंघन किया। इस उल्लंघन के आधार पर उनकी विधायकी रद्द होनी चाहिए।
विधानसभाध्यक्ष की भूमिका पर सवाल
नेगी ने विधानसभाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि याचिका को तीन साल तक ठंडे बस्ते में रखा गया। नवंबर 2024 में मोर्चा द्वारा पंजीकृत डाक से भेजे गए पत्रों को विधानसभा सचिवालय ने यह कहकर नकार दिया कि वे प्राप्त ही नहीं हुए। नेगी ने इसे विधानसभा की गरिमा को तार-तार करने वाला कदम बताया।
नेगी का बयान: “ऐसे विधायक को संरक्षण देकर विधानसभाध्यक्ष प्रदेश की जनता को धोखा दे रही हैं। यह अपराध को बढ़ावा देने जैसा है।”
विधायक पर संगीन आपराधिक मामले
नेगी ने खुलासा किया कि उमेश कुमार के खिलाफ उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में लगभग 30 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग, जालसाजी, और बलपूर्वक भूमि हड़पने जैसे संगीन अपराध शामिल हैं।
- मुकदमों की संख्या: लगभग 30
- अपराधों का प्रकार: यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग, षड्यंत्र, जालसाजी, भूमि हड़पना
- प्रभावित राज्य: उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल
प्रमुख आंकड़े
विवरण | आंकड़ा |
---|---|
दल-बदल याचिका दायर | 26 मई 2022 |
मुकदमों की संख्या | लगभग 30 |
नोटिस जारी होने की तारीख | 7 मई 2025 |
पत्र भेजने की तारीख | नवंबर 2024 |
नोटिस के बाद भी कार्रवाई में देरी
7 मई 2025 को विधानसभाध्यक्ष ने उमेश कुमार और याचिकाकर्ता को शपथ पत्र और साक्ष्य जमा करने के लिए नोटिस जारी किया। हालांकि, नोटिस जारी होने के तीन महीने बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। नेगी ने कहा कि यदि विधानसभाध्यक्ष ईमानदारी से काम करतीं, तो अब तक विधायक की सदस्यता रद्द हो चुकी होती। जन संघर्ष मोर्चा की जीतनेगी ने इस नोटिस को जन संघर्ष मोर्चा की जीत बताया, लेकिन इसे केवल शुरुआत माना।
उन्होंने कहा कि मोर्चा इस मामले को तब तक उठाता रहेगा, जब तक विधायक के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं हो जाती।
विधानसभाध्यक्ष का दायित्व
नेगी ने जोर देकर कहा कि विधानसभाध्यक्ष का दायित्व है कि वे समयबद्ध तरीके से कार्रवाई करें। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के संरक्षण से प्रदेश में माफियाराज को बढ़ावा मिलेगा, जो जनता के हितों के खिलाफ है। पत्रकार वार्ता में उपस्थित लोगपत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह और हाजी असद मौजूद थे।