मौसम और आपदा

उत्तरकाशी में भूस्खलन से बनीं दो झीलें: सेना के ड्रोन ने की पुष्टि, SDRF की टीम मौके पर पहुंचने का प्रयास

उत्तरकाशी में भूस्खलन से बनीं दो झीलें: सेना के ड्रोन ने की पुष्टि, SDRF की टीम मौके पर पहुंचने का प्रयास

उत्तरकाशी

हर्षिल घाटी के तेलगाड के मुहाने के पास बृहस्पतिवार को हुए भूस्खलन (Landslide) ने एक बार फिर क्षेत्र में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। इस भूस्खलन के कारण तेलगाड के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हुई और मलबा व बड़े बोल्डर आने से दो छोटी-छोटी झीलें (Two Lakes) बन गई हैं। इस बात का खुलासा भारतीय सेना द्वारा उच्च तकनीक वाले ड्रोन (High-Tech Drone) से ली गई तस्वीरों में हुआ है। हालांकि इन झीलों का आकार अभी बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन ये भविष्य में खतरे का सबब बन सकती हैं।

खराब मौसम बना बाधा, SDRF की कोशिशें जारी

भूस्खलन की जोरदार आवाज सुनकर हर्षिल और आसपास के क्षेत्रों में अफरा-तफरी मच गई थी। भूस्खलन के तुरंत बाद, SDRF (State Disaster Response Force) की टीम ने मौके पर पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन खराब मौसम (Bad Weather) के कारण वे सफल नहीं हो पाए। शुक्रवार को मौसम थोड़ा साफ होने पर SDRF ने दोबारा ड्रोन से निरीक्षण करने का प्रयास किया, लेकिन तेज हवाओं के कारण ड्रोन उड़ नहीं सका। इसी बीच, सुरक्षा कारणों को देखते हुए सेना ने अपने उच्च तकनीक वाले ड्रोन से क्षेत्र की तस्वीरें और वीडियो लिए, जिसमें भूस्खलन स्थल के पास दो छोटी झीलें स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं।

SDRF की आगे की योजना

SDRF के निरीक्षक जगदंबा प्रसाद ने बताया कि सेना के ड्रोन फुटेज में तेलगाड में भूस्खलन स्थल के पास दो झीलों की तस्वीरें मिली हैं, जिनका आकार अभी अधिक बड़ा नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि तेलगाड का प्रवाह फिलहाल सामान्य है। SDRF की टीमें मौके पर पहुंचने और स्थलीय निरीक्षण (Ground Inspection) कर स्थिति का सही आकलन करने का प्रयास कर रही हैं। इसके लिए प्रशासन से उच्च तकनीकी ड्रोन की सहायता भी मांगी गई है।

पिछली आपदा का मंजर

यह घटना पिछले माह पांच अगस्त को हुई तेलगाड की उस भयावह घटना की याद दिलाती है, जब तेलगाड में आए मलबे ने भागीरथी नदी के प्रवाह को रोक दिया था। उस समय करीब 15 फीट मलबा बहकर आया था, जिसमें सेना के करीब 9 जवान लापता हो गए थे और सैन्य कैंप को भारी नुकसान हुआ था। हालांकि, बाद में एक सैनिक का शव बरामद हुआ था। उस मलबे ने भागीरथी नदी में करीब एक से डेढ़ किमी लंबी झील बना दी थी, जिससे हर्षिल हेलीपैड और गंगोत्री हाईवे का करीब 100 मीटर हिस्सा डूब गया था। फिलहाल, डबरानी और सोनगाड में गंगोत्री हाईवे सुचारू होने के बाद वहां मशीनें पहुंचाई गई हैं और भागीरथी नदी में बनी झील को खोलने का कार्य प्रगति पर है।

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