देहरादून।
शहर के बीचों-बीच बहने वाली दून घाटी की बरसाती नदियों ने इस मानसून में अपना रौद्र रूप दिखाकर शासन-प्रशासन को एक स्पष्ट चेतावनी दी है। इस बार, नदियों ने उन लोगों के घरों के दरवाजों पर दस्तक दी है जो इन नदियों के किनारों पर अवैध रूप से काबिज (illegally occupied) हैं। पिछले कई दिनों से हो रही भारी बारिश ने बिंदाल, रिस्पना, तमसा सहित सभी नदियों में बाढ़ (Flood) की स्थिति पैदा कर दी है, जिससे इन नदियों के किनारे अवैध रूप से बसे अतिक्रमणकारियों (encroachers) के बीच खौफ की लहर दौड़ गई है।
नदियों का प्राकृतिक मार्ग और बढ़ता खतरा
दून घाटी की ये बरसाती नदियाँ, जो नजदीक के शिवालिक पहाड़ों के नालों और गधेरों से जुड़कर गंगा और यमुना में मिलती हैं, पिछले कुछ सालों से अवैध कब्जों (illegal encroachments) की चपेट में हैं। नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal – NGT) ने राज्य सरकार को बार-बार इन कब्जों को हटाने के लिए चेताया है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जा सके हैं। रिस्पना और जाखन नदियाँ सुसवा की सहायक हैं, जो आगे गंगा में मिलती हैं, जबकि बिंदाल और आसन नदियाँ यमुना में समाहित हो जाती हैं। वर्तमान में, ये नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे इनके सहायक नदियों के प्राकृतिक मार्ग (natural course) बाधित होने पर हाईकोर्ट और एनजीटी दोनों चिंतित हैं।
अतिक्रमण का परिणाम: जल प्रलय का अंदेशा
नदियों के किनारे बनी मलिन बस्तियों (slums) के कारण इनका जल प्रवाह रुक रहा है। ऐसा माना जाता है कि नदियाँ 35 साल बाद अपने पुराने मार्ग पर लौट आती हैं। जिस तरह से इस बार इन नदियों में जल प्रवाह देखा जा रहा है, वह जल प्रलय (deluge) के बेहद करीब होने का संकेत दे रहा है। रिस्पना नदी का ऐसा रौद्र रूप कई सालों बाद देखने को मिला है; यह अपने पुल को छूती हुई बह रही है, और दर्जनों झोपड़ियां व जानवर भी बहते दिखाई दिए। कांवली रोड पर बिंदाल पुल के ऊपर से पानी बह रहा था, और तमसा नदी ने टपकेश्वर मंदिर तक पहुंचकर जलाभिषेक किया। मालदेवता की सोंग नदी और सहस्त्रधारा की बद्री नदी के पानी ने आसपास की आबादी को चेतावनी दी कि वे नदी की ओर न आएं। सहस्त्रधारा आईटी पार्क की सड़कें इन बरसाती नदियों और नालों की वजह से जलमग्न थीं।
शासन-प्रशासन को सीधी चेतावनी
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि रिस्पना, बिंदाल, तमसा, सोंग, जाखन और आसन नदियों ने इस बार राजधानी में शासन-प्रशासन को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि जो भी उनके मार्ग को बाधित करेगा, उसे उनके रौद्र रूप का सामना करना पड़ेगा। इसलिए, उनके मार्ग तत्काल खाली करवाए जाने चाहिए। इन नदियों के जल प्रवाह ने अवैध रूप से काबिज कई घरों की नींव भी हिला दी है और तीन-चार मकानों को अपने आगोश में ले लिया है।
भविष्य की राह: कड़े फैसले की जरूरत
नदियों के किनारे कब्जा करके बनाई गई अवैध बस्तियों या सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को लेकर राज्य सरकार को कोई बड़ा फैसला लेना होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्च स्तरीय बैठक कर संवेदनशील स्थानों पर निर्माण पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं, लेकिन ये आदेश अभी नए निर्माणों पर लागू होंगे। जहां अतिक्रमण है, उसे हटाने के लिए शासन और राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी आवश्यकता है। क्योंकि जब भी इन नदियों के किनारे से अतिक्रमण हटाने की बात होती है, तो सत्ता और विपक्ष दोनों ही वोट बैंक को बचाने के चक्कर में पीछे हट जाते हैं, और यह अभियान मानसून के बाद अक्सर ठंडा पड़ जाता है।
मुख्य बिंदु (Key Figures):
दून घाटी की नदियों का हाल: खतरे के निशान पर कई नदियाँ
नदी (River) | सहायक नदी (Tributary of) | मुख्य नदी (Main River) | खतरे का स्तर (Danger Level) |
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रिस्पना (Rispana) | सुसवा (Suswa) | गंगा (Ganga) | खतरे के निशान से ऊपर (Above danger mark) |
बिंदाल (Bindal) | – | यमुना (Yamuna) | खतरे के निशान से ऊपर (Above danger mark) |
तमसा (Tamsa) | – | – | मंदिर तक पहुंचा पानी (Water reached temple) |
सोंग (Song) | – | गंगा (Ganga) | आबादी को चेतावनी (Warned population) |
जाखन (Jakhan) | – | गंगा (Ganga) | आबादी को चेतावनी (Warned population) |
आसन (Aasan) | – | यमुना (Yamuna) | – |